Know About Us : जानें हमारे बारे में कि हम धर्म और अध्यात्म का फायदा हर व्यक्ति तक किस तरह पहुंचाना चाहते हैं। अधिकतर लोग इसे सिर्फ आस्था और भक्ति से जोड़ते हैं। उनकी नजर में इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। सच इसके विपरीत है। यह शुद्ध विज्ञान है, बल्कि यूं कहें कि विज्ञान का पूर्ण विकसित रूप है। दुर्भाग्य है कि पिछली कई सदियों से विदेशी आक्रणकारियों के कारण हमारा अर्म और अध्यात्म विज्ञान की मूल धारा से भटक कर सिर्फ आस्था और अंधभक्ति से जुड़ गया। इसका ठगों और धर्म विरोधी लोगों ने खूब फायदा उठाया।
ठगों और धर्नेम विरोधियों ने इसे व्यापार बना दिया। इसे विज्ञान से दूर कर दिया और कहा कि यह आस्था का विषय है। इस पर तर्क नहीं किया जा सकता। वास्तव में ऐसे ही लोग हिंदू धर्म और अध्यात्म के दुश्मन हैं। यही कारण है कि डरे हुए लोग मंदिरों में और बाबाओं को पास भीड़ लगाकर अपनी समस्याओं का इलाज खोजते हैं। जाहिर है कि उनमें से अधिकतर को निराशा हाथ लगती है।
खूब तर्क करें, वैज्ञानिक कसौटी पर कसें
धर्म और अध्यात्म पर न सिर्फ तर्क किया जा सकता है बल्कि उसे वैज्ञानिकता की कसौटी पर भी कसा जा सकता है। जब पूरी प्रकृति, जीव-जंतु और मनुष्य, यहां तक कि भगवान भी कर्म और फल से बंधे हुए हैं तो फिर धर्म और अध्यात्म तर्क का विषय क्यों नहीं हो सकता? न्यूटन के प्रसिद्ध तीसरे सिद्धांत—प्रत्येक क्रिया के विपरीत समान प्रतिक्रिया होती है, को देखें। पूरी प्रकृति ही क्रिया और प्रतिक्रिया से बंधी हुई है।
दरअसल पोंगापंथी कहते हैं कि मनोकामना पूरी करनी हो तो फलाना पूजा-अनुष्ठान करो। पितरों को मुक्ति दिलानी है तो श्राद्ध करो। यह सब कुछ फल की इच्छा से की गई क्रिया ही तो है। फिर इसमें तर्क-वितर्क क्यों नहीं होना चाहिए? क्यों नहीं उसको वैज्ञानिकता की कसौटी पर कसना चाहिए? इसी उद्देश्य के लिए इस वेबसाइट की शुरूआत की गई है। इसका मकसद धर्म और अध्यात्म को आधुनिकता एवं वैज्ञानिक कसौटी पर कसना है। तभी हिंदू धर्म को उसका खोया हुआ सम्मान मिलेगा और मानवता का कल्याण होगा। हम धर्म और विज्ञान को तार्किक कसौटी पर भी कसेंगे। इसके साथ ही जन हितकारी प्राचीन ज्ञान की भी जानकारी देंगे। तभी लोगों को वास्तविक फायदा होगा। इससे वे न सिर्फ अना कल्याण कर सकेंगे, बल्कि शांति भी पा सकेंगे।