हृदय रोग और स्पांडलाइटिस में लाभदायक योग

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हृदय रोग और स्पोंडलाइटिस में लाभदायक योग
हृदय रोग और स्पोंडलाइटिस में लाभदायक योग।

Yoga is beneficial in heart disease and spondylitis : हृदय रोग और स्पांडलाइटिस में लाभदायक है योग। सीधे बैठकर दोनों पैर सामने फैलाएं। कमर व गर्दन सीधी रहे। अंगूठे को मोड़कर उंगलियों से दबाते हुए दोनों हाथों की मुट्ठियां बंद करें। उन्हें कंधे की ऊंचाई पर लाते हुए पैरों के समानांतर सामने की ओर फैलाएं। कोहनियां सीधी रखते हुए तथा कलाई को यथासाध्य स्थिर रखें। मुट्ठियों को बारी-बारी से गोलाई में पहले दाएं और फिर बाएं घुमाएं। इसे पांच-पांच बार दोनों दिशा में करें। आधे मिनट का विश्राम लें। फिर दोनों हाथों की हथेलियों को ऊपर की ओर करते हुए हाथों को सामने की ओर फैलाएं। कोहनी को मोड़ते हुए हाथों की उंगलियों से दोनों कंधे को स्पर्श करें। इसी तरह से हाथों को बगल में कंधे के समानांतर लाकर कोहनी मोड़ते हुए उंगलियों से कंधों को छूएं। पुनः आधा मिनट का विश्राम लें।

हृदयरोग व स्पांडलाइटिस में आराम के लिए

दोनों हाथों का सामने फैलाएं। हथेलियां ऊपर की ओर रहे। दोनों कोहनियों को छाती के सामने मिलाते हुए वृत्ताकार में घुमाते हुए बड़ा शून्य (गोल घेरा) बनाएं। यह विपरीत दिशा में भी करें। इसे पांच-पांच बार करें। आधा मिनट का विश्राम लें। फिर हाथों को सीने की ऊंचाई तक उठाएं। उन्हें सीने के पास लाकर मुट्ठी बांधकर एक-दूसरे से मिला लें। इसमें बंद मुट्ठी में उंगलियों के पीछे का हिस्सा ही एक-दूसरे को स्पर्श करे। फिर धीरे-धीरे सांस लेते हुए छाती में हवा भर लें। उंगलियां आपस में मिली रहे। उंगलियों को उसी तरह स्पर्श करते हुए हाथों को सामने सीने की ऊंचाई तक खोलें। अब सांस धीरे-धीरे छोड़ते हुए हाथों को पूर्ववत सीने के पास लाएं। यह पांच से सात बार दोहराएं। इससे हृदय मजबूत होता है। शिराएं खुलती हैं। रक्त प्रवाह सामान्य होता है। इससे हृदय रोग और स्पांडलाइटिस में फायदा मिलता है।

गले की मजबूती के लिए, स्पांडलाइटिस में फायदा

शांत चित्त होकर सीधे बैठें। कमर सीधी रहे। आंखें आधी बंद या अधखुली रहनी चाहिए। अब गर्दन को दाईं ओर घुमाते हुए सिर के हिस्से को कंधे से लगाएं। इसी तरह की क्रिया उलटी दिशा में करते हुए बाएं कंधे से लगाएं। इसके बाद गर्दन को आगे की ओर झुकाते हुए ठुड्डी को छाती से लगाएं। फिर धीरे-धीरे यथाशक्ति पीछे झुकाएं। दोनों क्रियाओं को पांच-पांच बार दोहराएं। अंत में गर्दन को वृत्ताकार में पहले दाईं फिर बाईं ओर पांच-पांच बार घुमाएं। आधा मिनट का विश्राम लें। पुनः सीधे बैठें। बाएं हाथ की हथेली को दाईं ओर कान से ऊपर सिर पर रखकर हाथ से सिर के आगे की ओर धकेलें। इसी दौरान सिर से हाथ पर प्रतिकूल दिशा में दबाव डालें। ध्यान रहे कि इस प्रक्रिया में सिर लगभग स्थिर रहे। इसे दूसरी ओर से भी करें। यह प्रक्रिया पांच-पांच बार हो।

हाथ और सिर का विपरीत दबाव अत्यंत लाभकारी

सिर से हाथ को और हाथ से सिर को प्रतिकूल दिशा में दबाने से गले के पास एक कंपन सा होता है। अंत में दोनों हाथ की उंगलियों को एक-दूसरे से फंसाते हुए सिर के पीछे ले जाकर आगे की ओर दबाव बनाएं। इस दौरान सिर को हाथ की दिशा में दबाएं। इस विपरीत दबाव से भी गले के पास कंपन सा होगा। ध्यान रहे कि सिर दबाव से अप्रभावित लगभग सीधे व स्थिर रहें। गला व सिर खास हिले नहीं। इस तरह के विपरीत दबाव व कंपन से गले की मांसपेशियां और शिराएं मजबूत होती हैं। रक्त प्रवाह सुचारु होता है। इसका सकारात्मक असर मस्तिष्क की क्षमता पर भी पड़ता है। स्पांडलाइटिस में भी आराम मिलता है। इसका नियमित अभ्यास अत्यंत लाभकारी है। हृदय रोग और स्पांडलाइटिस में रामबाण की तरह है।

आंखों के लिए उपयोगी सूक्ष्म यौगिक क्रियाएं

आंख शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से है। दुर्भाग्य से सामान्य व्यायाम में उपेक्षित रहता है। योग में इसके लिए सटीक क्रियाएं हैं। इनके निरंतर अभ्यास से नेत्र रोग पास भी नहीं फटक पाएगा। यदि नेत्र रोग की चपेट में पहले ही आ जाएं तो लाभ होगा। इस सूक्ष्म यौगिक क्रियाओं का निरंतर अभ्यास करें। बीमारी काफी हद तक नियंत्रित रहेगी। इसके लिए शांत चित्त बैठें। गर्दन सीधी रहे। पहले आंखों की पुतलियों को दाएं से बाएं घुमाएं। फिर बाएं से दाएं घुमाएं। इसके बाद ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर घुमाएं। अंत में बारी-बारी से दाएं से बाएं और बाएं से दाएं गोल-गोल घुमाएं।

नोट- इस अंक में आपने पढ़ा हृदय रोग और स्पांडलाइटिस में लाभदायक है योग। विषय को रोचक और पठनीय बनाए रखने के लिए कुछ दिनों के लिए इसे विराम दे रहा हूं। तब तक अन्य विषयों को पढ़ें।

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