वास्तु और ग्रहों के संतुलन से एक-दूसरे की कमी दूर करें

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ग्रह और वास्तु दोष को मामूली उपायों से सुधारें
ग्रह और वास्तु दोष को मामूली उपायों से सुधारें।

Eliminate each other’s shortcoming with the balance of Vastu and planets : वास्तु और ग्रहों के संतुलन से एक-दूसरे की कमी दूर करें। मैं बात कर रहा हूं कि वास्तुशास्त्र की सहायता से भाग्य को अनुकूल करने के बारे में। इस बार मैं चर्चा करूंगा कि कैसे घर के वास्तु और अपनी जन्मकुंडली का समायोजन करें। आपने देखा होगा कि कई लोग कड़ी मेहनत करके भी किसी तरह से जीवन-यापन करते हैं। दूसरी ओर कुछ लोग थोड़े श्रम करके ही पर्याप्त धन और सफलता पा लेते हैं। इसका कारण उनकी जन्म कुंडली में ग्रहों का योग होता है। घर के मामले में भी ऐसा ही है। घर का हर हिस्सा ग्रह-नक्षत्रों का प्रतिनिधित्व करता है। वह किसी न किसी ग्रह-नक्षत्र से प्रभावित होता और करता है। ऐसे में यह स्वाभाविक है कि यदि क्षेत्र विशेष को ग्रहों के अनुकूल बनाया जाए तो जीवन सफल हो जाएगा।

ग्रह और वास्तु का प्रभाव

ग्रह दशा से पता चलता है कि अपना घर बनेगा या नहीं। बनेगा तो उसमें सुख मिलेगा या नहीं। साथ ही यह भी समझा जा सकता है कि ग्रह अनुकूल न होने से मकान में परेशानी हो तो उसे कैसे ठीक किया जाए? इसे दो उदाहरण से समझें। जन्मकुंडली में यदि सूर्य आठवें घर में हो तो घर का दरवाजा दक्षिण दिशा में नहीं रखना चाहिए। इसका ध्यान नहीं रखने में उस घर में मृत्यु या मृत्यु तुल्य कष्ट का खतरा रहता है। ऐसे व्यक्ति को सफेद गाय भी नहीं पालनी चाहिए। इसी तरह चंद्रमा 11वें और केतु तीसरे घर में हो तो गृहस्वामी को भवन या परिसर में कुआं या हैंडपंप नहीं खुदवाना चाहिए। ऐसा करने पर तीन साल के अंदर गृहस्वामी के जीवन पर खतरा मंडराने लगता है। यदि गलती से ऐसा हो गया तो 11 बच्चों को 11-11 मावा के पेड़े खिलाएं।

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ग्रहों की स्थिति के अनुरूप होता है मकान का वास्तु

वास्तु और ग्रहों के संतुलन को समझना सरल है। इसे इस तरह से समझें। मकान का निर्माण और उसके स्वरूप के निर्धारण में भी ग्रहों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि किसी व्यक्ति के घर में भी प्रायः वही खूबी या खामी रहती है जैसी जन्मकुंडली में ग्रहों की स्थिति होती है। दूसरे शब्दों में कहें तो जन्मकुंडली देखकर उसके घर का और घर को देखकर जन्मकुंडली की ग्रह स्थिति का अंदाज लगाया जा सकता है। जैसे यदि घर के बीच का हिस्सा खुला, हवादार और मन को प्रफुल्लित करने वाला है तो सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि उसकी कुंडली में उस स्थान के स्वामी बृहस्पति मजबूत होंगे। यदि मकान की छत में बार-बार समस्या आ रही तो समझें कि राहु खराब है। इसे स्पष्ट करने के लिए अब नीचे मकान और उसमें ग्रहों और राशियों की स्थिति की जानकारी दे रहा हूं।

भवन से जुड़ी हैं ग्रहों व राशियों की स्थिति

भवन में ग्रहों और राशियों के स्थान निर्धारित हैं। पूर्व में सूर्य ग्रह और संबंधित राशि सिंह का स्थान है। मकान का पश्चिम भाग शनि और कुंभ का है। उत्तर में बुध व केतु के साथ कन्या और दक्षिण में मंगल और वृश्चिक स्थित होते हैं। पूर्व-उत्तर में मंगल, उत्तर-पूर्व में चंद्रमा, पश्चिम-उत्तर में शनि, पश्चिम-दक्षिण में बुध स्थित हैं। दक्षिण-पूर्व में बृहस्पति का और पूर्व-दक्षिण में बृहस्पति के खाली स्थान के सात राहु का वास होता है। भवन के मध्य खुले भाग में बुध प्रत्यक्ष और बृहस्पति का भी प्रभाव रहता है। इससे ग्रहों व राशियों की कुंडली बनाएं। उसका मकान की स्थिति और उच्च या नीच से आकलन करें फिर उसका संबंधित व्यक्ति की जन्मकुंडली से मिलान करें। आप पाएंगे कि दोनों के प्रभाव में काफी समानता है। वास्तु और ग्रहों के संतुलन के लिए अगले अंक में कुंडली बनाने और मिलान की विधि की जानकारी दूंगा।

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