कोई शक्ति तो है

180
जानें प्रकृति की शक्ति और उसके दोहन के तरीके
जानें प्रकृति की शक्ति और उसके दोहन के तरीके

मैंने कई बार महसूस किया है कि बड़े संकट में अचानक कहीं से मदद मिल जाती है। कई अन्य साथियों ने भी अपने साथ घटी ऐसी घटनाएं साझा की हैं। इस बारे में मुकुटधारी अग्रवाल जी नेे अपने फेसबुक वॉल पर एक हृदयस्पर्शी अनुभव साझा किए हैं। पेश हैं उनके विचार—-


 

कुछ अदृश्य शक्तियां जिसे आप जो भी नाम दे दें ,आपको ऐसे वक़्त पर मदद करती हैं जब आप असहाय अनुभव करने लगते हैं और प्रभु की तरफ मदद की गुहार लगाते है1944 मे भागलपुर से मेरे नानाजी और नानीजी मुहल्ले के कुछ अग्रवाल परिवार के साथ टोली बना बद्री-केदारनाथ की तीर्थ यात्रा मे गए। उन दिनों आज की तरह यात्रा की सुविधा नहीं थी और यात्रा काफी कष्टदायक और जोखिम भरी होती थी। कई लोग तो यह मान कर चलते थे कि बद्रीनाथ–केदारनाथ की कृपा होगी तब सकुशल वापस आयेंगे। एक ओर कलकल बहती अलख्नन्दा नदी की तेज और बेगबती धारा तो दूसरे और बर्फ से ढँकी गगनचुम्बी चोटियाँ के बीच छोटी संकरी पगडंडी ,जरा सी चूक हुयी तो जल समाधि। यह कष्टकर यात्रा के बाद नानाजी सहित यात्री दल केदारनाथ पहुंचा और एक चट्टी मे अपना डेरा डाला। साथ पंडा जी थे जो मार्ग दर्शक का काम कर रहे थे। केदारनाथ पहुंचने के बाद मेरी नानी जी को तीव्र ज्वर हो आया। कई कंबल ओढ़ थरथराती हुई वे चट्टी मे बेसुध पड़ी रहीं। साथ के सभी लोग रात्री मे केदारनाथ की आरती दर्शन के लिए चले गए। मंदिर से आरती होने के घंटे की आवाज़ चट्टी तक पहुँच रही थी। एकाएक नानी जी को किसी अदृश्य शक्ति ने जगा दिया – उठ ,कब तक पड़ी रहेगी, जा आरती के दर्शन कर । ‘एकाएक नानी जी की नींद टूट गयी, सारा देह बुखार से तप रहा था। लेकिन उसकी बिना परवाह किए कंबल ओढ़ रात्रि के अंधेरे मे आते घंटे की आवाज़ के सहारे गिरती पड़ती मंदिर के द्वार तक जा पहुंची और पहुँच कर फूट –फूट कर विलाप करने लगी– हे केदारजी । मैंने क्या पाप किया जो आपके दर्शन नहीं होंगे। क्या मैं बिना आपके दर्शन इतनी दूर आ लौट जाउंगी? मंदिर में काफी भीड़ थी ।एकाएक एक आदमी नानी जी के पास आया। “क्यों रोती हो मइया, क्या दर्शन नहीं हुए?” कहाँ हुआ महाराज – कह नानी जी फिर विलाप करने लगी “मत रो मइया, हम तुमको दर्शन करा देते हैं। चलो उठो। नानी जी उसके पीछे जाने लगी। उस आदमी के पीछे से उनका मंदिर मे प्रवेश करा ठीक केदारनाथ जी के पास खड़ा कर दिया। खूब जी भर कर दर्शन कर लो मैया, जल्दी चलो, भीड़ बढ़ जाएगी। नानी जी ने देखा कि उनके परिवार के लोग भीड़ मे धक्का खा दर्शन कर रहे हैं। ‘दर्शन कर लिया मैया। चलो तुम्हें बाहर छोड़ देते हैं, उस आदमी नानी जी को वहीँ छोड़ कर अदृश्य हो गया जहां वे पहले विलाप कर रही थी। इसे आप जो भी नाम दे दें ,प्रभु खुद आ कर दर्शन करा गए या और कुछ। लेकिन यह एक हकीकत थी।



LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here