श्रीलक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी के दर्शन मात्र से होते हैं रोग दूर

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Diseases are cured just by Darshan of Sri Lakshmi Narsimha Swami : श्रीलक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी के दर्शन मात्र से होते हैं रोग दूर। तेलंगाना में स्थिति इस मंदिर में भगवान विष्णु पांच रूपों में स्थापित हैं। यदाद्री बालाजी के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर पहाड़ी श्रृंखला के बीच में है। हैदराबाद से मंदिर 68 किलोमीटर दूर नलगोंडा जिले में है। पौराणिक काल से संबंधित यह मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र है। पहले भी यह क्षेत्र अत्यंत आकर्षक था। तेलंगाना के गठन के बाद राज्य सरकार ने इसे भव्य रूप दिया है। प्राचीन मंदिर नौ एकड़ में था। 1800 करोड़ रुपये खर्च कर मंदिर व परिसर 1900 एकड़ का कर दिया गया है।

पंच नरसिम्हा क्षेत्रम

तेलंगाना सरकार के कार्य से अब श्रीलक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी मंदिर की सुंदरता देखते ही बनती है। विशेष रूप से रात में मंदिर की भव्यता अद्भुत लगती है। पहले इस मंदिर का नाम यादगिरी गट्टा था। अब यह छोटे संबोधन यदाद्री के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर में भगवान विष्णु पांच रूपों में दिखते हैं। उनके नाम है- ज्वाला नरसिम्हा, योगानंद नरसिम्हा, गंधर्वनंदा नरसिम्हा, उग्र नरसिम्हा और लक्ष्मी नरसिम्हा। यही कारण है कि यदाद्री को पंच नरसिम्हा क्षेत्रम भी कहा जाता है। मंदिर का गोपुरम विशाल है। मुख्य मंदिर गुफा में स्थित है। इसमें भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र सोने के बना है। इसकी कथा स्कंद पुराण में भी वर्णित है।

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दर्शन मात्र से होते हैं रोग-दुख दूर

श्रीलक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी के मंदिर की कथा अद्भुत है। इसके अनुसार भगवान विष्णु यहां नरसिम्हा वैद्य के रूप में आए थे। उन्होंने बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के रोग-दुख चुटकियों में दूर किए थे। आज भी नरसिम्हा भगवान के दर्शन मात्र से लोगों के रोग-दुख दूर हो जाते हैं। यहां रोगियों व दुखी लोगों का इलाज फल, फूल और तुलसी तीर्थम से होता है। साथ ही भक्तगण मंडल भी करते हैं। इसमें 40 दिनों तक मंदिर परिसर की परिक्रमा की जाती है। तिरुपति मंदिर की तरह इसमें भी श्रद्धालु भगवान को बाल अर्पित करते हैं। मंदिर में हमेशा भीड़ रहती है। शीघ्र दर्शन के लिए 100 रुपये का टिकट लगता है। इसमें दो लड्डू प्रसादम भी मिलता है।

11 दिन का ब्रह्मोत्सवम है मुख्य उत्सव

मंदिर में हर साल 11 दिनों तक चलने वाला ब्रह्मोत्सवम मनाया जाता है। यही यहां का मुख्य उत्सव है। मार्च माह के आसापास होने वाले उस उत्सव में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ती है। इस दौरान भगवान नरसिम्हा का श्रीलक्ष्मी से विवाह होता है। इसके लिए देवताओं का आमंत्रित किया जाता है। इसमें मत्स्य अवतार से लेकर श्रीकृष्ण अवतार के रूप में नरसिम्हा स्वामी के दर्शन होते हैं। भारी भीड़ के कारण इस दौरान भगवान के दर्शन अत्यंत कठिन होते हैं। हालांकि मंदिर प्रशासन की ओर से श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कई तरह की व्यवस्था की जाती है। फिर भी बाहर के श्रद्धालुओं को इस दौरान वहां जाने से बचना चाहिए।

दर्शन समय, कैसे पहुंचें

श्रीलक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी के मंदिर में सुबह चार बजे ही पूजा प्रारंभ होती है। हालांकि उस समय आम श्रद्धालुओं का प्रवेश प्रतिबंधित होता है। उनके लिए दर्शन का समय सुबह 7.15 से शुरू होता है। दोपहर बाद तीन से चार बजे तक मंदिर के कपाट बंद रहते हैं। शाम चार से पांच बजे तक विशिष्ट दर्शन का समय रहता है। पांच बजे से रात्रि 9.45 बजे तक पुनः आम श्रद्धालु दर्शन कर सकते हैं। हैदराबाद से बस या टैक्सी लेकर मंदिर पहुंच सकते हैं। लोकल ट्रेन से भुवनगिरी या रायगीर स्टेशन पहुंचें। वहां से आटो आदि कर मंदिर पहुंच सकते हैं। सिकंदराबाद से भी वारंगल जाने वाली ट्रेन से पहुंचा जा सकता है।

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