महादेव के जाने अनजाने रहस्यों को जानें

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भगवान शिव का तीन अंक से संबंध का रहस्य
भगवान शिव का तीन अंक से संबंध का रहस्य।

Know the unknown secrets of Mahadeva : महादेव के जाने अनजाने रहस्यों को जानें। मन से ही स्मरण करने वाले भक्तों को निहाल करने वाले महादेव अत्यंत सरल और सहज हैं। उनकी पूजा-अर्चना भी बेहद आसान है। वे आसानी से भक्तों पर प्रसन्न होकर मनचाहा वरदान देते हैं। वे देव, दानव और मानव सभी के प्रिय हैं। प्रसन्न होकर रावण को वरदान देते हैं तो राम को भी निराश नहीं करते। इसलिए उन्हें औघड़दानी भी कहा जाता है। महाशिवरात्रि उनकी पूजा-अर्चना के शानदार अवसर है। वह 2021 में 11 मार्च को है। पूजा, साधना, मंत्र, स्तोत्र और अनुष्ठान के बारे में मैंने कई लेख लिखे हैं। अब प्रस्तुत है उनके बारे में कुछ जानी-अनजानी बातें। यह श्रद्धालुओं के लिए रुचिकर होने के साथ ही उपयोगी भी होंगी। पढ़ें और इसका लाभ उठाएं।

शिव का एक नाम आदिनाथ, जुड़ी हैं कई कथाएं

भोलेनाथ के महत्व के बारे में आप सभी जानते ही हैं। उनके कई नाम शिव, शंकर, महादेव, महाकाल, पिनाकधारी, आदिदेव, भूतनाथ आदि काफी प्रचलित हैं। इसके साथ ही उनका एक और नाम आदिनाथ है। जैन धर्म के पहले तीर्थंकर व संस्थापक को भी आदिनाथ ही कहा जाता है। ग्रंथों में शिव और आदिनाथ में काफी समानता लिखी गई है। दोनों ही जटाधारी और दिगंबर हैं। दोनों के लिए हर का नाम प्रयोग किया जाता है। दोनों नाथों के नाथ कहे जाते हैं। दोनों का संबंध नंदी और कैलाश से है। इस तरह से देखें तो दोनों एक से प्रतीत होते हैं। हालांकि दोनों को अलग-अलग माना जाता है। उनकी समानता बताने के मतलब उन्हें एक साबित करना या विवाद को जन्म देना नहीं है। इसका मकसद महादेव के जाने अनजाने रहस्यों को बताना भर है। गोरख संप्रदाय के भी पहले नाथ आदिनाथ ही हैं।

अस्त्र-शस्त्र, सर्प, पार्षद और गण

शिव का धनुष पिनाक, और शस्त्र त्रिशूल है। पाशुपतास्त्र उनका अमोघ हथियार है। इसके साथ ही उन्होंने भवरेंदु और सुदर्शन चक्र का भी निर्माण किया था। गले में वासुकि नाग रहते हैं। वासुकि के बड़े भाई शेषनाग हैं। बाण, रावण, चंड, नंदी, भृंगी आदि शिव के पार्षद हैं। उनके गणों में भैरव, वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, जय और विजय प्रमुख हैं। इसके साथ ही पिशाच, दैत्य, नाग-नागिन आदि को भी शिव का गण माना जाता है।

जानें शिव की पत्नियों और संतान के बारे में

शिव की पहली पत्नी सती थीं। उन्होंने अगला जन्म पार्वती के रूप में लिया। उमा, उर्मि और काली को भी उन्हीं के रूप में पत्नी कहा गया है। महादेव पुरुष हैं। प्रकृति के साथ मिलकर ही वे पूर्ण होते हैं। प्रकृति के संयोग से उनके छह पुत्र हुए। उनके नाम गणेश, कार्तिकेय, सुकेश, जलंधर, अयप्पा और भूमा हैं। कुछ ग्रंथों में दो और पुत्र अंधर और खुजा का भी नाम आता है लेकिन उनके बारे में ज्यादा वर्णन नहीं मिलता। इसलिए मैंने उनका नाम 11 में नहीं जोड़ा है। इसी तरह उनकी पांच पुत्रियां हुईं। पुत्रियों के नाम हैं-जय, विषहर या मनसा, शमिलबारी, देव और अलूपी। इसमें भी थोड़ा विवाद है। कुछ ग्रंथों में ज्योति और अशोक सुंदरी नामक दो और पुत्री का जिक्र आता है। चारों को मिला लें तो संतान की कुल संख्या 15 हुई। महादेव के जाने अनजाने रहस्यों में उनका परिवार भी है।

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शिव के शिष्य, पंचायत और द्वारपाल

सप्तऋषि को शिव का शिष्य माना जाता है। इन ऋषियों ने ही शिव के ज्ञान को धरती पर प्रचारित किया। इसके चलते भिन्न-भिन्न धर्म और संस्कृतियों की उत्पत्ति हुई। शिव ने ही गुरु और शिष्य परंपरा की शुरुआत की थी। उनके शिष्य हैं- बृहस्पति, विशालाक्ष, शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु और भरद्वाज हैं। इसके अलावा गौरशिरस और परशुराम भी उनके शिष्य कहे जाते हैं। भगवान विष्णु, सूर्य, गणपति, देवी और रुद्र शिव पंचायत कहलाते हैं। नंदी, स्कंद, रिटी, वृषभ, भृंगी, गणेश, उमा-महेश्वर और महाकाल उनके द्वारपाल कहे जाते हैं।

धरती पर छह स्थानों पर हैं शिव के पैरों के निशान

छह जगह पर शिव के पैरों के निशान हैं। वहां उनकी पूजा होती है। पहला निशान है झारखंड की राजधानी रांची स्थित पहाड़ी बाबा मंदिर में। यहां महादेव के पैर के निशान हैं। श्रीलंका के रतनद्वीप में स्थित पहाड़ पर श्रीपद नामक मंदिर में पांच फुट सात इंच लंबे और दो फुट छह इंच चौड़े शिव के पैर का निशान हैं। तीसरा निशान तमिलनाडु के नागपट्टीनम जिले में है। यहां श्रीस्वेदारण्येश्‍वर के मंदिर में शिव के पदचिह्न हैं। उसे ‘रुद्र पदम’ कहा जाता है। इसी क्षेत्र के थिरुवन्नामलाई में भी शिव का पदचिह्न कहा जाता हैं। असम के तेजपुर में रुद्रपद मंदिर में भी शिव के पैर का निशान है। छठा निशान उत्तराखंड के जागेश्वर के जंगल में स्थित है। यहां भीम मंदिर के पास शिव के पदचिह्न हैं। इसका मकसद महादेव के जाने अनजाने रहस्यों में यह प्रमुख है।

विरोधाभास में एकजुटता की सीख, अनेकता में एकता

शिव परिवार विरोधाभास में एकता की सीख देता है। महादेव के गले में वासुकि नाग है। उनके पुत्र कार्तिकेय का वाहन मयूर है। नाग और मयूर एक-दूसरे के दुश्मन माने जाते हैं। इसी तरह गणेश का वाहन चूहा है। सांप चूहे को खाता है। पार्वती का वाहन शेर और शिव का वाहन नंदी बैल है। शेर और बैल के संबंध को सभी जानते ही हैं। इस जबरदस्त विरोध के बाद भी उनका परिवार एक है। प्रकृति और पुरुष का गजब संतुलन रखने वाले शिव का परिवार अनेकता में एकता की भी मिसाल प्रस्तुत करता है।

शिवलिंग का महत्व और 12 ज्योतिर्लिंग

इसका मकसद महादेव के जाने अनजाने रहस्यों में शिवलिंग भी है। इसके बारे में वायु पुराण में व्याख्या की गई है। उसके अनुसार प्रलयकाल में समस्त सृष्टि उसी में लीन हो जाती है। सृष्टि के निर्माण के समय उसी से प्रकट होती है। इस तरह देखें तो शिवलिंग समस्त ऊर्जा का प्रतीक है। शोध में पाया गया है कि जिन जगह पर ज्योतिर्लिंग हैं, वे ऊर्जा के बड़े केंद्र हैं। इसी कारण प्रतीक स्वरूप शिवलिंग की पूजा-अर्चना की जाती है और उस पर जल, दूध आदि से अभिषेक किया जाता है। धरती पर 12 ज्योतिर्लिंग कहे जाते हैं। ये हैं- सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, वैद्यनाथ, भीमशंकर, रामेश्वरम, नागेश्वर, विश्वनाथ, त्र्यंबकेश्वर, केदारनाथ और घृष्णेश्वर।

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