भाग्य को दोष क्यों, आपके हाथ में है सफलता

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हृदय रोग और स्पोंडलाइटिस में लाभदायक योग
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भाग्य को दोष क्यों? सफलता आपके हाथ में है। लोग अक्सर भाग्य को कोसते हैं। कहते हैं कि उसी के कारण बार-बार असफलता मिलती है। यह सोच गलत है। भाग्य मनुष्य बनाता है। जो निराश नहीं होते हैं। लगातार प्रयास करते रहते हैं। सफलता उनके कदम चूमती है। यही संदेश है कर्नल सैंडर्स की इस कहानी में। इसमें सकारात्मक सोच है। फिर कड़ी मेहनत का चमत्कार है। यह होश उड़ा देने वाली घटना है। जीवन भर संघर्ष करने वाले इंसान की गाथा है। उसने अंतिम दिनों में भारी सफलता पाई। अब वे दूसरों के लिए उदाहरण हैं।

शुरू में ही दुर्भाग्य ने जकड़ लिया

सैंडर्स पांच साल के थे। तभी पिता चल बसे। फिर गरीबी में जकड़ गए। 16 साल में स्कूल छोड़ना पड़ा। 17 साल तक चार नौकरियों से निकाले गए। 18 साल में ही शादी हो गयी। 22 वर्ष तक कंडक्टर की नौकरी की। फिर सेना में चले गए। वहां से भी निकाले गए। लाॅ स्कूल में दाखिला लेने गए। वहां रिजेक्ट किए गए। फिर बीमा का काम शुरू किया। उसमें भी असफल हो गए।

19 साल में पिता बने, 20 में तलाक

19 साल की उम्र में पिता बने। अगले साल पत्नी ने तलाक दे दिया। वह बच्ची को अपने साथ ले गई। परिवार बिखर गया। वे बहुत अधिक तनाव में आ गए। पेट भरने के लिए होटल में बावर्ची का काम किया। इसमें मन लगा। लेकिन बेटी की याद सताती रही। उससे मिलने की कई बार कोशिश की। पत्नी मिलाने के लिए तैयार नहीं थी। दिल के हाथों मजबूर हो बेटी के अपहरण की कोशिश की। उसमें भी असफल हो गए। पकड़े गए। पर उन्होंने भाग्य को दोष क्यों का मंत्र याद रखा। वे लगे रहे।

कई बार आत्महत्या की कोशिश की

65 साल में रिटायर हो गए। सेवानिवृत्ति पर 105 डालर मिला। उस समय भारतीय मुद्रा के अनुसार सात हजार मिला। यह निराशाजनक था। सवाल मुंह बाए खड़ा था। अब जीवन कैसे कटेगा? परिवार से पहले ही अलग थे। पेट भरने का रास्ता नहीं दिख रहा था। परेशान होकर आत्महत्या की कोशिश की। पहले भी ऐसी कोशिश की थी। उसमें भी हर बार असफल रहे। फिर अपनी जिंदगी के बारे में लिखना शुरू किया। तभी अहसास हुआ कि वे शानदार बावर्ची हैं। उन्हें लगा कि बहुत कुछ करना बाकी है। इससे उन्हें दिशा मिली। भाग्य को दोष क्यों? जूझने का जज्बा पहले से था। नई दिशा में योजना बनाई।

सेवानिवृत्ति की रकम से चिकन फ्राइ बेचना शुरू किया

सेवानिवृत्ति से मिले 105 में से 87 डालर निकाले। उससे चिकन खरीदा। फिर गलियों में चिकन फ्राई बेचने लगे। जीवन भर असफल रहा आदमी कर्मयोगी बन गया। सैंडर्स 88 साल में सफलता का पर्याय बन गए। गलियों में चिकन फ्राइ बेचने वाले ने कमाल कर दिया। वह दुनिया की मशहूर कंपनी का मालिक बन गया। केएफसी की स्थापना उन्होंने ही की।

कभी भी पलट सकती है किस्मत, लगे रहें

किस्मत कभी भी पलट सकती है। सफलता का मूल मंत्र है-लगे रहो। गिरो, उठो, फिर गिरो, फिर उठो। हार मत मानो। फिर दुनिया की कोई ताकत हरा नहीं सकती। कई लोग जीवन में संघर्ष की शिकायत करते हैं। उन्हें सैंडर्स से सीख लेनी चाहिए। कहानी का संदेश है भाग्य को दोष क्यों? सफलता आपके हाथ में है। कभी निराश मत होइए। अंतिम सांस तक प्रयास कीजिए। किस्मत कभी भी पलट सकती है।

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