शनि देव को लोग क्यों चढ़ाते हैं तेल, कब शुरू हुई परंपरा

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ग्रहों की शांति के उपाय में शनि, मंगल, चंद्रमा को जानें
ग्रहों की शांति के उपाय में शनि, मंगल, चंद्रमा को जानें।

why do people offer oil to shani : शनि देव को लोग क्यों चढ़ाते हैं तेल? इससे क्या फायदा होता है? इसके कारण क्या हैं? इसकी परंपरा कब शुरू हुई? क्या ऐसा हमेशा से होता आया है? आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ऐसा पहले नहीं होता था। लेकिन अब शनि देव की कृपा पाने के लिए जरूरी माना जाता है। हर शनिवार लोग उन्हें तेल चढ़ाते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने पर शनि का कुप्रभाव नहीं पड़ता है। शनि देव को तेल चढ़ाने को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। इनमें से सर्वाधिक प्रचलित दो कथाएं हैं। दोनों रामायण काल की हैं। दोनों में शनिदेव व हनुमान जी के संघर्ष की कथा है। आइए जानें दोनों कथाओं को।

शनि देव को हुआ अपने बल का घमंड

एक बार सूर्य पुत्र शनि को अपने बल का घमंड हो गया। उस समय हनुमान जी के पराक्रम की कीर्ति हर ओर फैली थी। शनि को भी उनके बारे में जानकारी मिली। उन्होंने बजरंग बली को हराने की ठानी। वे उनके पास पहुंचे। बजरंग बली उस समय श्रीराम की भक्ति में लीन थे। तभी शनि देव ने उन्हें युद्ध के लिए ललकारा। पवनपुत्र ने उन्हें समझाने का प्रयास किया। कहा कि वे इस समय प्रभु की भक्ति में लीन हैं। अभी युद्ध करना नहीं चाहते हैं। लेकिन शनि नहीं माने। वे लगातार युद्ध की चुनौती देते रहे। विवश हो पवनपुत्र युद्ध के लिए तैयार हो गए। दोनों के बीच घमासान युद्ध हुआ।

घायल होकर परास्त होने पर घमंड टूटा 

दो महावीर के युद्ध में शनि बुरी तरह परास्त हुए। वे गंभीर रूप से घायल भी हो गए। पीड़ा से उनका बुरा हाल हो गया। उन्होंने हनुमान जी की प्रार्थना की। तब संकटमोचन हनुमान ने उन्हें एक तेल दिया। तेल लगाकर शनि देव को दर्द से राहत मिली। दूसरी कथा भी ऐसे ही संघर्ष की है। उसमें भी महावीर ने उन्हें तेल दिया। उसने उन्हें दर्द से राहत दिलाई। उसी समय से शनि को तेल अर्पित करने की परंपरा शुरू हुई। मान्यता है कि इससे उन्हें खुशी मिलती है। शनि देव को लोग इसी कारण से तेल चढ़ाने लगे हैं।

तेल अर्पित करते समय ध्यान रखें ध्यान

आज की तारीख में तेल चढ़ाना बेहद प्रचलित है। अधिकतर लोग इसे ही सबसे महत्वपूर्ण मानते हैं। इसके बारे में कुछ अहम जानकारी भी है। शनि को लोग तेल चढ़ाने से पहले तेल में अपना चेहरा अवश्य देखें। यह तेल सरसो का होना चाहिए। ऐसा करने पर दोषों से मुक्ति मिलती है। धन संबंधी कार्यों में आ रही रुकावटें दूर हो जाती हैं। जातक को सुख-समृद्धि मिलती है।

सभी अंगों में अलग-अलग ग्रह का वास

ज्योतिष शास्त्र की अहम जानकारी भी जानें। इसके अनुसार शरीर के सभी अंगों में अलग ग्रहों का वास होता है। अर्थात अंगों के कारक ग्रह अलग-अलग हैं। शनि त्वचा, दांत, कान, हड्डियां और घुटनों के कारक हैं। शनि के अशुभ होने पर इन अंगों में समस्या रहती है। ऐसे में उनका विशेष ध्यान रखना चाहिए। उन पर हर शनिवार तेल से मालिश करनी चाहिए। ऐसा करना भी लाभदायक होता है। इससे इन अंगों को पीड़ा से राहत मिलती है। मालिश करने के लिए सरसों के तेल का उपयोग श्रेष्ठ है। उम्मीद है कि आपने समझ लिया होगा कि शनि देव को लोग क्यों चढ़ाते हैं तेल। इसका पूरा अर्थ और तरीका क्या है।

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