अस्त ग्रहों की समस्या से हैं परेशान तो करें ये उपाय

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जानिए सनातन परंपराओं के वैज्ञानिक तर्क
जानिए सनातन परंपराओं के वैज्ञानिक तर्क।

Troubled by the problem of set planets, then do these remedies : अस्त ग्रहों की समस्या से हैं परेशान तो करें ये उपाय। ज्योतिष में अस्त ग्रहों को बड़ी समस्या माना जाता है। मान्यता के अनुसार यदि जन्मकुंडली में तीन ग्रह अस्त हों तो व्यक्ति जड़ समान हो जाता है। अर्थात- जातक परले सिरे का निष्क्रिय और आलसी होता है। उसका जीवन जड़ की तरह स्थिर रहता है। शरीर, मन और वचन में शिथिलता आ जाती है। अस्त होना एक तरह से ग्रह को पूरी तरह से बलहीन कर देना है। ऐसे ग्रह पूरी तरह प्रभावहीन हो जाते हैं। वह मूल त्रिकोण या उच्च राशि में भी हों तो फल देने में विफल हो जाते हैं। हां, यदि वे अशुभ ग्रह के प्रभाव में हों तो और बुरा प्रभाव देते हैं। उसके अधिक बुरे फल मिलने लगते हैं। एक अशुभ ग्रह की पूरा जीवन खराब कर सकता है।

कुंडली में अस्त ग्रहों का उपाय अवश्य करें

जन्मकुंडली की जब भी गणना कराएं यह अवश्य जान लें कि कोई ग्रह अस्त तो नहीं है? यदि है तो उसका उपाय अवश्य करें या करा लें। मैंने गंभीर दुर्घटना या बीमारी से पीड़ित कई लोगों का अध्ययन किया है। जब उनकी कुंडली में अस्त ग्रह की दशा चल रही होती है तो उनके साथ दुर्घटना या बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। इस दौरान प्रियजन की मृत्यु, पैतृक संपत्ति का नष्ट होना, अंग-भंग या भारी आर्थिक क्षति की भी आशंका रहती है। हां, यदि उस पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि हो या वह स्वयं शुभ स्थान पर हो तो दोष में कमी आ जाती है। विवाह में विलंब, दांपत्य सुख में कमी या विवाद, संतान सुख की कमी आदि में भी इसकी भूमिका हो सकती है। इसमें यह भी ध्यान देना आवश्यक है कि अस्त ग्रहों की स्थिति कैसी है? इसके लिए योग्य ज्योतिषी से संपर्क करें।

हर समस्या का समाधान रत्न नहीं

ग्रहों से संबंधित हर समस्या का समाधान रत्न नहीं होता है। विशेष रूप से अस्त ग्रहों की समस्या में कई बार रत्नों का प्रयोग भारी पड़ जाता है। उदाहरण के लिए अस्त ग्रह का अर्थ है बलहीन ग्रह। यदि यह शुभ योग, स्थान या दृष्टि में है तो रत्न से उसे अतिरिक्त बल मिलता है। तब उससे शुभ फल मिलने लगता है। यदि वह अशुभ फलदायी है तो रत्न धारण करने से बलशाली बनकर वह और अधिक अशुभ फल देने लगेगा। अशुभ फलदायी अस्त ग्रह के लिए मैं रत्न को उपयुक्त नहीं मानता हूं। ऐसे में यंत्र, मंत्र, रंग, वनस्पति से जुड़े उपाय आदि ही अधिक उपयोगी होते हैं। अर्थात उन्हें बल देने के बदले प्रसन्न करने पर अधिक ध्यान देना चाहिए। इसलिए आवश्यक है कि अस्त ग्रह के मामले में योग्य ज्योतिष से परामर्श लेकर उपाय करें। पढ़ें कुछ अस्त ग्रहों के फल और परिणाम।

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बृहस्पति, चंद्रमा व बुध के फल

वैसे तो इसके कई कुप्रभाव हैं। इनमें मुख्य है बृहस्पति के अस्त होने पर शिक्षा-दीक्षा में मन न लगना, लीवर की समस्या, तामसिक वृत्ति, चारित्रिक पतन आदि। वैवाहिक जीवन गड़बड़ाने लगता है। महिला हो तो विवाह टूटने की स्थिति आ सकती है। सूर्य को हल्दी मिला जल चढ़ाने एवं गुरुजनों की सेवा करने से भी आराम मिलता है। चंद्रमा के अस्त होने से मानसिक समस्याएं गहराने लगती है। जलजनित रोग, नशे की चपेट में आना, दीर्घकालिक अवसाद और पैतृक संपत्ति के नष्ट होने का भी खतरा रहता है। जातक की मां गंभीर रूप से बीमार हो सकती हैं। इस समस्या में शिव की उपासना और महिलाओं का सम्मान भी लाभ देता है। अस्त बुध से जातक को दमा, अवसाद, धोखे का शिकार होने जैसी समस्या हो सकती है। बुद्धि भ्रमित होती है। चर्म रोग का खतरा रहता है। गायत्री जप व दुर्गा व गणेश की उपासना भी लाभदायक है।

शनि, मंगल व शुक्र के अस्त होने पर

अस्त ग्रहों की समस्या में शनि का अस्त होना रोजगार पर संकट उत्पन्न कर देता है। ऐसे जातक गंभीर रोग से ग्रसित हो जाते हैं। प्रतिष्ठा में कमी, नीच प्रकृति का बन जाना और रोजगार की तलाश में अत्यधिक श्रम करना भी आम है। कई बार घोर दरिद्रता की स्थिति आ जाती है। बीच की उंगली (बड़ी) में नाव की कील या घोड़े की नाल का छल्ला पहनना, वृद्ध और गरीबों की सहायता करना लाभकारी होता है। मंगल अस्त हो तो रक्त व आंखों में विकार होता है। जातक भ्रष्टाचारी व घोटालेबाज होकर मुकदमे में फंसता है। आपराधिक प्रवृति बढ़ती है। इसमें हनुमान जी से भी लाभ मिलता है। शुक्र अस्त हो तो सुख में कमी आती है। दांपत्य जीवन में तनाव, संतानहीन होने और प्रतिष्ठा में कमी का खतरा रहता है। सुबह जल्दी स्नान, मां लक्ष्मी की उपासना और दही के नित्य सेवन से भी लाभ होता है।

संदर्भ- भारतीय ज्योतिष, भृगु संहिता, लाल किताब।

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