वास्तुशास्त्र को गंभीरता से लें, बदल जाएगी किस्मत

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ब्रह्म तत्व और शरीर रचना का रहस्य जानें
ब्रह्म तत्व और शरीर रचना का रहस्य जानें।

Take Vastu Shastra seriously, luck will change : वास्तुशास्त्र को गंभीरता से लें, बदल जाएगी किस्मत। इससे जन्म कुंडली के दोषों को भी कम किया जा सकता है। इसके लिए घर में अधिक तोड़-फोड़ की भी आवश्यकता नहीं है। छोटे-छोटे बदलाव कर दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल सकते हैं। इस बारे में चर्चा खूब होती है लेकिन गहराई से जानने वाले लोग कम हैं। अधिकतर सिर्फ घर की बनावट और सजावट को आधार बनाते हैं। यही कारण है कि घर में बदलाव के बाद भी जातक को खास फायदा नहीं मिलता है। वास्तुशास्त्र ज्योतिष का अभिन्न अंग है। इसमें भी देवी-देवताओं के साथ ग्रह-नक्षत्रों का योग होता है। जब तक जातक की ग्रह दशा के साथ वास्तु का मिलान कर बदलाव नहीं किया जाएगा, निश्चित फायदा संभव नहीं है। सप्ताह में एक दिन प्रकाशित होने वाले इस लंबे लेख में इन्हीं पहलुओं की जानकारी दी जाएगी।

भूमि व भवन की स्थिति में बदलाव से ही नहीं दूर होती समस्या

वास्तुशास्त्र को अधिकतर लोग भूमि और भवन की स्थिति से देखते हैं। यह सही भी है लेकिन सम्यक रूप में देखें तो अधूरा है। मैंने कई स्थानों पर देखा है कि दोषपूर्ण भूमि व भवन में रहने वाले भी सफल और प्रसन्न होते हैं। मौके का मुआयना करने पर पता चला कि उनकी जन्मकुंडली अच्छी है। घर के अंदर सजावटी और अन्य सामान इस तरह से रखे हैं कि वास्तु दोष का असर न के बराबर रह गया है। दूसरी ओर मानक के अनुरूप भूमि और भवन में रहने वाले दुखी रहते हैं। इसका कारण ढूंढने का प्रयास किया तो पता चला कि भाग्य ठीक नहीं है। साथ ही घर के अंदर की सजावट भी ग्रहों को ध्यान में रखकर नहीं किया गया है। इनके अध्ययन से चौंकाने वाली जानकारी मिली। वास्तुशास्त्र को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।

वास्तु के साथ जन्मकुंडली का संयोजन आवश्यक

वास्तु के साथ जन्मकुंडली का संयोजन आवश्यक है। वास्तु के गुण-दोषों के प्रभाव का आकलन करने पर स्पष्ट हो गया कि वह अपने आप में पूर्ण नहीं है। इन अनुभवों के आधार पर देखा कि जातक की ग्रह दशा अच्छी हो तो वास्तु दोष का असर काफी कम हो जाता है। खराब हो तो वास्तु के हिसाब से अनुकूल होने पर भी समस्याएं बनीं रहती हैं। ऐसे में सिर्फ वास्तुशास्त्र से निश्चित समाधान नहीं निकल पाता है। दोनों को मिलाकर ही प्रभावी उपाय बनते हैं। इसमें फेंग शुई, पैरामिड और लाल किताब का प्रयोग चार चांद लगा देता है। मैंने रंग, पेड़-पौधे, सजावट की वस्तुओं के भी सही संयोजन से सटीक फल पाते देखा है। इससे वास्तु दोष दूर होते हैं। कमजोर ग्रहों को बल मिलता है। साथ ही प्रतिकूल ग्रहों को अनुकूल बनाया जा सकता है। इनके सम्मिलित प्रयोग से चमत्कारिक फल पाया जा सकता है।

शुभ और अशुभ ऊर्जा को भी देखें

भूमि और मकान में अक्सर शुभ व अशुभ ऊर्जा का प्रभाव रहता है। वह भी वहां रहने वाले के जीवन पर प्रभाव डालता है। यह उनके लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है जो फ्लैट में रहते हैं या नई भूमि खरीदकर मकान बनाते हैं। ऐसे में लोगों को उस स्थान के बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं होती है। पुश्तैनी मकान में ऐसी समस्या कम आती है। यद्यपि इस समस्या के बारे में भी जन्मकुंडली से संकेत मिल जाते हैं। तथापि हर बार ऐसा होना कठिन होता है। तब तंत्र-मंत्र के माध्यम से ऊर्जा का आकलन करना पड़ता है। फिर अशुभ या कमजोर क्षेत्र में शुभ ऊर्जा का प्रवाह करना संतुलन बनाना पड़ता है। आपने समझ लिया होगा कि वास्तुशास्त्र को गंभीरता से लेना आवश्यक है लेकिन अन्य बातों पर भी ध्यान होना चाहिए। तभी पूर्णता आएगी और अच्छा जीवन जीना संभव हो सकेगा।

क्रमशः

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