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भाग दो : आइए जानते हैं अपनी धर्म और संस्कृति को - Parivartan Ki Awaj
भाग-2
हिंदुओं के 33 करोड़ नहीं 33 कोटि देवी-देवता हैं।
कोटि = प्रकार
देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते है, कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता। हिन्दू धर्म का दुष्प्रचार करने के लिए ये बात उड़ाई गयी की हिंदुओं के 33 करोड़ देवी देवता हैं और अब तो अज्ञानी हिंदू खुद ही गाते फिरते हैं की हमारे 33 करोड़ देवी देवता हैं…
कुल 33 प्रकार के देवी देवता निम्न हैं :-
12 प्रकार हैं
आदित्य , धाता, मित, आर्यमा, शक्रा, वरुण, अंश, भाग, विवास्वान, पूष, सविता, तवास्था, और विष्णु…।
आठ प्रकार हैं :-
वासु, धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष प्रभाष।
11 प्रकार है :-
रुद्र, हर, बहुरुप, त्रयँबक, अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी, रेवात, मृगव्याध, शर्वा और कपाली।
दो प्रकार है :-
अश्विनी और कुमार।
कुल :- 12+8+11+2=33 कोटी
दो पक्ष- कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष
तीन ऋण- देव ऋण, पितृ ऋण और ऋषि ऋण
चार युग – सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग
चारधाम- द्वारिका, बद्रीनाथ, जगन्नाथपुरी और रामेश्वरम धाम
चारपीठ- शारदा पीठ (द्वारिका), ज्योतिष पीठ (जोशीमठ-बद्रिधाम), गोवर्धन पीठ (जगन्नाथपुरी) और शृंगेरीपीठ
चार वेद- ऋग्वेद, अथर्वेद, यजुर्वेद और सामवेद
चार आश्रम – ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास
चार अंत: करण- मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार
पञ्चगव्य – गाय का घी, गाय का दूध, गाय दूध का दही, गोमूत्र और गोबर
पञ्चदेव – गणेश, विष्णु, शिव, देवी और सूर्य
पंचतत्व- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश
छह दर्शन – वैशेषिक, न्याय, सांख्य, योग, पूर्व मिसांसा और दक्षिण मिसांसा
सप्तऋषि – विश्वामित्र, जमदाग्नि, भरद्वाज, गौतम, अत्री, वशिष्ठ और कश्यप
सप्तपुरी – अयोध्या पुरी, मथुरा पुरी, माया पुरी (हरिद्वार), काशी, कांची (शिन कांची-विष्णु कांची), अवंतिका और द्वारिका पुरी
आठ योग – यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि
आठ लक्ष्मी – आग्घ, विद्या, सौभाग्य, अमृत, काम, सत्य, भोग और योग लक्ष्मी
नवदुर्गा – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री
दस दिशाएं – पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, ईशान, नैऋत्य, वायव्य, अग्नि, आकाश, पाताल
10 विष्णु अवतार – मत्स्यकच्छपवराह नरसिंहवामन परशुरामश्रीराम कृष्ण बुद्ध कल्कि
बारह मास – चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, अषाढ, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फागुन
बारह राशि – मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और कन्या
बारह ज्योतिर्लिंग – सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकाल, ओमकारेश्वर, बैजनाथ, रामेश्वरम, विश्वनाथ, त्र्यंबकेश्वर, केदारनाथ, घुष्नेश्वर, भीमाशंकर और नागेश्वर
पंद्रह तिथियाँ – प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीय, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा और अमावास्या
स्मृतियां – मनु, विष्णु, अत्री, हारीत, याज्ञवल्क्य, उशना, अंगीरा, यम, आपस्तम्ब, सर्वत, कात्यायन, ब्रहस्पति, पराशर, व्यास, शांख्य, लिखित, दक्ष, शातातप और वशिष्ठ