celebrate makar sankranti in this way : मकर संक्रांति का पर्व महत्वपूर्ण होता है। इस पर्व को इस तरह मनाएं। इसे मनाने को लेकर लोगों को खास जानकारी नहीं है। इसे सिर्फ स्नान और दान तक इसे सीमित मानते हैं। इस दिन लोग तिल, गुड़, चूड़ा और दही का पर्व मानते हैं। जबकि यह महत्वपूर्ण अवसर है। इस दिन पुण्यकाल में किया शुभ कार्य फल देने वाला होता है। पुण्यकाल के दौरान ही मंत्रों का जप तत्काल फल देता है। इस दिन स्नान और दान का महत्व तो है ही। इससे भी अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके लिए निम्न मंत्र भी है।
यद्यस्तमय वेलायां मकरं याति भास्कर:।
प्रदोषे वाद्रघरात्रे वा स्नानं दानं परेहनि।
पुण्यकाल में करें सभी धार्मिक कार्य
मकर संक्रांति के पुण्यकाल में नदियों या तीर्थ स्थलों में स्नान-दान का फल धर्मशास्त्रों में वर्णित है। प्रयाग या गंगासागर में स्नान सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। पवित्र नदी या तीर्थस्थल न मिले तो भी चिंता नहीं करें। किसी भी जलाशय या घर में स्नान करना भी पुण्यप्रद है। स्नान के बाद सूर्य व अपने इष्टदेव का ध्यान करें। फिर काले तिल, उससे निर्मित मिष्ठान्न, काला कंबल एवं वस्त्रादि दान करें। इससे सुख-समृद्घि के साथ आरोग्य लाभ होता है। इस दिन चूड़ा, दही व खिचड़ी की सामग्री के दान का भी प्रचलन है। लोग इन्हीं वस्तुओं का सेवन भी करते हैं। हाल के सालों में संक्रांति की तारीख में फेरबदल होता रहा है। अतः दूसरे विकल्प को भी जानना जरूरी है। कई बार सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में मकर राशि में सूर्य प्रवेश करते हैं। ऐसे में पुण्यकाल का स्नान व दान संक्रांति के दूसरे दिन प्रात: करना चाहिए।
यह है मकर संक्रांति का पुण्यकाल
आइए जाने कि इस वर्ष पुण्यकाल का समय क्या रहेगा। ताकि तदनुसार सारे धार्मिक कार्य कर सकें। इस बार मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही है। पुण्यकाल भी स्पष्ट है। उसमें धार्मिक कार्य के लिए पर्याप्त समय है। सूर्य का मकर में प्रवेश सुबह 8.30 बजे है। पुण्यकाल सुबह 8.30 से शाम 5.46 बजे तक रहेगा। महा पुण्यकाल की अवधि सिर्फ पौने दो घंटे है। यह सुबह 8.30 बजे शुरू होकर 10.15 बजे खत्म हो जाएगा। इस बीच में मंत्र को शुरू कर दें। कम संख्या वाले मंत्र यदि 5.46 तक पूरे हो सके तो उसे सिद्ध करना बेहद आसान होगा।
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