the science of mantra is miraculous : चमत्कारिक है मंत्र का विज्ञान। वैज्ञानिक शोध से साबित हो चुका है कि ब्रह्मांड ऊर्जा का स्पंदन भर है। जहां ऊर्जा होगी, वहां ध्वनि भी अवश्य होगी। यौगिक परंपरा में इसे नाद ब्रह्म कहा जाता है। मंत्र इसी का एक रूप है। इसमें खास शब्दों को बार-बार दोहराया जाता है। इससे शरीर, मन, और प्रकृति में खास तरह की ऊर्जा का संचार होता है। इसका खास और चमत्कारिक असर मिलता है। जरूरत है उसके सही ज्ञान की।
जप से सूक्ष्म शरीर होता है सक्रिय
किसी मंत्र को बार-बार दोहराते जाना जप है। हालांकि जप तीन तरह से होता है। मुंह से स्पष्ट उच्चारण के साथ। दूसरा होंठों से आवाज निकले पर पास बैठा व्यक्ति समझ नहीं सके। तीसरा मन ही मन जप करना। तीनों ही विधि अत्यंत उपयोगी और प्रभावी हैं। मंत्र का शरीर और मन पर जबर्दस्त असर पड़ता है। उसकी क्षमता बढ़ जाती है।
शरीर व मन में होता है ऊर्जा का संचार
जप से होने वाली ऊर्जा और कंपन सूक्ष्म शरीर को सक्रिय करता है। यह आत्मा में छिपे परमात्मा को जगाने की तरह है। इसमें रोग, बाधा और दुर्भाग्य दूर करने की अद्भुत क्षमता है। सही मंत्र और सही तरीके से जपयोग महत्वपूर्ण होता है। सही तरीके से की जाए तो सारे पाप तक कट जाते हैं। मनुष्य जन्म-मृत्यु के चक्र से भी मुक्त हो जाता है।
भौतिक सुख से मोक्ष तक संभव
चमत्कारिक है मंत्र का विज्ञान। धर्म ग्रंथों में अनगिनत मंत्रों का उल्लेख और उन सबके फायदे हैं। जप व सिद्धि की विधियां बताई गई है। मंत्र किस देवी-देवता से जुड़े हैं, उसका वर्णन है। कुछ मंत्र मोक्ष के लिए तो कुछ देवी-देवता की क़पा पाने के लिए होता है। कुछ भौतिक फायदे के लिए होते हैं। मंत्र से ग्रहों को अनुकूल किया जा सकता है। कुछ मंत्र शत्रुनाश, वशीकरण, उच्चाटन के लिए भी होते हैं। हालांकि उन्हें अच्छा नहीं माना जाता है। मंत्रों को गुण और जप विधि के कारण तीन भाग में बांटा गया है। ये हैं- वैदिक, तांत्रिक और शाबर मंत्र।
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मंत्र जप के आवश्यक नियम
मंत्रों के जप में पूरा फल पाने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखें। इनमें पहला है संकल्प। जप करने से पहले संकल्प लेना जरूरी है। उसी समय जप की संख्या, स्थान, समय, विधि भी तय कर लें। मंत्र सादना की जानकारी गुप्त रखें। विशेष सिद्धि या प्रयोजन के लिए सूर्यग्रहण या चंद्रग्रहण उपयुक्त समय है। इस दौरान नदी के जल में खड़े होकर मंत्र का जप अत्यंत उपयोगी होता है। अधिकतर मंत्रों का जप घर में किया जा सकता है। कुछ मंत्रों का जप/अनुष्ठान घर में कतई नहीं करें। अन्यथा लाभ के बदले हानि हो जाएगी। कुछ मंत्रों का जप मंदिर, निर्जन स्थान या नदी-तालाब के किनारे करना उचित होता है।
योग्य गुरु से प्राप्त मंत्र का ही करें जप
जप के लिए जरूरी है कि अपने शरीर, मन और आंतरिक शक्ति के आधार पर मंत्रों का चयन किया जाए। हर व्यक्ति के शरीर की क्षमता अलग-अलग होती है। मंत्र का जप भी उसी अनुरूप किया जाना चाहिए। अत्यंत जाग्रत एवं प्रभावी मंत्र का जप यदि कमजोर ध्यात्मिक शक्ति वाला व्यक्ति करेगा, तो वह उसका बोझ संभाल नहीं पाएगा। उसे मंत्र का भी आंशिक फायदा मिलेगा, नुकसान अलग से हो सकता है। उदाहरण के लिए ऊं को लें। यह जाग्रत और शक्तिशाली बीज मंत्र है। इसे मंत्रों में जोड़कर उस मंत्र की भी ताकत बढ़ाई जाती है लेकिन जिसकी आध्यात्मिक शक्ति कमजोर है, उसे इस मंत्र का जप नहीं करना चाहिए। यही कारण है कि मंत्र जप के लिए योग्य गुरु की जरूरत बताई जाती है। चमत्कारिक है मंत्र का क्षेत्र। इसे ठीक से न जानने वाला ही इसे बेकार कहता है।
गुरु का चयन है बड़ी चुनौती
गुरु अपने शिष्य की क्षमता को अच्छी तरह से जानता है। उस आधार पर ही मंत्र का चयन कर उसे देता है। यह भी महत्वपूर्ण तथ्य है कि गुरु से प्राप्त मंत्र के साथ शिष्य को उस मंत्र की थोड़ी ताकत भी मिल जाती है। अर्थात जप से पहले ही शिष्य उस मंत्र की दिशा-दशा को पा लेता है। जब वह खुद जप करने लगता है तो आसानी से लक्ष्य प्राप्त कर लेता है। हालांकि इसमें गुरु की पात्रता की परख भी जरूरी है। आज थोक भाव में जगह-जगह गुरु मिल जाते हैं लेकिन उनमें खुद क्षमता नहीं होती है। ऐसे में उनसे किसी कल्याण की उम्मीद नहीं की जा सकती है।
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