30 अगस्त 2021 को मनाएं जन्माष्टमी, दुख होंगे दूर

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30 अगस्त 2021 को मनाएं जन्माष्टमी, दुख होंगे दूर
30 अगस्त 2021 को मनाएं जन्माष्टमी, दुख होंगे दूर।

Celebrate Janmashtami on 30 August 2021 : 30 अगस्त 2021 को मनाएं जन्माष्टमी, दुख होंगे दूर। इस दिन लोग व्रत रखते हैं। साथ ही भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा और अनुष्ठान कर उन्हें प्रसन्न करते हैं। भक्त वत्सल भगवान कभी अपने भक्तों को निराश नहीं करते हैं। उन्हें शीघ्र फल देकर निहाल करते हैं। खास बात यह है कि इस बार जन्माष्टमी पर कई विशेष शुभ योग भी बन रहे हैं। ये योग लक्ष्य आधारित अनुष्ठान करने के लिए अत्यंत उपयुक्त हैं। इस दिन झांकियां निकालने के साथ ही विधि-विधान से व्रत व पूजा-अर्चना कर मनचाहा फल पाया जा सकता है।

शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

श्रीकृष्ण की पूजा करने का शुभ मुहूर्त इस बार करीब 45 मिनट का है। व्रत के पारण का समय तुलनात्मक रूप से थोड़ा जल्दी है जिससे व्रतियों को अधिक परेशानी नहीं होगी।

निशीथ पूजा का उपयुक्त समय- रात 11 बजकर 59 मिनट से 12 बजकर 44 मिनट तक।

व्रत के पारण का समय 31 अगस्त को- प्रातः 5 बजकर 58 मिनट के बाद।

30 अगस्त को तड़के उठें। स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान के बाल रूप (लड्डू गोपाल) की पूजा करें। उन्हें झूले पर बिठाकर झूला झुलाएं। व्रत रखकर दिन भर मन-वचन से भी सात्विक रहें। रात में जन्म के समय निशीथ पूजा करें। संभव हो तो रात्रि जागरण भी करें। इस दौरान इच्छा व सुविधानुसार भगवान के किसी भी मंत्र का जप करते रहें। सुबह स्नान और पूजा के बाद ही व्रत का पारण करें।

कुछ उपयोगी उपाय

30 अगस्त 2021 को जन्माष्टमी के दिन ये उपाय अत्यंत उपयोगी हैं। यदि मूर्ति पूजा करते हैं तो बछड़े पर कान्हा की मूर्ति लाएं। इससे आर्थिक स्थिति सुधरती है। निःसंतान दंपति को संतान सुख मिलता है। इस दिन कृष्ण को परिजात के फूल चढ़ाने और शंख में दूध अर्पित करने से धन की समस्या नहीं रहती है।भगवान को 56 भोग लगाने पर मनोकामना पूर्ण होती है। यदि कर्ज से परेशान हैं तो शाम को तुलसी जी पूजा करें। साथ ही ऊं नमो वासुदेवाय नमः का जप करते हुए 11 बार तुलसी की परिक्रमा करें। इससे शीघ्र लाभ मिलेगा। रात में दूध में केसर मिलाकर कान्हा का अभिषेक करने पर सुख-समृद्धि आती है।

कान्हा को मोर पंख व माखन-मिश्री प्रिय

श्रीकृष्ण को मोर पंख अत्यंत प्रिय हैं। अतः यदि मूर्ति लाते हैं तो उस पर मोर पंख से श्रृंगार अवश्य करें। तस्वीर पर भी ऊपर से मोर पंख लगाना चाहिए। उन्हें पान भी अत्यंत प्रिय है। अतः साबूत पान लाकर उस पर ऊं नमो वासुदेवाय नमः लिखकर उन्हें अर्पित करें। कान्हा के माखन और मिश्री की कई कथाएं काफी प्रचलित हैं। ये उन्हें अत्यंत प्रिय हैं। इनके बिना कान्हा ही पूजा अधूरी रहती है। विशेष रूप से जन्माष्टमी में उनके बाल रूप की पूजा होती है। अतः उन्हें माखन और मिश्री का भोग अवश्य लगाएं। साथ ही उनके समक्ष चांदी की बांसुरी रखना शुभ माना जाता है। यदि चांदी की संभव न हो तो बांस की बांसुरी भी रख सकते हैं। क्योंकि भगवान वस्तु से अधिक भाव के भूखे होते हैं। इस तरह की पूजा से भगवान भक्तों पर कृपा बरसाते हैं।

संदर्भ- विक्रम संवत पंचांग और व्रत एवं त्योहार।

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