उज्जैन में दूर होते हैं सारे दुख, महाकाल करते हैं कृपा

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ओंकार के प्रतीक हैं देवों के देव महादेव
ओंकार के प्रतीक हैं देवों के देव महादेव।

All sorrows go away in Ujjain : उज्जैन में दूर होते हैं सारे दुख। महाकाल की नगरी उज्जैन तीर्थों में श्रेष्ठ माना जाता है। यहां ज्योतिर्लिंग, शक्तिपीठ और मोक्षदायिनी शिप्रा का पावन तट है। इस तट पर 12 वर्ष बाद कुंभ का आयोजन होता है। यहीं मंगल ग्रह का जन्म स्थान और ग्रहों की शांति का केंद्र भी है। आठ भैरवों में से एक का प्रसिद्ध मंदिर, बड़ा गणेश मंदिर और सिद्धभूमि के साथ ही इस पावन भूमि का राम, हनुमान व कृष्ण से भी संबंध है। यह विक्रमादित्य जैसे राजा की राजधानी रही है। कालीदास ने अपने महाकाव्य में यहां के सौंदर्य और महत्ता का दिल खोलकर बखान किया था। सच्चे मन और श्रद्धाभाव से उज्जैन आने वालों के सारे दुख दूर हो जाते हैं। यहां के सभी प्रमुख मंदिर प्राचीनकाल के हैं।

अनोखा तीर्थस्थल

उज्जैन विरला और अनोखा तीर्थस्थल है। यहां एक साथ पांच संयोग- श्मशान, ऊषर, क्षेत्र, पीठ और वन हैं। वैसे तो भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग हैं।  उनमें से उज्जैन का विशेष महत्व है। पुराणों में लिखा है कि आकाश में तारकलिंग, पाताल में हाटकेश्वरलिंग और मृत्युलोक में महाकाल ज्योतिर्लिंग हैं। अर्थात इस तरह का ज्योतिर्लिंग पृथ्वी पर सिर्फ एक ही है। वैसे भी महाकाल को कालों का काल कहा गया है। भौगोलिक रूप से भी देखें तो यहां से कर्क रेखा गुजरती है। काल की गणना के हिसाब से यह बेहद महत्वपूर्ण है। प्राचीनकाल में यही काल गणना का केंद्र था।

दक्षिणमुखी हैं महाकाल

यूं तो महाकाल सभी भक्तों के लिए अत्यंत फलदायी हैं। वे अपने साधकों को काल के डर से मुक्त करते हैं। सिर्फ भक्तिभाव से की गई पूजा से प्रसन्न हो जाते हैं। एक खास बात यह है कि यहां महाकाल की प्रतिमा दक्षिणमुखी है। इसलिए तंत्र के साधकों के लिए यह स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। हालांकि हर भक्त पर महाकाल कृपा करते हैं। उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। यहां की गई साधना का शीघ्र फल मिलता है। इसलिए कहा गया कि उज्जैन में दूर होते हैं सारे दुख।

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दो शक्तिपीठ की मान्यता

इस अतिमहत्वपूर्ण नगर में दो शक्तिपीठ हैं। पुराणों में उल्लेख मिलता है कि शिप्रा नदी के तट पर भैरव पर्वत पर माता सती के होंठ गिरे थे। वहां अब गढ़कालिका माता का मंदिर है। वह सभी बाधाओं और दुखों को दूर करने वाली हैं। यहां भारी भीड़ जुटती है। महाकवि कालीदास इन्हीं माता के उपासक थे। रुद्रसागर तालाब के किनारे माता सती की कोहनी गिरी थी। वहां हरसिद्धि का मंदिर है। यह माता सभी चिंताओं को दूर करने वाली हैं। महाराज विक्रमादित्य इन्हीं के उपासक थे। यह माता वैष्णव संप्रदाय के लोगों की आराध्य हैं।  

काल भैरव

पुराणों में वर्णित अष्टभैरवों में से एक काल भैरव का मंदिर उज्जैन में है। कापालिक संप्रदाय से संबंधित शिव के उपासकों का यह महत्वपूर्ण मंदिर है। यहां भैरवनाथ की विशाल मूर्ति मदिरापान करती है। उज्जैन आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यहां का दर्शन महत्वपूर्ण होता है। इस स्थान को भी लेकर कहा जाता है कि उज्जैन में दूर होते हैं सारे दुख।

क्रमशः

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