वाराणसी का अनोखा शिव मंदिर जो डूब जाता है गंगा में

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वाराणसी का अनोखा शिव मंदिर जो डूबा रहता है गंगा में। पीसा की मीनार से भी ज्यादा झुका हुआ है। अद्भुत स्थापत्य कला वाला
वाराणसी का अनोखा शिव मंदिर जो डूबा रहता है गंगा में। पीसा की मीनार से भी ज्यादा झुका हुआ है। अद्भुत स्थापत्य कला वाला।

Varansi’s unique Shiva temple remains submerged in the ganges : वाराणसी का अनोखा शिव मंदिर जो डूब जाता है गंगा में। पीसा की मीनार से भी ज्यादा झुका हुआ है। अद्भुत स्थापत्य कला वाला यह मंदिर देखने लायक है। इसके झुकने के कारण को लेकर कई किवदंतियां प्रचलित हैं। यह मंदिर मणिकर्णका घाट के समीप स्थित है। इसका नाम रत्नेशवर महादेव है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर चैलेंज में इसका जिक्र करते हुए रिट्वीट किया है। उन्होंने बताया कि इसे देखकर वे खुद विस्मित हो गए। वे इसके प्रशंसक बन गए हैं। उन्होंने इसकी तस्वीरें भी ट्वीट की हैं।

पीसा की मीनार से भी ज्यादा झुका है मंदिर

यह मंदिर आठ से नौ माह तक गंगा में डूबा रहता है। हद तो यह है कि इसके शिखर पीसा के मीनार से भी ज्यादा झुके हुए हैं। पीसा के मीनार 4 डिग्री के कोण में झुका है जबकि यह नौ डिग्री झुका हुआ है। इतने लंबे समय तक लगातार पानी के बहाव को झेलते रहने के बाद भी मंदिर न सिर्फ सुरक्षित है, बल्कि इसका स्वरूप भी यथावत है।  नागर शैली में बने इस मंदिर का स्‍थापत्‍य आकर्षित करता है। दुर्भाग्य से काफी पुराने इस अद्भुत मंदिर की पहले अधिक चर्चा तक नहीं हुई। प्रधानमंत्री ने अपने संसदीय क्षेत्र के इस धरोहर को पहचाना। उनके ट्वीट के बाद वाराणसी का यह अनोखा शिव मंदिर चर्चा में आया।

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निर्माण काल व झुके होने पर कई किंवदितियां

वाराणसी का अनोखा शिव मंदिर जो डूबा रहता है गंगा में। पीसा की मीनार से भी ज्यादा झुका हुआ है। अद्भुत स्थापत्य कला वाला
वाराणसी का अनोखा शिव मंदिर जो डूब जाता है गंगा में। पीसा की मीनार से भी ज्यादा झुका हुआ है। अद्भुत स्थापत्य कला वाला।

मंदिर के झुके होने को लेकर कई किंवदंतियां हैं। इनमें इसके निर्माण काल से लेकर झुके होने के कारण तक शामिल हैं। कुछ लोग इसे 19वीं सदी का तो कुछ 15वीं सदी का बना मानते हैं। एक किंवदंती के अनुसार इसे राजा मानसिंह की नौकरानी ने मां के दूध का कर्ज चुकाने के लिए बनवाया था। मां को अच्‍छा नहीं लगा तो उन्‍होंने इसे टेढ़ा बना दिया। एक अन्य किंवदंती के अनुसार इसे इंदौर की अहिल्‍या बाई की दासी रत्‍ना ने बनवाया था। अपने नाम पर मंदिर का नाम रखने के कारण अहिल्‍या ने शाप दे दिया। तब से यह झुक हुआ है। तीसरी किंवदंती के अनुसार एक पंडे के शाप के कारण यह झुक गया। सच क्या है कहना मुश्किल है। लेकिन सभी किवदंतियों में शाप का जिक्र अवश्य है।

मंदिर में कुछ तो अलौकिक जरूर है

वाराणसी का अनोखा शिव मंदिर अकेला ऐसा मंदिर नहीं, जिसका गर्भगृह अधिकतर डूबा रहता है। कुछ शिव मंदिर नदी से दूर हैं। फिर भी उनके गर्भगृह में नदी के आंतरिक श्रोत से जलाभिषेक होता है। हां, इसका आठ से नौ माह तक डूबा रहना जरूर अचंभित करने वाला है। उससे भी ज्यादा आकर्षण का केंद्र इसका टेढ़ा होना है। दुनिया भर से लोग पीसा की मीनार को देखने जाते हैं। उससे भी अधिक झुकाव लिए इस मंदिर में कुछ खास जरूर है। निश्चय ही इसमें कुछ दैवीय कृपा भी शामिल है। जरूरत है इस पर वैज्ञानिक और ऐतिहासिक शोध की। साथ ही इस महत्वपूर्ण जानकारी के प्रचार-प्रसार की। ताकि आध्‍यात्मिक लोग और जिज्ञासु पर्यटक इसके दर्शन का लाभ उठा सकें।

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