
मनाली-लेह मार्ग में समुद्र तल में 13 हजार फीट से कुछ अधिक की ऊंचाई पर हिमाचल का प्रमुख दर्रा है रोहतांग। इसका पुराना नाम ‘भृगु-तुंग‘ था, ‘रोहतांग‘ नाम बाद में पड़ा है। सालों भर बर्फ से ढके रोहतांग दर्रे का रास्ता मई से नवंबर तक ही खुला रहता है। इस दौरान हिमाचल रोडवेज की बसें विभिन्न स्थानों से केलंग तक चलती हैं। निजी वाहन से इसी मार्ग से होकर लेह तक पहुंचा जा सकता है। हालांकि रोहतांग व उससे आगे कई स्थानों पर आक्सीजन की कमी महसूस होने लगती है। यह समस्या रात में और बढ़ जाती है, इसलिए कुछ लोग इसे रात में प्रेतात्माओं के भटकने के अंधविश्वास से जोड़कर भी देखते हैं। दुर्गम एवं सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रास्ता होने के कारण इसके रखरखाव की जिम्मेदारी सीमा सड़क संगठन ( बीआरओ) के जिम्मे है।
महर्षि ब्यास की तपस्थली
महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यास जी ने यहां लंबे समय तक तपस्या की थी। इसी स्थान पर एक कुंड से व्यास नदी का उदगम हुआ है। वहां पर महर्षि ब्यास का मंदिर भी बना हुआ है। इसलिए आध्यात्मिक रूप से भी इस स्थान का अलग ही महत्व है। मनाली से लेकर रोहतांग दर्रे के बीच के हर स्थान पर कण-कण से आध्यात्मिकता टपकती महसूस होती है। वहां असीम शांति और उल्लास का अनुभव होता है। उसे देखकर सहज ही समझा जा सकता है कि क्यों यह क्षेत्र ऋषि-मुनियों की तपस्थली बनी।
रोमांच का अनुभव
सालों भर बर्फ से ढंके रहने के कारण रोहतांग दर्रे पर अदभुत रोमांच का अनुभव होता है। यहां से गुजरने वाली सड़क के दोनों किनारों पर बर्फ की मोटी दीवार एक अलग ही रोमांच का अनुभव कराती है। यहां बर्फ में स्कैटिंग समेत विभिन्न खेलों का आनंद उठाया जा सकता है। बर्फ को काटकर बने छोटे-छोटे घरों में चलती दुकान में बर्फ से बने स्टूल या बैंच पर बैठकर गर्म पकौड़े के साथ चाय पीने का एक अलग ही आनंद है। यहां दिन भर अस्थायी दुकानें चलाने वाले बस में बैठकर रोज यहां आते हैं और दिन भर काम-धंधा कर शाम को वापस घर लौट जाते हैं।
कब और कैसे पहुंचे : रोहतांग दर्रा जाने के लिए यूं तो मई से नवंबर तक रास्ता खुला रहता है लेकिन अक्टूबर अंत से ही बर्फ गिरने की रफ्तार में तेजी आ जाती है। अत: वहां जाने का सबसे उपयुक्त समय मई से सितबंर तक का ही है। मनाली से आगे रास्ते में उपलब्ध किराये पर सर्दी में पहनने वाले कोट और जूते अवश्य ले लेना चाहिए क्योंकि वहां बर्फ के साथ ही भारी ठंड होतो ही। अत: आपको बिना ठंड से बचाव वाले कपड़े के वहां घूमने में परेशानी आएगी। आप निजी कार, टैक्सी या केलांग की तरफ जाने वाले बसों में बैठकर रोहतांग जा सकते हैं।