वैदिक मंत्र सबसे सुरक्षित बाकी में फल जल्दी

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भगवान शिव का तीन अंक से संबंध का रहस्य
भगवान शिव का तीन अंक से संबंध का रहस्य।

Vedic mantras are safest, rest give early results :  वैदिक मंत्र सबसे सुरक्षित हैं। बाकी मंत्रों में फल जल्दी मिलता है। वैदिक मंत्र के जप से फायदा थोड़ी देर से मिलता है। हालांकि इसके प्रयोग में खतरा बिल्कुल नहीं है। साथ ही इसमें व्यक्ति की मानसिक और आध्यात्मिक शक्तियां भी बढ़ती हैं। हालांकि साधक को शुरू में इसका पता नहीं चलता है। तंत्र में सफलता जल्दी मिलती है। साथ ही जोखिम भी है। चूक होने पर उलटा फल मिलता है। इस मार्ग की एक और खामी है। चूंकि फल जल्दी मिलता है, इसलिए लोग आध्यात्मिक विकास के बदले सकाम मंत्र करते हैं। इससे उन्हें आध्यात्मिक रूप में कुछ नहीं मिलता है। शाबर में सबसे जल्दी सफलता मिलती है। इसमें खतरा भी उतना ही अधिक है। साथ ही साधक फल के चक्कर में ही उलझा रहता है। आप पढ़ रहे हैं मंत्रों के विज्ञान के बारे में।

व्यक्तिगत उत्थान के लिए हर व्यक्ति कर सकता है

इसे तंत्र और शाबर मंत्रों की कमी के रूप में नहीं लेना चाहिए। यह सामान्य जानकारी मात्र है। तंत्र और शाबर भी समान उपयोगी हैं। सिर्फ मार्ग थोड़ा कठिन है। दोनों मार्ग के बारे में पूर्व के लेखों में विस्तार से जानकारी दे चुका हूं। तंत्र व शाबर मंत्रों में कामना पूर्ति के साथ आध्यात्मिक विकास वाले ढेर सारे मंत्र हैं। उनका निरंतर जप अत्यंत कल्याणकारी होता है। फिलहाल सबसे सरल और निरापद वैदिक मंत्रों की संक्षिप्त जानकारी। इसके लिए गुरु का होना जरूरी नहीं है। व्यक्तिगत उत्थान के लिए सामान्य व्यक्ति भी जप कर सकता है। निजी व पारिवारिक काम में भी यह अत्यंत उपयोगी है। इसी कारण कहा गया है कि वैदिक मंत्र सबसे सुरक्षित।

जानें वैदिक मंत्रों के बारे में

इसमें सबसे छोटा और कल्याणकारी मंत्र ऊं है। इस मार्ग के लगभग सभी मंत्रों में ऊं का उपयोग किया जाता है। जैसे- गायत्री, महामृत्युंजय के साथ ही ऊं वासुदेवाय नम:, ऊं शिवाय नम:, ऊं गणपतये नम: आदि। ये सारे मंत्र अत्यंत कल्याणकारी हैं। वैदिक युग में अधिकतर ऋषि-मुनियों ने इसी मार्ग का अनुसरण किया। राक्षस कुल में जन्म लेकर भी भक्त प्रह्लाद ने इस मार्ग का अनुसरण कर उच्च पद हासिल किया। इसमें पाठ व स्तोत्र भी अत्यंत कल्याणकारी हैं। नवरात्र में अधिकतर घरों में इसी मार्ग से दुर्गा सप्तशती का पाठ होता है। उसमें संपुट पाठ से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। हालांकि सप्तशती का तंत्र मार्ग में भी खूब उपयोग होता है। वैदिक मार्ग के साधक स्नान, ध्यान, आसन, समयबद्धता और आचरण में सात्विकता का ध्यान रखें। जप में श्वास के उतार-चढ़ाव का भी पालन करें। तभी इच्छित फल की प्राप्ति होती है।

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सकाम प्रयोग वाले कुछ मंत्र, स्तोत्र एवं पाठ

कामना पूर्ति के भी वैदिक मंत्र सबसे सुरक्षित हैं। नीचे कुछ प्रमुख मंत्र और पाठ दे रहा हूं। इनका प्रयोग कर मनोकामना की पूर्ति कर सकते हैं। ध्यान रहे कि इसमें नुकसान नहीं है लेकिन फल प्राप्ति के लिए नियमों का पालन अनिवार्य है। अतः मनोकामना पूर्ति के लिए जप से पहले किसी पंडित से विधि-विधान, मंत्रों की शुद्धता आदि को ठीक से समझ लें। चाहें तो किसी योग्य पंडित से इसे करा भी सकते हैं।

महामृत्युंजय मंत्र

जीवन और स्थास्थ्य पर संकट आने पर संकल्पपूर्वक शिव की पूजा करते हुए सवा लाख जप कल्याणकारी होता है। संकट गंभीर हो तो सवा-सवा लाख जप का चार बार तक अनुष्ठान चाहिए। छोटी-मोटी समस्या को मैंने 21 हजार जप से ही दूर होते देखा है। एक घटना साझा करना चाहता हूं। संबंधित परिवार की निजता का ध्यान रखते हुए उनके नाम का जिक्र नहीं कर रहा हूं। पटना के एक दंपति के इकलौते बेटे को डॉक्टरों ने कैंसर बताकर आपरेशन कराने की सलाह दी। साथ ही यह भी बता दिया कि बचने की संभावना नहीं के बराबर है। मां-बाप ने लगातार महामृत्युंजय का चार बार सवा-सवा लाख जप का अनुष्ठान कराकर आपरेशन करवाया। आपरेशन इतनी आसानी से और इतना सफल हुआ कि डॉक्टर भी चमत्कृत रह गए।

राम रक्षा स्तोत्र व गायत्री मंत्र

घर में लगातार परेशानी हो। हर काम में रुकावट हो रही हो। पैसे पास में न टिक रहे हों। ऐसे में प्रतिदिन प्रात:काल स्नान के बाद भक्तिपूर्वक एक ही स्थान पर बैठकर इस स्तोत्र का पाठ करें। जल्दी ही समस्याओं का समाधान अवश्य हो जाएगा। यही स्थिति गायत्री मंत्रों की है। उसे महामंत्र कहा जाता है।

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आदित्य हृदय स्तोत्र

यह अमोघ स्तोत्र है। इसका प्रयोग भगवान राम ने रावण के संहार के समय किया था। युद्ध भूमि में वे बार-बार रावण के सिर काटते थे। दशानन पुन: अट्टहास करते हुए उनके समक्ष खड़ा होकर युद्ध की चुनौती देता था। राम थकने लगे। तब अगस्त्य मुनि ने उन्हें इस स्तोत्र का ज्ञान दिया। कहा कि इसका पाठ कर रावण से युद्ध करें। आपके मनोरथ पूर्ण होंगे। राम ने उनकी बात मानकर स्तोत्र का पाठ किया। इसके बाद उनकी रावण पर निर्णायक जीत हो सकी। यह स्तोत्र शत्रुओं के दमन (कोर्ट-कचहरी में मुकदमा में विजय) के साथ ही स्वास्थ्य लाभ तथा परीक्षा में सफलता दिलाने में अत्यत प्रभावी है। ऐसे प्रयोगों के कारण ही कहा गया कि वैदिक मंत्र सबसे सुरक्षित है।

रुद्र अष्टाध्यायी

इसका प्रयोग अत्यंत लाभकारी है। संकल्पपूर्वक 21 दिन तक शिव की पूजा करते हुए इसका पाठ करें। निश्चय ही घोर संकट से भी छुटकारा मिल जाएगा। घोर संकट का मतलब रोजगार, स्वास्थ्य, आर्थिक आदि किसी भी तरह के संकट से है।

दुर्गा सप्तशती

आमतौर पर लोग नवरात्र में इसका पाठ करते व कराते हैं। परिवार की सुख, समृद्धि और शांति के लिए इसका पाठ अमोघ है। यदि अन्य दिनों में भी 21 या 41 दिन का संकल्प लेकर माता दुर्गा का नियमित पूजन करते हुए तेरहों अध्याय का नित्य पाठ किया जाए तो बड़े से बड़ा लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। इसका प्रयोग कभी निष्फल नहीं होता है।

नोट- वैदिक मंत्र सबसे सुरक्षित संबंधी लेख के साथ ही मंत्रों के विज्ञान की श्रृंखला को फिलहाल विराम दे रहा हूं। इस वेबसाइट में पहले तांत्रिक व शाबर मंत्रों के बारे में कई लेख दिए गए हैं। आप चाहें तो उनका अध्ययन कर लाभ उठा सकते हैं। 

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