कुलदेवता की पूजा क्यों आवश्यक है जानें

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भगववती योगमाया
दिल्ली में योगमाया के मंदिर में स्थापित मां योगमाया।

Know why worship of KULDEVATA is necessary : कुलदेवता की पूजा क्यों आवश्यक है जानें। सनातन धर्म को मानने वाले हर परिवार के अपने कुलदेवता या कुलदेवी हैं। उनकी पूजा अत्यावश्यक एवं अत्यंत कल्याणकारी मानी जाती है। हालांकि बदलते समय के साथ इसमें शिथिलता आती गई है। लोग कुल के आदिदेव या देवी से अधिक अन्य देवी-देवता की पूजा करने लगे हैं। इस चक्कर में कुलदेवता या कुलदेवी की उपेक्षा होने लगी है। परिवार और इससे जुड़े लोगों को इसका कुपरिणाम भी भोगना पड़ता है।

गोत्र और कुल के ऋषि से जुड़े हैं कुलदेवी-देवता

कुलदेवी या कुलदेवता का संबंध कुल के मूल से जुड़ा है। इससे यह भी पता चलता है कि कोई व्यक्ति किस कुल, ऋषि या गोत्र से जुड़ा है। दरअसल पौराणिक काल में ऋषि के कुल के लोगों का गोत्र उन्हीं के नाम पर रखा गया था। उसे बाद में कर्मानुसार उसे विभाजित किया जाने लगा। जो बाद में उनकी विशिष्टता बन गई। पूर्वजों ने अपने-अपने परिवार की विशिष्टता के अनुसार कुलदेवी या कुलदेवता का चयन कर पूजन शुरू किया। इसका कारण आध्यात्मिक उत्थान और पारलौकिक शक्तियों से कुलों की रक्षा था। इससे नकारात्मक शक्तियों से भी रक्षा होती थी। कुल से जुड़े लोग सुख-शांति से रहते थे।

कुलदेवी-कुलदेवता का कम होता महत्व

कुलदेवता की पूजा क्यों आवश्यक में शुरुआत उपेक्षा की बात से। अंग्रेजी शिक्षा ने लोगों को अपने धर्म व संस्कृति से दूर कर दिया है। ऊपर से पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ते प्रभाव ने कोढ़ में खाज का काम किया। रही-सही कसर काम के बढ़ते बोझ ने पूरी कर दी। लोग पूजा-पाठ की अनदेखी करने लगे। बदले परिवेश में मूल स्थान से विस्थापित होकर नयी जगह पर रहने लगे। सहज ही वहां का असर उन पर पड़ा। जो पूजा-पाठ करते भी हैं वे कुल के बदले अन्य देवों की करते हैं। कुलदेवी या देवता के पूजन का महत्व भूलते जा रहे हैं। कई परिवारों में तो यह भी नहीं पता कि उनके कुलदेवता या देवी कौन हैं। उनकी पारंपरिक पूजन विधि क्या है।

कुलदेवता की अनदेखी से होने वाले नुकसान

अपने कुल के देव की पूजा छोड़ने का कुप्रभाव तत्काल नजर नहीं आता। क्योंकि हजारों से साल की उपासना का प्रभाव कुछ समय तक रहता है। धीरे-धीरे सुरक्षा चक्र हटता है, तो समस्याएं शुरू होती हैं। परिवार में दुर्घटना, नकारात्मक ऊर्जा, बाधाओं का बेरोकटोक प्रवेश शुरू होता है। उसके विकास पर असर पड़ने लगता है। पीढ़ियां अपेक्षित उन्नति नहीं कर पातीं। परिवारीजन में नैतिक पतन, संस्कारों का क्षय, कलह व अशांति होने लगती है। व्यक्ति इसके कारण खोजने में जुट जाता है लेकिन असफलता मिलती है। इसका संबंध उसकी ग्रह स्थितियों से नहीं होता। बड़े से बड़ा ज्योतिषी या तांत्रिक भी इसमें मदद नहीं कर पाते हैं। अन्य देवी-देवताओं की पूजा भी बेअसर होती है।

कुलदेवता का महत्व

कुलदेवता की पूजा क्यों आवश्यक में हम बता रहे हैं उसका महत्व। घर में जो महत्व माता-पिता का होता है, वही कुल में कुलदेवता का है। उनकी उपस्थिति और पूजा सुरक्षा चक्र की तरह है। वह हर प्रकार की बाधा, नकारात्मक ऊर्जा से हमें बचाती है। उससे हम अपनी जड़ों व संस्कारों के प्रति भी सचेत रहते हैं। यदि इनका पूजन न किया जाए तो यह असंबद्ध होने लगते हैं। एक और महत्वपूर्ण बात पूजा विधि है। किसी भी तरीके से कुलदेवी-देवता की पूजा करने से फल नहीं मिलता है। उसकी कुल परंपरा के अनुसार अपनी विधि है। उसकी उपेक्षा से कुलदेवी या देवता निर्लिप्त होने लगते हैं। इससे बाधाएं, नकारात्मक ऊर्जा और कलह बढ़ने लगती हैं। किसी भी पारिवारिक आयोजन के प्रारंभ व अंत में इनकी पूजा आवश्यक है।

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