Vijaya Ekadashi to destroy sins and win : पापों का नाश करने और विजय दिलाने वाली है विजया एकादशी। यह इस बार मंगलवार नौ मार्च को पड़ रही है। वैसे तो इसकी शुरुआत आठ मार्च को ही दोपहर बाद हो जाएगी। सूर्योदय के आधार पर इसे नौ मार्च को मनाना उचित होगा। इस दिन व्रत कर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। कई लोग इसकी कथा भी सुनते हैं। कथा को भी अत्यंत कल्याणकारी माना गया है। दिन में व्रत कर शुद्ध शाकाहारी भोजन करना चाहिए। इस दौरान चावल और जौ का किसी भी रूप में सेवन वर्जित है। यदि रात में भी व्रत रख सकें या कम से कम जागरण कर सकें तो इसका बहुत अधिक फल मिलता है।
ब्रह्मा ने नारद को बताया इसका महात्म्य
देवर्षि नारद ने प्रजापति ब्रह्मा से फाल्गुन कृष्ण एकादशी के महात्म्य के बारे में पूछा। जगत पिता ने कहा कि इसे विजया एकादशी कहा जाता है। इस दिन व्रत कर भगवान विष्णु की पूजा करने वाले के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। उसे हर जगह जीत मिलती है। कठिन से कठिन स्थिति में भी उसकी हार नहीं होती है। रात्रि जागरण करने पर और अधिक फल मिलता है। इसी कारण इसे विजया एकादशी कहा जाता है। यह पापों का नाश करने और विजय दिलाने वाली है। इस व्रत को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने भी किया था। उन्होंने रावण पर विजय पाने के लिए समुद्र पर पुल बनाने से पहले एकदशी का व्रत व पूजन किया था। उन्हीं से संबंधित कथा का श्रवण भी कल्याणकारी माना जाता है। हालांकि शास्त्रों में इसकी खास चर्चा नहीं है। इसलिए यहां कथा नहीं दे रहा हूं।
जानें व्रत और पूजन विधि
इस एकादशी को मनाने के लिए एक रात पहले सात्विक भोजन करें। उसी दिन सोना, चांदी, तांबा या मिट्टी का एक घड़ा लें। घड़े को जल से भर दें। उसमें आम के पांच पल्लव रख वेदिका पर स्थापित करें। घड़े के नीचे सतनजा (सात तरह के अनाज का मिश्रण) और ऊपर जौ रखें। उस पर श्री नारायण की स्वर्ण की मूर्ति स्थापित करें। एकादशी के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर धूप, दीप, नैवेद्य, नारियल आदि से भगवान की पूजा करें। फिर उसी स्थान पर घड़े के सामने अगले दिन का सूरज निकलने तक का समय बिताएं। इस दौरान आवश्यक कार्यों के लिए उठा जा सकता है। यह तरीका साधकों के लिए है। सामान्य गृहस्थ तारे देखकर व्रत तोड़ लेते हैं। उन्हें भी संभव हो तो रात्रि जागरण करना चाहिए। हालांकि यह अनिवार्य नहीं है। रात के भोजन में चावल और जौ निषिद्ध है।
विजया एकादशी के शुभ मुहूर्त
विजया एकादशी पापों का नाश करने और विजय दिलाने वाली है। इस वर्ष फाल्गुन कृष्ण एकादशी तिथि आठ मार्च को दोपहर बाद 03.44 बजे शुरू होगी। चूंकि इससे पूर्व और सूर्योदय दशमी तिथि में होगी। ऐसे में एकादशी का सूर्योदय नौ मार्च मंगलवार को होगा। अतः उसी दिन एकादशी मानी जाएगी। एकादशी का समापन भी दिन 03.02 बजे हो जाएगा। फिर भी व्रत जारी रहना चाहिए। उसका पारण का सही समय 10 मार्च को सुबह 06.36 से 08.58 बजे तक होगा। इस एकादशी को अवश्य करें।
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