Glory of Bel tree and importance in worship of Shiva : बेल वृक्ष की महिमा और शिव पूजा में महत्व को जानें। बेल वृक्ष की महिमा अपरंपार है। इसका न सिर्फ धार्मिक अपितु वैज्ञानिक रूप से भी काफी महत्व है। इसलिए पूर्वकाल से ही बेल को लगाने, उसके संरक्षण और दैनिक जीवन में उपयोग की सराहना की गई है। यह है भी गुणों की खान। वैसे तो इसका सालों भर उपयोग होता है लेकिन सावन के लिहाज से इसका इसलिए भी महत्व है कि बेल पत्र को शिवजी की पूजा में बहुत उपयोगी माना जाता है। आइए जानें कि बेल को क्यों महत्वपूर्ण माना जाता है? इसकी क्या-क्या खूबियां हैं?
इस वृक्ष के पास सांप नहीं आते
इसकी प्रमुख खूबियों में यह है कि इस वृक्ष के आसपास सांप नहीं आते। मान्यता है कि अगर किसी की शव यात्रा बेल वृक्ष के नीचे से होकर गुजरे तो उसको मोक्ष मिल जाता है। वायुमंडल में व्याप्त गंदगी को सोखने की क्षमता सबसे अधिक बिल्व वृक्ष में होती है। चार, पांच, छः या सात पत्तों वाले बिल्व पत्र पाने वाला परम भाग्यशाली होता है। ऐसे पत्रक को शिव को अर्पण करने से अनंत गुना फल मिलता है। बेल वृक्ष को काटने से वंश का नाश और लगाने से वंश की वृद्धि होती है। भोलेनाथ को बेल का फल चढ़ाना भी कल्याणकारी माना जाता है। यह भी मान्यता है कि सुबह-शाम बेल वृक्ष के दर्शन मात्र से पापों का नाश होता है। मान्यता के अनुसार जीवन में यदि एक बार भूल से भी शिव जी को बिव्ल पत्र अर्पण किया हो तो वह पाप मुक्त हो जाता है।
धन व स्वर्ण प्राप्ति में भी उपयोगी
बेल वृक्ष की महिमा निराली है। सफेद आक के साथ बेल वृक्ष को मिलाकर लगाने से अटूट लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। यह काफी प्रचलित टोटका है। कुछ ग्रंथों में इसके साक्ष्य मिले हैं कि प्राचीन काल में ऋषि-मुनि बेल पत्र और ताम्र धातु के एक विशेष प्रयोग से स्वर्ण का उत्पादन करते थे। समय के साथ-साथ जानकारी के अभाव में यह कल अब लुप्त प्राय हो चुकी है। माता लक्ष्मी का भी इस वृक्ष में निवास है। अतः इसे लगाने वाले को मां लक्ष्मी की भी कृपा मिलती है। इसका औषधीय उपयोग भी शानदार है। आयुर्वेद में इसके महत्व का खूब वर्णन है। त्रिफला चूर्ण में इसके उपयोग को कौन नहीं जानता है। अन्य कई औषधियों में भी इसका उपयोग होता है। वास्तव में यह गुणों की खान है। इन्हीं गुणों के कारण मान्यता है कि इसको सींचने से पितर तृप्त होते हैं।
भोलेनाथ को ऐसे चढ़ाएं बेल पत्र
शिव को बेल पत्र बहुत प्रिय है। उन्हें यह चढ़ाने पर अक्षय फल मिलता है। लेकिन क्या आप इसकी सही विधि जानते हैं? अन्यथा आपका प्रयास निष्फल हो जाएगा। भगवान को तीन पत्र वाला बेल पत्र चढ़ाना चाहिए। तीन पत्र वाले बेल पत्र को एक मानें। वैसे बेल पत्र तीन से लेकर 11 दलों वाले होते हैं। जितना अधिक पत्र वाला चढ़ाया जाता है, वह उतना शुभ माना जाता है। बेल पत्र कटा, फटा या गंदा नहीं होना चाहिए। इसे चढ़ाते समय ध्यान रखें कि चिकना हिस्सा ऊपर की तरफ हो। पत्र के साथ जल भी अवश्य चढ़ाएं। बेल पत्र बहुत पवित्र माना जाता है। इसकी उत्पत्ति माता पार्वती के पसीने से मानी गई है। वे विभिन्न रूपों में इस वृक्ष पर निवास करती है। इसी कारण इसे चढ़ाने पर शिव प्रसन्न होते हैं और मनोकामना पूरी करते हैं। आशा है कि आपने बेल वृक्ष की महिमा समझ ली।
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