kaal bhairav at ravan’s birth place : रावण के जन्मस्थल में काल भैरव की स्थापना की गई। काल भैरव की मूर्ति को दशहरा के दिन स्थापित किया गया। रावण के प्रति श्रद्धा रखने वाले बिसरख में अब बदलाव की बयार बहने लगी है। काल भैरव की स्थापना इसी की कड़ी है। इस अवसर पर भव्य भंडारे का आयोजन किया गया। उसमें ग्रामीणों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
बिसरख के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया
बिसरख धाम ट्रस्ट के संस्थापक आचार्य अशोकानंद जी ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इसकी तैयारी कई दिनों से चल रही थी। पहले काल भैरव की प्रतिमा को पंचामृत स्नान कराया गया। फिर नगर भ्रमण किया गया। इसमें इलाके के लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए। फिर विधि-विधान से प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई।
राम-जानकी पहले से हैं स्थापित
बिसरख धाम में राम-जानकी की स्थापना पूर्व में हो चुकी है। एक समय था जब यहां लोग राम का नाम लेने से भी कतराते थे। कुछ युवकों ने रामलीला शुरू की थी। लेकिन राम और हनुमान का पात्र निभाने वाले का आकस्मिक निधन हो गया। इसके बाद फिर सालों तक लोग डरे रहे। आचार्य अशोकानंद ने इस माहौल को बदला। उनका कहना है कि रावण को राम ने रामेश्वरम में आचार्य बनाया था। बाद में लक्ष्मण को गुरु रूप में उनसे ज्ञान लेने भेजा था। अतः दोनों की साथ पूजा में कोई हर्ज नहीं है। ग्रामीण भी अब दोनों श्रद्धेय मानते हैं। रावण के जन्मस्थल में काल भैरव की स्थापना इसी की कड़ी है।
रावण की जन्भूममि में अब देवता भी पूजे जाते हैं
किसी जमाने में रावण ने देवाताओं का भारी विरोध किया था। अब उसकी जन्मभूमि में दोनों साथ पूजे जाने लगे हैं। कुछ साल पहले तक वहां सिर्फ शिव मंदिर था। रावण भी उनका भक्त था। अतः उसमें कोई अस्वाभाविक बात नहीं थी। अब अन्य देवी-देवताओं की पूजा बदलते जमाने का द्योतक है। यही कारण है कि बिसरख के लोगों ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में भरपूर उत्साह दिखाया। रावण जन्मस्थान की मिट्टी भी वहां भेजी गई।
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