who is the wife of hanuman : कौन हैं हनुमान की पत्नी? कहां है दोनों का मंदिर? यह सवाल सुनने में अटपटा लगता है। क्योंकि हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी माने जाते हैं। सवाल है कि क्या हनुमान जी ब्रह्मचारी नहीं हैं? यदि हैं तो पत्नी कैसे हुई? पत्नी के साथ उनका मंदिर कैसे? यदि मंदिर है तो शादी अवश्य हुई होगी। शादी हुई तो बाल ब्रह्मचारी कैसे हुए? आपको जानकर आश्चर्य होगा कि दोनों बातें सही हैं। इसके पौराणिक प्रमाण हैं। यह अकाट्य तथ्य है कि हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी हैं। यह भी सही है कि उन्होंने विधिवत विवाह किया। चकरा गए न परस्पर विरोधी बातें सुनकर। आपको ज्यादा उलझन में न देकर इस रहस्य को खोल रहा हूं।
दूर होता है दांपत्य जीवन का विवाद
हनुमान जी की पत्नी का नाम सुवर्चला है। तेलांगना के खम्मन जिले में यह मंदिर है। इसमें हनुमान जी के साथ उनकी पत्नी की प्रतिमा विराजमान है। मंदिर के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। मान्यता है कि मंदिर के दर्शन से पति-पत्नी के बीच चल रहे विवाद समाप्त हो जाते हैं। उनके दर्शन के बाद यदि कोई जानबूझ कर विवाद की शुरुआत करता है, तो उसका बुरा हस्र होता है। हनुमानजी के विवाह और बाल ब्रह्मचारी दोनों साथ-साथ होने की पौराणिक कथा नीचे है। पराशर संहिता में खास परिस्थिति में विवाह का स्पष्ट जिक्र है। विशेष परिस्थितियों के कारण ही हनुमान जी को महान तपस्विनी सुवर्चला के साथ विवाह बंधन में बंधना पड़ा।
सूर्य की पुत्री हैं हनुमान की पत्नी
हनुमान जी ने सूर्य को अपना गुरु बनाया था। वे सूर्य से शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। सूर्य कहीं रुक नहीं सकते थे। अतः हनुमान जी को सूर्य के रथ के साथ उड़ना पड़ता था। सूर्य उन्हें तरह-तरह की विद्याओं का ज्ञान देते थे। ज्ञान पाने के लिए हनुमान का समर्पण देख सूर्य प्रभावित थे। उन्होंने हनुमान जी को पांच तरह की अद्भुत विद्याओं का ज्ञान दिया। शेष चार के लिए धर्मसंकट था। वे विद्याएं विशेष थीं। उन्हें केवल विवाहित को ही सिखाए जा सकते थे। अतः जानें कि कौन हैं हनुमान की पत्नी।
नाममात्र के लिए दांपत्य जीवन में बंधे
हनुमानजी का जन्म जगत कल्याण के लिए हुआ था। उन्हें हर तरह की शिक्षा का ज्ञान होना जरूरी था। हनुमानजी पूरी शिक्षा लेने का प्रण कर चुके थे। इससे कम के लिए वे तैयार नहीं थे। इधर भगवान सूर्य के सामने संकट था। वे धर्म के अनुशासन के कारण किसी अविवाहित को वे चारों विद्याएं नहीं सिखा सकते थे। साथ ही यह भी जानते थे कि जगत कल्याण के लिए उन्हें ज्ञान देना आवश्यक है। ऐसे में सूर्य ने हनुमानजी को विवाह की सलाह दी। अपने प्रण को पूरा करने के लिए हनुमान राजी हो गए। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि वे सिर्फ शास्त्रीय रूप से विवाह करेंगे। इसके बाद भी रहेंगे पूरी तरह से ब्रह्मचारी। अब संकट यह था कि उनके लिए वधू कौन हो? वह कभी दांपत्य जीवन का सुख भोग नहीं सकेगी। इस समस्या को लेकर सभी सोच में पड़ गए।
विवाह के बाद पत्नी तपस्या में रत हो गईं
इस समस्या का हल भी सूर्यदेव ने ही निकाला। उनकी तेजस्वी पुत्री सुवर्चला तपस्या में लीन रहती थीं। उनकी दुनियादारी में रुचि नहीं थी। सूर्यदेव ने सूवर्चला को सारी समस्या बताई। साथ ही हनुमानजी के साथ शादी के लिए तैयार किया। इसके बाद हनुमानजी ने विवाह किया। इसके बाद शिक्षा पूर्ण की। सुवर्चला भी विवाह के बाद पुन: तपस्या में रत हो गईं। इस तरह हनुमानजी शादी के बंधन में बंध गए। हालांकि शारीरिक रूप से वे ब्रह्मचारी ही हैं। अब आपने जान लिया कि कौन हैं हनुमान की पत्नी।
दोनों के दर्शन से दांपत्य जीवन की समस्याएं होती हैं दूर
दो महान विभूतियों के दांपत्य जीवन का प्रतीक मंदिर बना। उसमें दोनों की प्रतिमा साथ स्थापित हैं। यह मंदिर आध्यात्मिक शक्ति का बड़ा केंद्र है। चूंकि दोनों का विवाह ही समस्या के हल के लिए हुआ था, इसलिए यह मंदिर भक्तों की समस्याओं खासकर दांपत्य जीवन की परेशानियों के हल के लिए विख्यात है। कहा जाता है कि मंदिर प्रांगण में हुआ समझौता अटल होता है। इसे भंग करने की कोशिश करने वाले को उसका कुफल भोगना पड़ता है। मान्यता है कि इस मंदिर में पत्नी सहित हनुमानजी का दर्शन करने वाले दंपतियों के बीच प्रेम बना रहता है। उन्हें परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता। यही कारण है कि मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है।
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