महाशिवरात्रि विशेष : कृपा पाने के सरल उपाय

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देवों के देव महादेव की महिमा अपरंपार है। वे प्रकृति प्रेमी हैं, यह उनके रूप, जीवन और रहन-सहन से भी स्पष्ट दृष्टगोचर होता है। उन्होंने आदिशक्ति का वरण किया है। वे अर्द्धनारीश्वर हैं। अर्थात उनमें प्रकृति और पुरुष दोनों का रूप सम्मिलित है। वे आम लोगों के ईश्वर हैं। वे सहज और सरल है। अत: उनकी पूजा तथा प्रसन्नता के लिए किसी आडंबर की आवश्यकता नहीं है। इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। भक्तों पर शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और उनकी हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। शिव की पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है। शिव के गले में नाग देवता विराजमान रहते हैं। वे हाथों में डमरू और त्रिशूल धारण किए हुए हैं। कैलाश पर्वत पर उनका वास है। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव ही हैं। शिव पुराण में भोलेबाबा के बारे में विस्तार से हर तरह की जानकारी उपलब्ध है। सुधि पाठकों के के लिए उनमें से ही कुछ ऐसे सरल उपाय प्रस्तुत कर रहा हूं जिसके माध्यम से भगवान शंकर को शीघ्र प्रसन्न कर मनोवांछित फल प्राप्त किया जा सकता है। यह प्रयोग आजमाया हुआ है, अत: निस्संकोच सुविधानुसार इनका या इनमें से किसी एक या अधिक का प्रयोग कर सकते हैं


1-इनमें सबसे पहला है डमरू का प्रयोग। शिव को प्रसन्न करने के लिए उनके पूजन व ध्यान के दौरान डमरू बजाएं और बम बम भोले, बम बम भोले का जयकार करें तो शिव की कृपा अवश्य मिलेगी।
2-भगवान शिव की पूजा के दौरान उन्हें बिल्व पत्र व बिल्व फल चढ़ाने से शिव की प्रसन्नता के साथ-साथ धन की प्राप्ति का योग बनता है।
3-शिवरात्रि पर धतुरा, भांग और आक चढ़ाने से भी भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और मनोकामना पूर्ण करते हैं।
4-शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव की भक्तिभाव से पूजा करने से भी मनोवांछित फल प्राप्त होता है।
5-ज्ञान एवं विद्वत्ता की इच्छा वाले साधकों को स्फटिक के शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए।
6-गृहस्थ सुख चाहने वालों को पत्थर के शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए।
7-मुकदमों, युद्ध एवं प्रतियोगिताओं में सफलता के लिए अष्टधातु से बने शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए।
8-सर्व सुख चाहने वाले को सोने चांदी अथवा रत्नों से बने शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए।
9-पारे के शिवलिंग को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। इसकी पूजा से जन्म मरण से मुक्ति मिलती है।
10-शिवपुराण का पाठ करने से शिव प्रसन्न होकर अपने भक्तों को शुभ फल प्रदान करते हैं।
11-शिव को स्तुति प्रिय है। अत: स्तुतियों से भगवान शिव की आराधना करें। रुद्राष्टक, पंचाक्षर, मानस, द्वादश ज्योतिर्लिंग जैसे स्तोत्रों का पाठ करें।


मंत्रों के आसान प्रयोग

भगवान शिव को मंत्रों के जप से भी प्रसन्न किया जा सकता है। उसके लिए बहुत ज्यादा मेहनत करने की आवश्कता नहीं है। सिर्फ अपनी दिनचर्या में महादेव का स्मरण और उनके जप को कम मात्रा में भी शामिल कर लें, इससे न सिर्फ आपको प्रसन्नता मिलेगी, बल्कि आपकी सारी समस्या का हल हो सकेगा। ध्यान रहे कि शिव के मंत्र जप में शारीरिक व मानसिक पवित्रता जरूरी है। मंत्र आमतौर पर एक ही स्थान (पूजा स्थान, देवालय, नदी का किनारा, वन आदि हो तो सर्वोत्तम) और एक ही समय में हो तो अच्छा रहता है। शिव के मंत्र के जप के लिए रूद्राक्ष की माला सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।


प्रस्तुत है शिव की प्रसन्नता के लिए कुछ प्रमुख छोटे मंत्र , जप संख्या और विधि

1-ऊँ नम: शिवाय

2-प्रौं ह्रीं ठ:

3-ऊर्ध्व भू फट्

4-इं क्षं मं औं अं

5-नमो नीलकंठाय

6-ऊं पार्वतीपतये नम:

7-ऊं ह्रीं ह्रौं नम: शिवाय।

मंत्र संख्या व विधि : उपरोक्त सारे मंत्रों के लिए सुबह या शाम स्नान के बाद प्रतिदिन 1000 (दस माला) का जप करें। इससे शिव की कृपा मिलती रहेगी और आपका काम नहीं रुकेगा। यदि किसी खास लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अनुष्ठान के रूप में करना चाहें तो प्रतिदिन क्रमशः दस हजार (41 दिन) या पंद्रह हजार (21 दिन) तक जप करें। कुल जप के दसवें हिस्से का हवन करा लें।


8-ऊं नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा :
मंत्र संख्या व विधि : प्रतिदिन सुबह या शाम स्नान के बाद 500 (पांच माला) का जप करें। इससे शिव की कृपा मिलती रहेगी और आपका काम नहीं रुकेगा। यदि किसी खास लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अनुष्ठान के रूप में करना चाहें तो प्रतिदिन क्रमशः एक हजार (41 दिन) या दो हजार (21 दिन) तक जप करें। जप की समाप्ति के बाद कुल जप संख्या के दसवें हिस्से का हवन करा लें। इसे प्रतिदिन या कुल जप के समाप्त होने के बाद भी कर सकते हैं।



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