उपयोगी मंत्रों से चुटकी में हल होंगी हर समस्याएं

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सर्वार्थ सिद्धि योग में पाएं मनचाही सफलता
सर्वार्थ सिद्धि योग में पाएं मनचाही सफलता

Mantras that will solve your problems : उपयोगी मंत्रों से चुटकी में हल होंगी हर समस्याएं। इन्हें अपने दैनिक जीवन में अवश्य शामिल करें। इससे आपको छोटी-मोटी समस्याएं ऐसे ही दूर हो जाएंगी। बड़ी बाधाएं भी आपका रास्ता नहीं रोक सकेंगी। ऋषियों ने बहुत सोच-समझकर दिनचर्चा तय की है। उसका पालन करने से कभी कोई समस्या नहीं आती है। ये मंत्र उसी दिनचर्या का हिस्सा हैं। दुर्भाग्य से लोग उसे भूलते जा रहे हैं। जरूरत है उसी का पालन करने की। इसकी शुरुआत सुबह उठते ही हो जानी चाहिए।

प्रातः स्मरणीय मंत्र

सुबह उठकर त्रिदेवों के साथ नवग्रह का निम्न मंत्र पढ़ें। उनका स्मरण फलदायी होती है।

ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानु: शशी भूमिसुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्र: शनिराहुकेतव: कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम्॥

 

स्नान के समय निम्न मंत्र पढ़ें

 

गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिंंधु कावेरी जले अस्मिन् संन्निधिम् कुरु॥

सूर्य नमस्कार

 

सूर्य नमस्कार सहित नीचे के उपयोगी मंत्रों से चुटकी में हल होंगी समस्याएं। यह स्वास्थ्य को बेहतर करने के साथ ही दैनिक जीवन की तमाम बाधाओं को दूर करने में भी सक्षम है। निम्न मंत्र से सूर्य नमस्कार करें। 

ॐ सूर्य आत्मा जगतस्तस्युषश्च
आदित्यस्य नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने दिने।
दीर्घमायुर्बलं वीर्यं व्याधि शोक विनाशनम्
सूर्य पादोदकं तीर्थ जठरे धारयाम्यहम्॥
ॐ मित्राय नम:
ॐ रवये नम:
ॐ सूर्याय नम:
ॐ भानवे नम:
ॐ खगाय नम:
ॐ पूष्णे नम:
ॐ हिरण्यगर्भाय नम:
ॐ मरीचये नम:
ॐ आदित्याय नम:
ॐ सवित्रे नम:
ॐ अर्काय नम:
ॐ भास्कराय नम:
ॐ श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नम:
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीदमम् भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते॥

सुबह की शुरुआत के लिए ये मंत्र आवश्यक हैं। इन उपयोगी मंत्रों से चुटकी में हल होंगी आपकी समस्याएं। नीचे शाम पूजा के दौरान उपयोग में आने वाले मंत्र हैं। उनका उपयोग शाम को भी किया जा सकता है।

गणेश को प्रसन्न करने वाला स्तोत्र

 

गणपति: विघ्नराजो लम्बतुन्डो गजानन:।
द्वै मातुरश्च हेरम्ब एकदंतो गणाधिप:॥
विनायक: चारूकर्ण: पशुपालो भवात्मज:।
द्वादश एतानि नामानि प्रात: उत्थाय य: पठेत्॥
विश्वम तस्य भवेद् वश्यम् न च विघ्नम् भवेत् क्वचित्।
विघ्नेश्वराय वरदाय शुभप्रियाय।
लम्बोदराय विकटाय गजाननाय॥
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय।
गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥
शुक्लाम्बरधरं देवं शशिवर्णं चतुर्भुजं।
प्रसन्नवदनं ध्यायेतसर्वविघ्नोपशान्तये॥

 

आदिशक्ति की वंदना

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥

 

शिव स्तुति

 

कर्पूर गौरम करुणावतारं,
संसार सारं भुजगेन्द्र हारं।
सदा वसंतं हृदयार विन्दे,
भवं भवानी सहितं नमामि॥

 

विष्णु स्तुति

 

शांंताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥

 

श्री कृष्ण स्तुति

 

कस्तूरी तिलकम ललाटपटले, वक्षस्थले कौस्तुभम।
नासाग्रे वरमौक्तिकम करतले, वेणु करे कंकणम॥
सर्वांगे हरिचन्दनम सुललितम, कंठे च मुक्तावलि।
गोपस्त्री परिवेश्तिथो विजयते, गोपाल चूडामणी॥
मूकं करोति वाचालं पंगुं लंघयते गिरिम्‌।
यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्द माधवम्‌॥

श्रीराम वंदना

 

लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये॥

 

श्रीरामाष्टक

श्रीमाष्टक समेत इन सभी उपयोगी मंत्रों से चुटकी में कर सकते हैं अपने बिगड़े काम।

 

हे रामा पुरुषोत्तमा नरहरे नारायणा केशवा।
गोविन्दा गरुड़ध्वजा गुणनिधे दामोदरा माधवा॥
हे कृष्ण कमलापते यदुपते सीतापते श्रीपते।
बैकुण्ठाधिपते चराचरपते लक्ष्मीपते पाहिमाम्॥

 

एक श्लोकी रामायण

 

आदौ रामतपोवनादि गमनं हत्वा मृगं कांचनम्।
वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीवसम्भाषणम्॥
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं लंकापुरीदाहनम्।
पश्चाद्रावण कुम्भकर्णहननं एतद्घि श्री रामायणम्॥

सरस्वती वंदना

 

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वींणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपदमासना॥
या ब्रह्माच्युतशङ्करप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम पातु सरस्वती भगवती
निःशेषजाड्याऽपहा॥

 

हनुमान वंदना

 

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्‌।
दनुजवनकृषानुम् ज्ञानिनांग्रगणयम्‌।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्‌।
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥
मनोजवं मारुततुल्यवेगम जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणम् प्रपद्ये॥

 

स्वस्ति-वाचन

 

ॐ स्वस्ति न इंद्रो वृद्धश्रवाः
स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्ट्टनेमिः
स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु॥

 

शांति पाठ

 

ऊँ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्‌ पूर्णमुदच्यते।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥
ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्ष (गुँ) शान्ति:,
पृथिवी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:।
वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:
सर्व (गुँ) शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥
॥ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥

उपरोक्त सारे मंत्र बेहद उपयोगी है। इन उपयोगी मंत्रों से चुटकी में हल होंगी समस्याएं। इनके साथ शाम को और पूजा के दौरान निम्न मंत्र को पढ़ें।

दीप दर्शन के दौरान निम्न मंंत्र का प्रयोग करें

 

शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोऽस्तु ते॥
दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दनः।
दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तु ते॥

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