चमत्कारिक है मंत्रों की शक्ति, ब्रह्मांड को करती प्रभावित

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जप में नहीं करें ये भूल, तभी मिलेगा पूरा फल
जप में नहीं करें ये भूल, तभी मिलेगा पूरा फल।

Miraculous is the power of Mantra, affecting the universe : चमत्कारिक है मंत्रों की शक्ति, ब्रह्मांड को करती प्रभावित। इसका आधार पूरी तरह से वैज्ञानिक है। मनुष्य जब से शब्दों का उपयोग करने लगा है, उसका स्वर, उच्चारण, बोलने की का तरीका, शक्ति (तीव्रता या धीमी लय आदि) स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है। यहीं से ध्वनि का संसार विकसित होता है। प्रायः बोलने की शक्ति के उपयोग से ही मनुष्य निकृष्ट, उत्कृष्ट अथवा सर्वश्रेष्ठ बनते हैं। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि ध्वनि की क्षमता अद्भुत है। जिस तरह दो तत्वों या अणुओं के घर्षण से ऊर्जा उत्पन्न होती है, उसी तरह शब्दों के खास तरह के प्रयोग से विशिष्ट ऊर्जा उत्पन्न होती है। यह ऊर्जा पूरे ब्रह्मांड को प्रभावित करती है। ऋषियों ने इसी ऊर्जा के दोहन के लिए मंत्रों का निर्माण किया। इसके सहारे मानव जीवन को सरल और सुखद बनाना संभव है।

ध्वनि विज्ञान का चरम है मंत्र

ध्वनि के विज्ञान का सटीक उपयोग कर ऋषियों ने अत्यंत उपयोगी मंत्र बनाए हैं। उनका सही प्रयोग कर मनचाहा फल प्राप्त किया जा सकता है। सामान्य लोगों को मंत्रों की शक्ति अविश्वसनीय सी लगती है। सच यह है कि ये मुर्दे में भी जान डालने में सक्षम हैं। मंत्रों को नियमित व निश्चित तरीके से बार-बार जप करने से व्यक्ति के अंदर समाहित ब्रह्मांड की अलौकिक सत्ता जाग्रत हो जाती है। वेदों में मंत्र को सर्वोच्च सत्ता एवं ब्रह्म के समान माना गया है। जीवन में जो कुछ घटित होता है, उसके मूल में शब्दों (मंत्रों) की सत्ता का बड़ा हाथ है। भौतिक सुख हो या आध्यात्मिक शक्तियों को जगाकर मोक्ष की कामना, दोनों की ही मंत्रों के सटीक प्रयोग से प्राप्ति संभव है। ईश्वर की स्तुति, मंत्रों अथवा स्तोत्रों से भक्तों का कल्याण होता है। वहीं हमेशा गाली-गलौज एवं अपशब्दों बोलने वाले निम्न से निम्नतर होते जाते हैं।

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जानें कुछ सरल और उपयोगी मंत्र

इसमें कोई दो राय नहीं कि चमत्कारिक है मंत्रों की शक्ति। अब यह मनुष्य पर निर्भर करता है कि वह कैसा जीवन चाहता है। भौतिक सुख-सुविधा चाहने वाले को निश्चय ही मंत्रों का उपयोग करना चाहिए। इस पर मैं पहले भी जानकारी देता रहा हूं। इस बार कुछ सरल मंत्रों की जानकारी दे रहा हूं। अभी सावन है। अतः पहला सरल मंत्र भगवान शिव का। इसमें सबसे सरल है- ऊं नमः शिवाय। इसका स्नान के बाद नित्य कम से कम 108 जप करना चाहिए। यह आध्यात्मिक क्षमता को उर्ध्वमुखी कर देता है। साथ ही हर तरह का कल्याण करता है। जप जितना अधिक होगा, उतना कल्याणकारी होगा। इसी तरह भगवान विष्णु का अत्यंत सरल और प्रभावी मंत्र है- ॐ नमो नारायणाय। इसके अंत में नमः जोड़कर भी जप किया जा सकता है। इसका भी नित्य कम से कम 108 बार जप करना चाहिए। अधिक की कोई सीमा नहीं है।

ऐश्वर्य वृद्धि के लिए सूर्य मंत्र

ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ। यह मंत्र दुःख-दारिद्र्‌य दूर कर सुख-सौभाग्य की वृद्धि करने वाला है। रोग-दोष शमन के लिए भी इसका नित्य जप करना चाहिए। इस मंत्र का प्रतिदिन 1008 बार जप करने पर अपेक्षित फल मिलने लगता है। जप के समय सिद्धासन लगाकर बैठें। दोनों भौंहों के मध्य भाग में भगवान सूर्य का ध्यान करते रहें। इस तरह 21 दिन तक करने के बाद प्रभाव दिखने लगेगा। साधना काल में नित्य भगवान सूर्य को सुबह अर्घ्य दें। हर रविवार को सूर्य का व्रत अनिवार्य है। व्रत के दिन भोजन में नमक का उपयोग न करें। इसके साथ ही जप काल में हर रविवार को दिन में ऊन के आसन या कुशासन पर बैठकर काले तिल, जौ, गूगल, कपूर और घी मिला हुआ शाकल तैयार करके आम की लकड़ियों से अग्नि प्रदीप्त कर उक्त मंत्र से कम से कम एक सौ आठ आहुतियाँ दें।

जानें बीज मंत्रों की महिमा

चमत्कारिक है मंत्रों की शक्ति। उनमें भी बीज मंत्र की महिमा निराली है। वे दिखते तो छोटे हैं लेकिन किसी भी कामना मंत्र या बड़े मंत्र से कम प्रभावशाली नहीं हैं। इनका नियमित जप करने से व्यक्ति की आंतरिक शक्ति बहुत बढ़ जाती है। उसमें देवत्व के गुण विकसित होने लगते हैं। इन्हें कामना मंत्रों के साथ लगाकर जप करने पर उसकी शक्ति में चमत्कारिक वृद्धि होती है। यहां कुछ बीज मंत्र दे रहा हूं- ऊं, बं और खं। ऊं न सिर्फ अत्यंत शक्तिशाली और कल्याणकारी है, अपितु इसके जप से ही सब कुछ पाया जा सकता है। बं के जप से शिव की कृपा प्राप्त होती है। गैस, वात एवं गठिया रोग मुक्ति में यह रामबाण है। खं ब्रह्मवाचक बीज मंत्र है। इसके निरंतर जप से शनि के प्रकोप से शांति मिलती है। रक्तचाप (उच्च और निम्न) और लीवर की समस्या दूर करने में यह अत्यंत उपयोगी है।

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