learn the method of using shabar mantra : जानें शाबर मंत्रों के प्रयोग की विधि। अपनी मुश्किलें करें आसान।अधिकतर शाबर मंत्र स्वयंसिद्ध होते हैं। गुरु कृपा के बाद प्रयोग में लाए जाते हैं। चूंकि इस समय योग्य गुरु को ढूंढना भी कठिन है। ऐसे में मंत्र पाना और कृपा मिलना असंभव सा है। समस्या यह है कि कुछ मंत्र बिना गुरु की अनुमति के प्रयोग में नहीं लाया जा सकता है। इसके बावजूद ढेर सारे मंत्रों का प्रयोग किया जा सकता है। ऐसे कुछ मंत्रों को नीचे दे रहा हूं। साथ ही प्रयोग विधि की जानकारी भी है।
स्वयंसिद्ध होते हैं शाबर मंत्र
इन्हें प्रयोग में लाने से पहले पुन: सिद्ध करने की जरूरत नहीं होती। मेरा मानना है कि पहले इसे गुरु देते थे। उनसे मंत्र मिलने पर गुरु की शक्ति के साथ प्रयोग विधि भी मिल जाती थी। अब ऐसा नहीं होता है। साधक कहीं से मंत्र पाकर खुद प्रयोग करता है। ऐसे में मंत्र के प्रयोग का सही अधिकारी नहीं होता है। उसे प्रयोग से पूर्व उसका कुछ जप और हवन कर लेना चाहिए। ताकि उसके पास मंत्र से संबंधित अपनी ऊर्जा आ सके। अर्थात गुरु की कृपा के बदले मंत्र के देवता की कृपा मिले। इससे वह मंत्र के प्रयोग के पात्र बन सकेंगे।
जानें शाबर मंत्रों के जप का समय और स्थान
पर्व-त्योहारों व सिद्ध समय हर तरह के मंत्रों की सिद्धि के लिए उपयुक्त होता है। शाबर मंत्र भी उससे अलग नहीं हैं। चंद्रग्रहण, सूर्यग्रहण, अमावस्या व संक्रांति भी उपयुक्त होता है। जगह के मामले में नदी का किनारा, सुनसान स्थान, घर का खाली कमरा, शमशान, देव मंदिर, वन, चौराहा आदि जप के लिए उपयुक्त स्थान होता है। रात्रि काल में मंत्रों के जप का ज्यादा फायदा मिलता है। इसमें शुद्धि-अशुद्धि का भी ज्यादा ध्यान रखना जरूरी नहीं है। दूसरे शब्दों में कहें तो शाबर मंत्रों का आधार भाव, विश्वास, समर्पण और संकल्प शक्ति है। इसी बल पर इच्छित फल पा सकते हैं। मन शुद्ध और जनकल्याण की भावना होनी चाहिए। इसमें दूसरों के नुकसान पहुंचाने के मंत्र भी हैं। हालांकि उसके प्रयोग में खतरा रहता है। कई बार उल्टा असर भी हो सकता है।
अपनी रक्षा व शत्रुनाश के लिए पाठ
जानें शाबर मंत्रों के प्रयोग की विधि में मैं बता रहा हूं। एक पाठ और उसकी प्रयोग विधि। यह अत्यंत प्रभावी है।
हमें जो सतावै, सुख न पावै सातों जनम।
इतनी अरज सुन लीजै, वीर भैरों! आज तुम।
जितने होंय सत्रु मेरे, और जो सताय मुझे।
वाही को रक्त-पान, स्वान को कराओ तुम।
मार-मार खड्गन से, काट डारो माथ उनके।
मास रक्त से नहावो, वीर भैरों! तुम।
कालका भवानी, सिंह वाहिनी को छोड़।
मैंने करी आस तेरी, अब करो काज इतनों तुम।
प्रयोग विधि : सवा सेर बूंदी के लड्डू लें। फिर नारियल, अगरबत्ती व लाल फूलों की माला लें। इनसे श्री वीर भैरव का 21 दिन पूजन करें। साथ ही नित्य 108 बार पाठ करें। इसी से लक्ष्य की प्राप्ति हो जाती है। यदि समस्या ज्यादा हो तो अनुष्ठान के बाद भी रोज सात बार पाठ करते रहें। इससे आपका रक्षाकवच मजबूत होगा। शत्रु का नाश भी होगा।
बहु उपयोगी शाबर मंत्र
जानें शाबर मंत्रों के प्रभाव को। इसमें एक ऐसा मंत्र दे रहा हूं जिसे प्रयोग की विधि में अंतर कर अलग-अलग इच्छित फल पा सकते हैं। एक मंत्र की तीन प्रयोग विधियां है। अगले लेखों में और उपयोगी मंत्रों की जानकारी दूंगा।
ऊं नमो आदेश गुरन को, ईश्वर वाचा।
अजरी बजरी बाड़ा बज्जरी, मैं बज्जरी बांधा दशौ दुवार छवा।
और के घालों, तो पलट हनुमंत वीर उसी कों मारे।
पहली चौकी गनपती, दूजी चौकी हनुमंत, तीजी चौकी में भैरों,
चौथी चौकी देह, रक्षा करन को आवैं श्री नरसिंह देव जी।
शब्द सांचा, पिंड कांचा, चले मंत्र ईश्वरी वाचा।
जानें शाबर मंत्रों के प्रयोग की पहली विधि : जहां कहीं हों मंत्र का तीन बार पाठ करें। जंगली व विषैले जीव, लुटेरे, डाकू आदि के खतरे से बचे रहेंगे। मंत्र पढ़ते हुए चारों ओर जल छिड़क लें। घेरा खींच लें तो सुरक्षा कवच बन जाएगा।
अन्य प्रयोग विधियां
बीमार या दर्द से छटपटा रहा हो तो इस मंत्र से झाड़ें। तत्काल आराम मिलने लगेगा। समस्या अधिक हो तो मंत्र से झाडऩे की प्रक्रिया थोड़ी देर तक जारी रखें।
तीसरी प्रयोग विधि : घर में लगातार बाधा या उपद्रव हो तो प्रयोग करें। उड़द के कुछ दाने व लोहे की कुछ कील लेकर मंत्र से अभिमंत्रित करें। फिर मंत्र पढ़ते हुए घर के सबसे अंदर के कमरे में जाएं। उड़द के दाने फेंकते हुए वहां से बाहर निकलें। चौखट पर अभिमंत्रित कील को मंत्र पढ़ते हुए गाड़ दें। यह क्रिया मुख्य द्वार सहित सभी कमरे व उसके चौखट पर करें। आंगन व बरामदे में केवल मंत्र पढ़ते हुए उड़द के दाने छीटें। समस्या से छुटकारा मिल जाएगा। उम्मीद है कि जानें शाबर मंत्रों के प्रयोग की विधि आपके लिए उपयोगी होगी।
लक्ष्य प्राप्ति में बेजोड़ है शाबर मंत्र, प्रयोग में सरल