भगवान विष्णु के अवतारों में वेदव्यास व मोहिनी भी

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रामायण से सीखें कि किनसे कैसा व्यवहार उचित
रामायण से सीखें कि किनसे कैसा व्यवहार उचित।

Vedvyas and Mohini are also among the incarnation of lord Vishnu : भगवान विष्णु के अवतारों में वेदव्यास व मोहिनी भी। ये उनके दस अवतार से अलग हैं। हालांकि इन अवतारों का भी शास्त्रीय आधार है। ऐसे ही कम चर्चित अवतारों में हयग्रीव और हंस अवतार भी हैं। पिछले अंक में मैंने 12 अवतारों के बारे में बताया था। इस बार प्रस्तुत है शेष 12 अवतार और उनका संक्षिप्त परिचय। शुरुआत मोहिनी अवतार से।

हंस अवतार में दिया उत्तम ज्ञान

परमपिता ब्रह्मा के मानस पुत्र सनकादि ने उनसे मनुष्यों के मोक्ष के बारे में सवाल पूछे। तभी वहां भगवान विष्णु स्वयं हंस रूप में पहुंचे। उन्होंने मोक्ष को लेकर मुनियों के संदेह का निवारण किया। उनसे उत्तम ज्ञान पाकर सभी ने उनकी पूजा की। इसके बाद हंस रूप धारी भगवान अदृश्य होकर अपने धाम चले गए।

देवताओं को अमृत पिलाने को धरा मोहिनी रूप

मोहिनी रूप भगवान विष्णु के अवतारों में है। समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत के लिए देव-दानवों में मारकाट की स्थिति बन गई थी। तब भगवान ने मोहिनी अवतार लिया। उनके रूप से सभी मोहित हो गए। तब उन्होंने नृत्य करते हुए दानवों को सम्मोहित कर देवताओं को अमृत पिला दिया। दैवीय शक्ति के उत्थान और जगत कल्याण के लिए यह बड़ा कदम था।

धर्म की स्थापना व भक्त की रक्षा के लिए नृसिंह रूप

भगवान विष्णु के अवतारों में नृसिंह अवतार प्रमुख है। धर्म स्थापना व भक्त की रक्षा के लिए विष्णु ने लिया नृसिंह अवतार। इस अवतार में उन्होंने दैत्यराज हिरण्यकश्यप का वध किया था। दैत्यराज ने न सिर्फ ईश्वरीय सत्ता को चुनौती दी थी बल्कि उसे मानने वाले की हत्या कर रहा था। इसी क्रम में उसने विष्णु भक्त अपने ही पुत्र प्रह्लाद की भी हत्या की कई बार कोशिश की। तब भगवान ने नृसिंह अवतार लेकर उसका अंत किया।

देवताओं को स्वर्ग लौटाने लिए वामन अवतार

प्रह्लाद के पौत्र दैत्यराज बलि अत्यंत बलशाली थे। उन्होंने स्वर्ग लोक पर अधिकार कर लिया। देवताओं की प्रार्थना पर विष्णु ने वामन अवतार लिया। उन्होंने राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांगा। बलि के हां कहने पर उन्होंने विराट रूप धर लिया। एक पग में धरती, दूसरे में स्वर्ग नाप लिया। जब बलि के पास देने को कुछ नहीं बचा तो अपना सिर आगे कर दिया। तब विष्णु ने सिर पर पग रख उन्हें पाताल लोक भेज दिया। उनकी दानशीलता से प्रसन्न हो उन्हें पाताल लोक का राजा बना दिया।

हयग्रीव अवतार में मधु-कैटभ का वध किया

भगवान विष्णु ने वेदों की रक्षा के लिए हयग्रीव अवतार लिया। इससे पूर्व मधु और कैटभ नामक शक्तिशाली राक्षसों ने ब्रह्मा से वेदों को छीन लिया और पाताल चले गए। तब भगवान ने हयग्रीव का रूप धरा। इस अवतार में उनकी गर्दन और मुख घोड़े के समान थे। हयग्रीव पाताल लोक पहुंचे और मधु व कैटभ का वध कर वेदों को पुन: ब्रह्मा को दे दिया।

हाथी की रक्षा के लिए आए श्रीहरि

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भगवान श्रीहरि हर जीव से प्रेम करते हैं। प्राचीनकाल में त्रिकूट पर्वत की तराई में एक हाथी तालाब में स्नान करने गया। वहां एक मगरमच्छ ने उसका पैर पकड़ लिया और पानी में खींचने लगा। बचाव में हाथी ने खूब संघर्ष किया। जब वह कमजोर पड़ने लगा तो भगवान श्रीहरि का ध्यान किया। उसकी प्रार्थना सुन श्रीहरि प्रकट हुए और अपने चक्र से मगरमच्छ का वध कर दिया। उन्होंने हाथी को अपना पार्षद बना लिया। भगवान विष्णु के अवतारों में इसकी भी चर्चा होती है।

परशुराम अवतार में किया अत्याचारियों का अंत

परशुराम अवतार में भगवान विष्णु ने अत्याचारियों का अंत कर लोगों को मुक्ति दिलाई। उस समय अत्यंत अहंकारी, अत्याचारी और अभिमानी सहस्त्रबाहु का शासन था। आमलोग ही नहीं, ऋषि भी उसके अत्याचार से त्रस्त थे। तब भगवान विष्णु ने महर्षि जमदग्रि के घर में उनके पुत्र परशुराम के रूप में जन्म लिया। उन्होंने 21 बार दुष्ट राजाओं का नाश किया। भगवान विष्णु के अवतारों में इसे मुख्य अवतार माना गया है।

राम अवतार में रावण के अत्याचारों से मुक्ति दिलाई

भगवान विष्णु ने राम अवतार में रावण के अत्याचारों से मुक्ति दिलाई। त्रेता युग में राक्षस राज रावण का बहुत आतंक था। उसके अत्याचारों से मानव तो क्या ऋषि-मुनि, देवता, गंधर्व सभी त्रस्त थे। भगवान विष्णु ने राजा दशरथ के यहां पुत्र राम के रूप में जन्म लिया। इस अवतार में उन्होंने रावण समेत अनेक दुष्टों व राक्षसों का वध किया और मर्यादा का पालन करते हुए अपना जीवन यापन किया।  भगवान विष्णु के अवतारों में इसे मर्यादा पुरुषोत्तम का नाम दिया गया है।

वेदव्यास अवतार में बनाए वेदों के विभाग

भगवान विष्णु ने महर्षि वेदव्यास अवतार में मनुष्य की क्षमता के अनुसार वेदों के विभाग बनाए। ताकि हर आदमी अपनी क्षमता और जरूरत के अनुसार उसका लाभ ले सके। उन्होंने ही महाभारत समेत कई ग्रंथों की रचना की। वे भगवान विष्णु के कलावतार कहे जाते हैं। उनका एक नाम कृष्णद्वैपायन भी था।

अब तक के अवतारों में सबसे श्रेष्ठ श्रीकृष्ण

भगवान विष्णु का श्रीकृष्ण अवतार सर्वश्रेष्ठ है। इस अवतार में उन्होंने खुद बड़े संकट झेले। फिर भी अधर्मियों का नाश किया। महाभारत जैसे युद्ध में मुख्य भूमिका निभाई। युधिष्ठिर को सिंहासन पर बैठाकर धर्म की पुनः स्थापना कराई। मनुष्य को गीता जैसा अद्भुत ज्ञान दिया। अनेक चमत्कार किए। कुरीतियों व अंधविश्वास को दूर किया। कई चमत्कार भी किए। अंत में कर्म फल का भोग अनिवार्य होने का संदेश देकर गोलोक गमन किया।

बुद्ध अवतार को लेकर अलग-अलग कथाएं

भगवान के बुद्ध अवतार को लेकर दो अलग-अलग कथाएं हैं। इसमें तो कोई विवाद नहीं है कि वे बौद्ध धर्म के संस्थापक थे। लेकिन स्थान, जन्म और उनके कार्यों को लेकर कुछ मतभेद हैं। विषय अलग होने के कारण उसके विवरण में नहीं जा रहा हूं। यह तय है कि महात्मा बुद्ध को विष्णु का अब तक का अंतिम अवतार माना जाता है।

अब कल्कि रूप में अवतरित होंगे भगवान

भगवान विष्णु के अवतारों में इसे अभी आना है। युग समाप्ति के समय कल्कि रूप में विष्णु अवतरित होंगे। भागवत पुराण के अनुसार इस अवतार में वे आठ सिद्धियों और समस्त गुणों से युक्त होंगे। पुराणों के अनुसार उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के संभल में विष्णुयशा सदाचारी ब्राह्मण के घर उनका जन्म होगा। वे दुष्टों का संहार कर धरती को पापियों से मुक्त करेंगे। इस तरह धर्म की स्थापना कर सतयुग का मार्ग प्रशस्त करेंगे।

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