इस साल (वर्ष 2019) होली और अष्टमी का संयोग बन रहा है। इन दोनों शब्दों की संधि से होलाष्टक बनता है जिनका अभिप्राय होली के पूर्व के आठ दिन होता है। ये फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू होकर फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तक चलते हैं। इस दिन से होलिका दहन की तैयारियों के साथ होली में रंग खेलने की योजना बनने लगती है। पंडित अनिल त्रिपाठी के अनुसार होलाष्टक के दौरान सभी ग्रह उग्र या गर्म स्वभाव में रहते हैं जिसके कारण शुभ कार्यों को वर्जित माना जाता है। होलाष्टक प्रारंभ होने के साथ ही होलिका दहन के स्थान को गोबर और गंगाजल लीप कर वहां पर होलिका का डंडा लगा दिया जाता है। होलाष्टक एक दिन का नहीं बल्कि आठ दिन का पर्व है। इस साल होलाष्टक 14 मार्च 2019 से प्रारंभ हो कर 20 मार्च 2019 होलिका दहन तक रहेंगे और 21 मार्च 2019 को रंग की पड़ेवा है इसलिए सभी शुभ कार्य तब तक स्थगित रहेंगे।
आठों दिन उग्र होते हैं नव ग्रह
वहीं पं. अनिल त्रिपाठी के अनुसार सभी नव ग्रह अपनी उग्रावस्था में रहते हैं इसलिए इस दौरान विवाह, नामकरण, गृह प्रवेश, ग्रह निर्माण और मुंडन आदि शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। होलाष्टक में अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा को राहू उग्र रहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इन्हीं आठ दिनों में बालक प्रह्लाद की अनन्य नारायण भक्ति से नाराज हिरण्यकश्यप ने उनको अनेक प्रकार के कष्ट दिए थे और होलिका दहन वाले दिन उसको जीवित जलाने का प्रयास किया था, तभी से इन आठ दिनों को हिंदू धर्म में अशुभ माना जाता है।