विचार
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निंदा मनुष्य को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हमारे निंदक ही हमें और बेहतर बनने के लिए प्रेरित करते हैं।
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संसार में पाप-पुण्य साथ-साथ चलते हैं। न कुछ पाप है न कुछ पुण्य, दोनों हमारे लिए कर्मों का फल है। जो मनुष्य अपने कर्मों को छोड़ते हैं, वो कायर होते हैं।
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मनुष्य असमर्थ सिर्फ तब होता है जब वो प्रयास करना छोड़ देता है। और जो वीर होते हैं वो अंतिम सांस तक प्रयास करना नहीं छोड़ते।