नवरात्र में करें गायत्री उपासना, मिलेगा मनचाहा फल

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नवरात्र में करें गायत्री उपासना, मिलेगा मनचाहा फल
नवरात्र में करें गायत्री उपासना, मिलेगा मनचाहा फल।

Worship Gayatri in Navratra, you will get the desired results : नवरात्र में करें गायत्री उपासना, मिलेगा मनचाहा फल। साधना करने वाले के लिए चैत्र नवरात्र प्रकृति का उपहार है। इस समय किसी भी मंत्रों की तरह गायत्री मंत्रों की सिद्धि भी आसानी से होती है। उससे मनचाहा फल पाया जा सकता है। दरअसल कालचक्र के अनुसार ऋतुओं के संधिकाल को विशेष महत्व दिया जाता है। जैसे प्राणायाम में रेचक और पूरक का अपना स्थान है, पर चमत्कार कुंभक में ही देखे जाते हैं। मिलन की बेला हर क्षेत्र में उल्लास और ऊर्जा से भरी होती है। मित्रों का मिलन, प्रणय मिलन, आकांक्षाओं का सफलता के साथ मिलन आदि कितना प्रभावी होता है? उसी तरह ऋतुओं के मिलन, महीने का मिलन (परिवर्तन) संक्रांति, कृष्ण और शुक्ल पक्ष के मिलन (परिवर्तन) बिंदु अमावस्या व पूर्णिमा के नाम से जाने जाते हैं। अध्यात्म में इन दिनों का विशेष महत्व है।

ज्यादातर पर्व संधि बेला में, रज से मुक्ति का मौका

ज्यादातर पर्व त्योहार संधि बेला में मनाए जाते हैं। दीवाली, होली, अमावस्या, शरद पूर्णिमा जैसे प्रधान पर्व कृष्ण व शुक्ल पक्ष से जुड़े हैं। यही स्थिति नवरात्रों की भी है। कृष्ण और शुक्ल पक्ष को समझने के लिए तम और सत गुण का उदाहरण लें। तम अर्थात् जड़। सत् अर्थात् चेतन। दोनों अपने-आप में पूर्ण हैं। जब इनका जब मिलन होता है तो नई हलचल होती है। उसे रज कहते हैं। चित्त को उद्विग्न करने वाले इच्छा, आकांक्षा, भोग, तृप्ति, संग्रह, हर्ष, स्पर्धा आदि क्रियाकलाप ‘रज’ की ही प्रतिक्रियाएं हैं। इसी रज के बंधन से मुक्ति के लिए साधना की आवश्यकता होती है। चैत्र की नवरात्र के साथ ही विक्रमी संवत का साल बदला है। इन नौ दिनों के अंत में राम जन्मोत्सव (रामनवमी) आता है। इसके ठीक बाद पूर्णिमा को हनुमान जयंती मनायी जाती है। रज से मुक्ति के लिए यह सुनहरा अवसर है।

शक्ति पर्व नवरात्र में करें ब्रह्म शक्ति गायत्री की उपासना

नवरात्र में करें गायत्री उपासना। नवरात्र शक्ति पर्व है और गायत्री ब्रह्म शक्ति। उन्हें आद्य शक्ति भी कहा जाता है। दुर्गा, महाकाली, महा लक्ष्मी आदि सभी उसी महाशक्ति के विविध रूप हैं। अतः नवरात्र में गायत्री का अनुष्ठान अत्यंत कल्याणकारी है। गायत्री मंत्र अत्यंत प्रभावी है। उसके शब्दों का गुंजन स्वर शास्त्र के अनुसार सूक्ष्म विज्ञान के रहस्यमय तथ्यों के आधार पर हुआ है। इसके जप से ऐसे शब्द कंपन उत्पन्न होते हैं जो उपासक की सत्ता में उपयोगी हलचलों को जन्म देते हैं। वे सोई हुई दिव्य शक्तियों को जगाते हैं। उसे सद वृत्तियों को अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं। गायत्री महाशक्ति की चर्चा अमृत, पारस, कल्प- वृक्ष और कामधेनु के रूप में की जाती है। पुराणों में ऐसे अनेक कथा प्रसंग भरे पड़े हैं। उनमें गायत्री उपासकों द्वारा भौतिक व आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त करने का उल्लेख है। इसलिए गायत्री उपासना को सर्वोपरि माना जाता रहा है।

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