ऐसे करें गणेश जी की उपासना, मिलेगा मनचाहा फल

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ऐसे करें गणेश जी की उपासना, मिलेगा मनचाहा फल
ऐसे करें गणेश जी की उपासना, मिलेगा मनचाहा फल।

Worship Ganesh ji like this and get desired result : ऐसे करें गणेश जी की उपासना, मिलेगा मनचाहा फल। गणेश को प्रथमपूज्य और विघ्नहर्ता यूं ही नहीं कहते। उनकी उपासना जीवन में चमत्कार करने में सक्षम है। आवश्यकता है श्रद्धा के साथ पूजन विधि की सटीक जानकारी की। अलग-अलग कामनाओं के लिए पूजा विधान भी अलग है। उनके मंत्र अलग हैं और उनकी प्रतिमा भी अलग तरह की होनी चाहिए। भिन्न द्रव्यों से बने गणपति की स्थापना का फल भी भिन्न है। उनके मंत्रों व पूजन विधियों के बारे में पहले के लेखों में दे चुका हूं। इस बार गणेश चतुर्थी के अवसर पर विभिन्न प्रकार के स्वरूपों की पूजा के फल दे रहा हूं। यह अत्यंत कल्याणकारी विधि है।

मिट्टी या चंदन की लकड़ी से बने गणेश की पूजा से सर्व सिद्धि

मिट्टी के गणेश की पूजा से सर्व कार्य सिद्धि होती है। इसमें कंकड़ या कोई भी अन्य चीज रहित साफ मिट्टी लें। उससे घर में गणेश जी को बनाएं। इसे बना-बनाया भी बाजार से खरीद सकते हैं। उसे पूजा स्थान पर स्थापित करें। फिर प्रतिदिन उनकी पूजा करें। लक्ष्य प्राप्ति तक प्रतिदिन पूजा करें। पूजा के बाद कामना मंत्र का जप करें। अर्थात जो कामना हो उसके लिए वैसे ही मंत्र का जप करें। इसमें गं या ऊं गं गणपतये नमः। सर्वमनोकामना पूर्ति में प्रभावी है। इसी तरह लाल चंदन की लकड़ी से दशभुजा वाले गणेश को बनाकर पूजन अत्यंत कल्याणकारी है। इससे राजराजेश्वरी श्री आद्याकालिका की शराणगति तक संभव है। इनकी पूजा के बाद गणेश गायत्री मंत्र का जप कर सकते हैं। मंत्र है- ऊं एकदंताया विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुद्धि प्रचोदयात।

गुड़ और सप्तधान्य से लक्ष्मी की प्राप्ति

ऐसे करें गणेश जी की पूजा में जानें गुड़ का गणेश के बारे में। इनकी पूजा करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। उन्हें हेरंब गणेश कहा जाता है। स्फटिक के गणेश की पूजा से भी यह फल मिलता है। पूजा के बाद गणपतिर्विघ्नराजो लंबतुंडो गजाननः। द्वैमातुरश्च हेरंब एकदंतो गणाधिपः। विनायकश्चारुगर्णः पशुपालो भवात्मजः मंत्र का जप अवश्य करें। वक्र तुंडाय हुम का जप भी कारगर है। इसमें विधि का ध्यान रखें। सात तरह के अनाज को पीसकर उनके गणेश बनाकर पूजा करने से भी आर्थिक लाभ होता है। इससे रोजगार की भी प्राप्ति होती है। इसमें पूजा के बाद ऊं श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं वशमानय स्वाहा मंत्र का जप करें। चाहें तो ऊं यक्षाय कुबेराय वैश्रवाणाय, धन धान्याधिपतये। धन धान्य समृद्धि में देहि दापय स्वाहा मंत्र का भी जप कर सकते हैं। दोनों ही मंत्र कल्याणकारी हैं।

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शत्रु दमन के लिए कलहप्रिय या शत्रुंजय गणेश

शत्रु दमन के लिए नमक से निर्मित गणेश की पूजा अत्यंत उपयोगी है। उन्हें कलहप्रिय गणेश कहा जाता है। इस पूजा से शत्रु परेशान होते हैं। यहां तक कि वे आपस में ही लड़ने लगते हैं। इसी तरह कड़ूवे की नीम की लकड़ी से गणेश का पूजन करने से शत्रु पर विजय मिलती है। उन्हें शत्रुंजय गणेश कहा जाता है। पूजा के बाद ऊं गं गणपतये सर्वविघ्न हराय सर्वाय सर्वगुरवे लंबोदराय ह्रीं गं नमः। जप करना चाहिए।

श्वेतार्क और उच्छिष्ठ गणेश

ऐसे करें गणेश जी की उपासना में पढ़ें श्वेतार्क गणेश के बारे में। सफेद आक की जड़ या लाख से गणेश बनाकर उनका पूजन अत्यंत कल्याणकारी होता है। कई बार 12 साल पुराने आक के जड़ में स्वतः गणेश जी की आकृति बन जाती है। गणेश का वह रूप सर्वकामना पूर्ति में सक्षम है। वैसे सामान्य आक से बने गणेश जी भी भूमि और लाभ दिलाने में अत्यंत प्रभावी हैं। गुरु पुष्य नक्षत्र में आक की जड़ उखाड़ कर इसे बनाएं। लाख के गणेश बनाकर पूजन दांपत्य सुख के लिए रामबाण है। इससे गृह क्लेश से भी मुक्ति मिलती है। स्फटिक गणेश के पूजन से धन-धान्य और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। सभी में पूजा के बाद ऊं ह्रीं गं हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा। (इस दौरान भगवान को चढ़ाए भोग में से लौंग, इलायची, मिस्री आदि कुछ मुंह में रख लें) मंत्र जप करें।

विवाह के लिए हरिद्रा और संतान के लिए संतान गणेश

गणेश विवाह से लेकर संतान तक में आने वाली बाधा भी दूर करते हैं। यदि विवाह में समस्या हो रही हो तो हल्दी की जड़ से या आटे में हल्दी मिलाकर गणेश प्रतिमा बनाएं। फिर उनकी पूजा करें। इसके बाद ऊं हुं गं ग्लौं हरिद्रा गणपतये वरवरद सर्वजन हृदयं स्तंभय स्तंभय स्वाहा। मंत्र का जप करें। संतान प्राप्ति के लिए मक्खन से गणेश बनाकर पूजन करें। ऐसे करें गणेश जी का पूजान। फिर निम्न स्तोत्र का पाठ करें।

ऊं नमोस्तु गणनाथाय सिद्धिबुद्धि प्रदाय च। सर्वप्रदाय देवाय पुत्रवृद्धि प्रदाय च।

गुरुदाराय गुरवे गोप्त्रे गुह्यसिताय च। गोप्याय गोपितशेषभुवनाय चिदात्मने।

विश्वमूलाय भाव्याय विश्वसृष्टि करायते। नमो नमस्ते सत्याय सत्यपूर्णाय शुण्डिने।

एकदंताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नमः। प्रपन्नजनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने।

शरणं भव देवेश संततिं सुद्रढां कुरु। भविष्यंति च ये पुत्रा मत्कुले गणनायक।

ते सर्वे तव पूजार्थे निरताः स्युर्वरो मतः। पुत्रप्रदमिदं स्तोत्रं सर्वसिद्धिप्रदायतकं।

विघ्नराज, वाक्पति और गोबरगणेश भी कल्याणकारी

विघ्नराज गणेश का सातवां अवतार है। इस रूप में इनकी पूजा करने वाले से विघ्न-बाधा हमेशा दूर रहते हैं। इसके लिए गणेश के सामान्य रूप की पूजा करें। फिर गं क्षिप्रप्रसादनाय नमः मंत्र का जप करें। वाक्पति गणेश के लिए भोजपत्र पर केसर से उनका प्रतिमा चित्र बनाकर पूजा करें। इससे विद्या प्राप्त होती है और वाक् सिद्धि मिलती है। गोबर से गणेश बनाकर पूजा करना भी अत्यंत कल्याणकारी होता है। इससे धन-धान्य की प्राप्ति होती है। खासकर पशु धन के लिए चमत्कारिक है। ध्यान रहे कि गोबर सिर्फ गाय का हो।

नोट- ऐसे करें गणेश जी की पूजा.. लेख में दी गई जानकारी सामान्य रूप से है। इस रूप में पूजन के बाद मंत्र का न्यूनतम 108 जप अनिवार्य है। स्तोत्र में 11 बार पाठ करना चाहिए। इसे शुरू करने से पहले शुभ तिथि और योग अवश्य देख लें। योग्य पंडित से सलाह करना श्रेयस्कर होगा। मुझसे भी मेल पर संपर्क कर सकते हैं।

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