अब नए कलेवर और नए रूप में पढ़ें यह वेबसाइट

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अब नए कलेवर और नए रूप से हों रूबरू।
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Experience the new flavor and new essence : अब नए कलेवर और नए रूप में पढ़ें यह वेबसाइट। कतिपय कारणों से लंबे अवकाश के बाद वेबसाइट पुनः प्रारंभ कर रहा हूं। इस बार इसमें नया तेवर और नई सामग्री भी आपको मिलेगी। लेख के साथ ही वीडियो को भी समाहित किया जाएगा। मैंने अनुभव किया कि मात्र अध्यात्म से कर्तव्य पूरा नहीं होता है। देश, समाज और आसपास बढ़ती चुनौतियों से मुंह मोड़ना उचित नहीं है। प्राचीनकाल में भी ऋषियों ने जब-जब धर्म, समाज और देश के समक्ष चुनौतियां उठ खड़ी हुईं, उनका मजबूती से सामना किया है। आज भी स्थितियां ऐसी ही आन पड़ी हैं।

सनातन धर्म पर चहुंओर से प्रहार

वोट के लोभी राजनेता सनातन धर्म के लिए खतरा बन चुके हैं। संविधान की शपथ लेकर भी उसकी मूल भावना की धज्जियां उड़ा रहे हैं। धर्मनिरपेक्षता के नाम पर मात्र सनातन धर्म का विरोध किया जा रहा है। इसे गलत करार देने का हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। विधर्मियों व तथाकथित आधुनिक लोगों का उन्हें सहज साथ मिलता है। इनसे भी बड़ा खतरा अपने ही धर्म के धंधेबाजों से है। वे इसकी गलत व्याख्या कर अपनी रोटी सेकने में लगे हैं। कई लोग उन्हें ही सही मानकर धर्म के मूस भाव से भटक चुके हैं। वे धंधेबाजों के पीछे गलत दिशा में चल पड़े हैं। विरोधियों को इससे सनातन धर्म पर कीचड़ उछालने में मदद मिलती है। इसका जवाब देना धर्म को जानने वाले हर व्यक्ति का  कर्तव्य है।

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सनातन धर्म के मूल भाव को उभारने पर जोर

अब नए कलेवर और नए रूप में आपको उपरोक्त सामग्री भी मिलेंगी। इसमें संदेह नहीं कि सनातन धर्म विश्व का प्राचीनतम धर्म है। यह प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाने वाली वैज्ञानिक सिद्धांत है। दूसरे शब्दों में यह सबसे सटीक और प्रभावी जीवनपद्धति है। इसे प्रकृति का विज्ञान भी कह सकते हैं। आर्य-अनार्य, ऊंच-नीच, छुआछुत, पाखंड आदि निहित स्वार्थी लोगों द्वारा थोपे गए हैं। आध्यात्मिक क्षेत्र में जितना आगे बढ़ेंगे, उतनी दृष्टि साफ होगी। साथ ही अपने ज्ञान और अभिमान की लघुता का भान होगा। कई बार प्रथमदृष्टया दिखने वाले परस्पर विरोधी विचार और सिद्धांतों में भी कोई अंतर्विरोध नहीं दिखेगा। वे मात्र अलग-अलग मार्ग हैं।

वेद-पुराण, उपनिषद व रामायण-महाभारत के भी प्रसंगों को जानें

इस बार प्राचीन धर्मग्रंथों के उपयोगी प्रसंगों को भी दिया जाएगा। इसके माध्यम से सनातन धर्म की सटीक व्याख्या की जाएगी। इससे पाठक स्वयं धर्म के मूल मर्म को आसानी से समझ लेंगे। यह भी समझ लेंगे कि हमारा धर्म कैसे विश्व में महानतम है। कैसे यह प्रकृति का सबसे बड़ा रक्षक है। विश्व के बाकी हिस्से को लोग अब पर्यावरण का महत्व समझने लगे हैं। ऋषि-मुनियों ने हजारों साल पहले इसे अच्छी तरह से जान लिया था। उन्होंने इसे धर्म से ही जोड़ दिया था। हम यह भी बताएंगे कि किस तरह विरोधी धर्मग्रंथों के प्रसंगों के साथ छेड़छाड़ करते हैं। उन्हें गलत तरीके से प्रस्तुत कर लोगों को भ्रमित करते हैं।

तंत्र-मंत्र, साधना-उपासना व ज्योतिष पूर्ववत रहेंगे

अब नए कलेवर और नए रूप में भी पुराने विषय पूर्ववत रहेंगे। इनमें नई और उपयोगी समाग्री आपको मिलती रहेगी। इनके महत्व को कम नहीं आंका जा सकता है। ये मानव जीवन के अभिन्न अंग हैं। इनके प्रभाव और उपयोगिता को मैंने बार-बार अनुभव किया है। इन्हें कोई भी संवेदनशील व्यक्ति उसी तरह स्वयं अनुभव कर सकता है। जैसे- फूलों की सुगंध और चांंदनी की शीतलता का सहज अनुभव होता है।  इसके साथ ही सनातन धर्म के मूल स्वरूप, उनमें विभिन्न विचारधारा और उसके नाम पर आए अंतर्विरोध को भी उजागर करता रहूंगा।

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