13 अक्टूबर 2015 को प्रतिपदा शुरू
नवरात्र शुरू होने वाला है। निजी, पारिवारिक एवं आध्यात्मिक कल्याण के लिए माता दुर्गा के पूजन और धरती पर आगमन के स्वागत के लिए तैयार हो जाए। चूंकि माता नवरात्र भर पृथिवी पर रहेंगी, अतः इस दौरान माता की कोई भी साधना और प्रार्थना बहुत जल्दी फल देने वाली होती है। साधकों एवं सामान्य उपासकों को भी इसका फायदा मिल सकता है।
इस बार नवरात्र के पहले दिन अर्थात अश्विन मास की प्रतिपदा तिथि में वृद्धि हो रही है, जिसके कारण शारदीय नवरात्र का प्रारंभ 13 अक्टूबर को हो जाएगा, हालांकि प्रतिपदा अगले दिन भी सुबह 8 बजकर 3 मिनट तक रहने के कारण 14 अक्टूबर को भी प्रतिपदा तिथि मानकर माता के पहले स्वरूप शैलपुत्री की ही आराधना होगी। कलश स्थापना 13 अक्टूबर को ही होगा। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 11.15 बजे से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक है।
विद्वानों के अनुसार, ‘अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा भोर में 5 बजकर 37 मिनट पर लग जाएगी। इसी के साथ नवरात्र का प्रारंभ हो जाएगा और इसी दिन कलश स्थापना भी की जाएगी। लेकिन सबसे शुभ मुहुर्त 11 बजे से शुरू होगा। यह तिथि अगले दिन अर्थात 14 अक्टूबर को प्रात:काल 8 बजकर 3 मिनट तक रहेगी। उदयातिथि होने के कारण इस दिन भी प्रतिपदा तिथि ही मानी जाएगी। इसे प्रतिपदा तिथि में वृद्धि माना जाता है। अत: प्रतिपदा दो दिन होने के कारण मां शैलपुत्री की आराधना 13 व 14 अक्टूबर दोनों ही दिन होगी।
इस बार अष्टमी और नवमी की तिथि में भी थोड़ी परेशानी होगी। 21 अक्टूबर को अष्टमी की पूजा है और उसी दिन दोपहर में नवमी भी शुरू हो जाएगी जो 22 अक्टूबर 2015 के दोपहर 12 बजे तक ही रहेगी। इसके पश्चात दशमी तिथि प्रारंभ होगी, इसलिए हवन आदि 12 बजे से पहले ही संपन्न करा लेना शास्त्रोचित होगा, क्योंकि इसी दिन विजया दशमी का पर्व मनाया जाएगा।