गंगा दशहरा 20 जून को, मुक्ति पाने का अवसर

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ज्योतिष सीखें में जानें अब मिथुन लग्न वाले के बारे में
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Ganga Dussehra on June 20, opportunity to get salvation : गंगा दशहरा 20 जून को, मुक्ति पाने का है अवसर। ज्योष्ठ शुक्ल दशमी को माता गंगा का स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। इसी दिन उन्होंने राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को अपने जल के माध्यम से मुक्ति प्रदान की थी। तब से यह मान्यता चली आ रही है कि इस दिन गंगा में स्नान करने वाले को मुक्ति मिल जाती है। गंगा के महत्व और दैनिक उपयोगिता को देखते हुए भी उन्हें जीवन दायिनी कहा जाता है। प्रचीनकाल से ही गंगा कई सभ्यताओं का पालन-पोषण करती रही हैं। वर्तमान समय में भी पेयजल, कृषि, उद्योग आदि में गंगा की भूमिका अवर्णनीय है। इसी कारण गंगा को मां कहा जाता है। धर्मग्रंथ हों या आधुनिक पुस्तकें, सभी में गंगा की खूबी का बखान किया गया है। हम सभी उनके ऋणी हैं।

पतितपावनी हैं गंगा

गंगा पतितपावनी है। यह एक मात्र ऐसी नदी है जो तीनों लोकों में है। देव, दानव और मानव तीनों इनकी पूजा करते हैं। गंगा भी सभी को समान भाव से मुक्ति प्रदान करती हैं। धर्मग्रंथों के अनुसार इसमें स्नान करने वाले के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इनका पृथ्वी पर आगमन ही 60 हजार शापितों की मुक्ति के लिए हुआ। ये विष्णु के नख से निकलकर शिव की जटा से होते हुए हिमालय पर पहुंचीं। गंगोत्री में प्रकट हुईं और ऋषिकेश, हरिद्वार, प्रयागराज, वाराणसी होते हुए गंगासागर में समुद्र में मिल जाती हैं। धर्मिक रूप से गंगाजल का महत्व इससे भी समझ सकते हैं कि जन्म से लेकर मृत्यु के बाद तक के संस्कार में इसकी आवश्यकता होती है। इस क्रम में गंगा दशहरा 20 जून को पुनः सबकी मुक्ति का महान अवसर आ रही है। इस दिन गंगा स्नान व पूजन का विशेष महत्व है।

गंगा जल वाली खूबी किसी अन्य में नहीं

वैज्ञानिक शोध से भी स्पष्ट हुआ है कि गंगा जल अदुभुत है। ऐसी विशिष्टता किसी अन्य नदी या जलाशय के जल में नहीं है।इसका पानी सालों बोतल में बंद कर रख दें, खराब नहीं होता है। इसमें कई तरह के औषधीय गुण भी मिले हैं। भारी प्रदूषण के बावजूद गंगा जल गंगोत्री से हापुड़ और बिहार में मुंगेर के बाद से कहलगांव तक अभी भी कई विशिष्ट गुण मौजूद हैं। उसमें डाल्फिन समेत कई जलीय जीव पर्याप्त संख्या में दिख जाते हैं। कई बीमार लोग गंगा जल में स्नान और उसकी मिट्टी का लेप कर पूरी तरह से स्वास्थ्य लाभ करते हैं। धर्मग्रंथों में भी इसके जल को अमृत समान माना गया है। इसका सेवन हर तरह से कल्याणकारी होता है।

कैसे मनाएं गंगा दशहरा

इस दिन गंगा में कहीं भी स्नान कर उनका पूजन करना सर्वश्रेष्ठ होता है। यदि वाराणसी के दशाश्वमेध घाट, हरिद्वार एवं प्रयागराज में संगम और गंगासागर में स्नान का अवसर मिले तो क्या कहने। वहीं गंगा तट पर पूजन कर लेना चाहिए। इसका अक्षय फल मिलता है। यदि गंगा में स्नान संभव नहीं हो तो आप पास की किसी नदी में भी स्नान कर वहीं से गंगा माता का ध्यान और पूजन कर सकते हैं। यह भी संभव न हो तो सरोवर में स्नान कर लें। घर में स्नानागार में बाल्टी या टब में थोड़ा गंगा जल डालकर स्नान करना और मां गंगा का ध्यान कर पूजन करना भी उचित विकल्प है। यह भी कल्याणकारी होता है। कुल मिलाकर गंगा दशहरा 20 जून का दिन श्रद्धालुओं के लिए विशेष अवसर है। इसका लाभ अवश्य उठाएं।

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