Warning: Invalid argument supplied for foreach() in /home/m2ajx4t2xkxg/public_html/wp-includes/script-loader.php on line 288 होलाष्टक विशेष : क्यों नहीं करने चाहिए शुभ कार्य साथ ही जानिए होलाष्टक के पीछे की कथा - Parivartan Ki Awaj
होलाष्टक दो शब्दों से मिलकर बना है। होला और अष्टक, अष्टक का अर्थ है कि होली जलने से 8 दिन पूर्व कोई शुभ कार्य नही किए जाते। कह सकते हैं कि होली एक दिन का नहीं बल्कि पूरे 9 दिन का त्योहार है। इन 9 दिनों में 16 संस्कारों पर रोक लगे होने के कारण इस समय को शुभ नहीं माना जाता है।
होलाष्टक के विषय में एक कथा प्रसिद्ध है महादेव ने क्रोध में कामदेव को भस्म कर दिया था तभी से होलाष्टक की शुरुआत हुई थी। इसका समापन रंग के खेल के साथ होता है।
होलाष्टक पूजन विधि
होलिका पूजन करने के लिए होली से 8 दिन पूर्व होलिका दहन वाली जगह को गंगाजल से पवित्र कर लें। उसके बाद उस जगह पर सूखे उपले, सूखी लकड़ियां, घास व एक डंडा स्थापित कर दिया जाता है। इस दिन को होलाष्टक प्रारंभ का दिन भी कहते है। इसकी स्थापना के बाद उस क्षेत्र में कोई मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है।