Ganga sagar not once, again and again : गंगा सागर एक बार नहीं, बार-बार जाना चाहिए। बचपन से सुनता आया था कि सारे तीरथ बार-बार गंगा सागर एक बार। मन में जिज्ञासा थी कि आखिर इसका राज क्या है? तीर्थराज गंगा सागर में सिर्फ एक ही बार क्यों जाना चाहिए? पूछताछ करने पर महसूस हुआ कि पहले गंगासागर की यात्रा बहुत कठिन हुआ करती थी। लोग वहां अंतिम समय में ही जाने की सोचते थे। अगर नहीं लौट सके तो भी कोई बात नहीं। अब स्थिति बदल चुकी है। रास्ता सुगम है और गंगा सागर मनमोहक है। अब वहां की यात्रा बार-बार करने की इच्छा होती है। यह अंतर दिखता भी है। वहां सालों भर तीर्थयात्रियों का आवागमन लगा रहता है।
मकर संक्रांति के समय लगता है विशाल मेला
परंपरा के अनुसार गंगा सागर में हर साल मकर संक्रांति के समय विशाल मेला लगता है। लाखों श्रद्धालु वहां पहुंचते हैं। व्मयापक सरकारी व्यवस्था के बाद भी भारी भीड़ के कारण श्रद्धालुओं को काफी परेशानी होती है। इस लिहाज से सौंदर्य और शांति की तलाश करने वाले को साल दूसरे महीने में गंगा सागर की यात्रा करनी चाहिए। वैसे यह मान्यता है कि हर हिंदू को जीवन में एक बार गंगा सागर जरूर जाना चाहिए। इसकी बहुत महत्ता है। यह पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में है। यह तीर्थ सुंदरवन क्षेत्र में आता है। सुंदरवन विश्व का सबसे बड़ा मुहाना वन एवं डेल्टा क्षेत्र है। पश्चिम बंगाल के अंतिम सिरे पर स्थित यह वन कच्छ वनस्पतियों एवं विशाल पंकिल भूमि से घिरा हुआ है । इसे रॉयल बंगाल टाइगर के लिए भी जाना जाता है। यहां नमकीन पानी में रहने वाले मगरमच्छ भी मिलते हैं।
ऐसे पहुंचें गंगासागर
कोलकाता से गंगासागर की दूरी 120 किलोमीटर है। कुछ लोग पूरी यात्रा मोटरबोट से करते हैं। आम यात्री की यहां तक की यात्रा टुकड़ों में होती है। कोलकाता से पहले काकद्वीप तक बस या ट्रेन से जाएं। वहां से फेरी सेमूरीगंगा नदी पारकर कुचुबेडिया पहुंचना पड़ता है। इस बीच की आठ किलोमीटर की यात्रा (फेरी) मोटरबोट से होती है। यह यात्रा मनमोहक होती है। हालांकि बोट की हालत अच्छी नहीं है। सामान ढोने वाले ठेले की तरह हैं। इनमें इंजन लगा हुआ है। इसके चारों तरफ पांव लटकाकर बैठ जाइए। अपना सामान बीच में रख दीजिए। कुचबेड़िया से गंगासागर का अंतिम 30 किलोमीटर का सफर बस या टैक्सी से होता है। इस रोमांचक सफर और आस्था का भाव अद्भुत आनंद लोक में पहुंचाता है। इसलिए कहा कि गंगा सागर एक बार नहीं, बार-बार जाएं।
राजा भगीरथ के हंस
कपिल मुनि का आश्रम आकर्षण का केंद्र
गंगासागर में गंगा और बंगाल की खाड़ी का संगम बड़ा आकर्षण का केंद्र है। लेकिन यहां श्रद्धालुओं की जहां सबसे ज्यादा भीड़ जुटती है कपिल मुनि के आश्रम में। इसी जगह पर राजा सगर के साठ हजार पुत्र कपिल मुनि की क्रोधाग्नि में जलकर भस्म हो गए थे। उनके उद्धार के लिए उन्हीं के वंशज भागीरथ ने घोर तपस्या की। उन्हीं के प्रयास से मां गंगा धरती पर आईं। वे शिवजी की जटा से निकलकर गंगोत्री होती हुई भगीरथ के पीछे-पीछे कपिल मुनि के आश्रम पर पहुंचीं। वही स्थान गंगासागर है। यहां स्नान का बहुत महत्व है। कुंभ के बाद स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की सबसे अधिक भीड़ यहीं होती है। 2018 की मकर संक्रांति के दिन करीब 20 लाख श्रद्धालुओं ने यहां स्नान किया था। मान्यता है कि यहां स्नान करने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है। अतः गंगा सागर एक बार नहीं, बार-बार जाएं।
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