कोजगरा या दीपावली में शुरू करें मां लक्ष्मी की उपासना

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कोजागरा और दीपावली का समय मां लक्ष्मी के पूजन व साधना के

लिए अत्यंत उपयोगी है। इस दिन पूजन-साधना या उसकी शुरुआत कर थोड़े से प्रयास से ही आप बड़ी सफलता हासिल कर सकते हैं। यूं तो यह समय हर तरह की साधना के लिए उपयुक्त है लेकिन धन प्राप्ति के लिए इस दिन का प्रयोग अचूक माना जाता है। आज के भौतिकवादी युग में मां लक्ष्मी की कृपा हर कोई चाहता है और इसके लिए प्रयास भी करता है लेकिन अधिकतर लोगों को सफलता हाथ नहीं लगती है। ऐसे लोग कुछ छोटी बातों पर ध्यान देकर कोजागरा या दीपावली से मां लक्ष्मी का पूजन-ध्यान या उपासना शुरू करें, निश्चय ही सफलता मिलेगी।

माता की उपासना के दौरान ध्यान रहे कि मन में हमेशा सकारात्मकता बनी रहे। क्रोध, घृणा, ईर्ष्या एवं नकारात्मकता को अपने से पूरी तरह दूर रखें। पूजन व साधना काल में मन प्रसन्न रहे, मीठा बोलें और बंधु-बांधवों के साथ रहें। पूजन-उपासना के दौरान सुगंधित धूप-अगरबत्ती आदि जलाए रखें। माता को सुगंधित व रंगीन पुष्प चढ़ाएं। घर में बने खीर व मिठाई का भोग सर्वोत्तम होता है। यदि परेशानी हो तो स्तरीय दुकान से अच्छी गुणवत्ता वाली मिठाई भी भोग के रूप में चढ़ा सकते हैं। नवीन वस्त्र, साफ व सुंदर आसन के साथ कमलगट्टे या स्फटिक की माला में मां लक्ष्मी के मंत्र का जप सबसे अच्छा माना जाता है। पूजा के दौरान मातृशक्ति के प्रति पूर्ण श्रद्धा का भाव रहना चाहिए। किसी भी महिला, लड़कियों के प्रति भूलकर भी दुर्भावना या कटु वचन मन में भी न आए। ऐसा करने पर सफलता की संभावना और बढ़ जाएगी।
सामान्य दिनों में मां लक्ष्मी की उपासना के लिए शुक्रवार का दिन उत्तम माना जाता है लेकिन कोजागरा व दीपावली स्वयंसिद्ध दिन हैं। अत: इस दिन बिना अन्य कोई विचार किए उपसाना करना चाहिए। अभी समय है माता के पूजन-साधना-उपासना के लिए पद्धति, मंत्र, समयसीमा आदि पर विचार कर लें। इस दिन वैदिक, तांत्रिक एव शाबर किसी भी तरीके से मंत्र जप करना अत्यंत फलदायी होता है। मैंने विभिन्न लेखों में मां लक्ष्मी से संबंधित हर तरह के कई मंत्रों एवं प्रयोग विधि का जिक्र किया है, चाहें तो उनमें से किसी का चयन कर सकते हैं। यहां भी कुछ मंत्र एवं उनकी प्रयोगविधि के बारे में जानकारी दे रहा हूं। शास्त्रों में लक्ष्मी साधना को गोपनीय एवं दुर्लभ कहा गया है और निर्देश दिया गया है कि इसे गुप्त रखना चाहिए।
ऐसा शास्त्रोक्त वर्णित है के समुद्र-मंथन से पूर्व सभी देवता निर्धन और ऐश्वर्य विहीन हो गए थे तथा लक्ष्मी के प्रकट होने पर देवराज इंद्र ने महालक्ष्मी की स्तुति की, जिससे प्रसन्न होकर महालक्ष्मी ने देवराज इंद्र को वरदान दिया कि तुम्हारे द्वारा दिए गए द्वादशाक्षर मंत्र का जो व्यक्ति नियमित रूप से प्रतिदिन तीनों संध्याओं में भक्तिपूर्वक जप करेगा, वह कुबेर सदृश ऐश्वर्य युक्त हो जाएगा।
महालक्ष्मी के आठ स्वरुप कहे गए हैं। वास्तव में ये आठ स्वरुप ही मानव जीवन की आधारशिला भी है। इन आठों स्वरूपों में लक्ष्मी जी जीवन के आठ अलग-अलग वर्गों से जुड़ी हुई हैं। बारी-बारी ने इन आठ मंत्रों से माता की साधना करने पर भक्त कर्ज मुक्त होकर वैभववान होता है, उत्तम स्वास्थ्य के साथ आयु बढ़ती है, बुद्धि कुशाग्र होती है, परिवार में खुशहाली आती है, समाज में सम्मान प्राप्त होता है और प्रणय और भोग का सुख मिलता है। माता लक्ष्मी के ये आठ रूप और उनके मूल बीज मंत्र इस प्रकार है।
आदि लक्ष्मी – ये जीवन के प्रारंभ और आयु को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ श्रीं।।
धन लक्ष्मी – ये जीवन में धन और धान्य को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ श्रीं क्लीं।।
धैर्य लक्ष्मी – ये जीवन में आत्मबल और धैर्य को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं।।
गज लक्ष्मी – ये जीवन में स्वास्थ और बल को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं।।
संतान लक्ष्मी – ये जीवन में परिवार और संतान को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं।।
विजय लक्ष्मी यां वीर लक्ष्मी – ये जीवन में जीत और वर्चस्व को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ क्लीं ॐ।।
विद्या लक्ष्मी – ये जीवन में बुद्धि और ज्ञान को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ ऐं ॐ।।
ऐश्वर्य लक्ष्मी – ये जीवन में प्रणय और भोग को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ श्रीं श्रीं।।

साधना विधि : शुक्रवार की रात तकरीबन 09:00 बजे से 10:30 बजे के बीच गुलाबी कपड़े पहने और गुलाबी आसान का प्रयोग करें। गुलाबी कपड़े पर श्रीयंत्र और अष्ट लक्ष्मी का चित्र स्थापित करें। किसी भी थाली में गाय के घी के 8 दीपक जलाएं। गुलाब की अगरबत्ती जलाएं। लाल फूलो की माला चढ़ाएं। मावे की बर्फी का भोग लगाएं। अष्टगंध से श्रीयंत्र और अष्ट लक्ष्मी के चित्र पर तिलक करें और कमलगट्टे हाथ में लेकर इस मंत्र का यथासंभव जाप करें।
मंत्र: ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नम: स्वाहा।।
जाप पूरा होने के बाद आठों दीपक घर की आठ दिशाओं में लगा दें तथा कमलगट्टे घर की तिजोरी में स्थापित करें। इस उपाय से जीवन के आठों वर्गों में सफलता प्राप्त होगी।
श्री महालक्ष्मी पूजन के सरल मंत्र : महालक्ष्मी का पूजन सुख-समृद्धि की प्राप्ति कराता है। वैभव लाता है। महालक्ष्मी के पूजन में निम्न में से किसी भी एक मंत्र का जप 108 बार करना चाहिए।
कुछ अन्य मंत्र
श्री महालक्ष्म्यै नम:।
ऊँ महालक्ष्म्यै नम:।
ऊँ श्रीं श्रियै नम:।
श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा ।
ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्म्यै नम:।
ऊं श्रीं श्रीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी आगच्छ आगच्छ मम मंदिरे तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा।
प्रयोग विधि : कोजागरा या दीपावली के दिन से कम से कम 21 दिन का संकल्प लेकर मंत्र जप शुरू करें। यदि बड़े मंत्र (नीचे से दो में से किसी एक) का जप करने की योजना हो तो प्रतिदिन ग्यारह माला का जप करें। छोटे जप में कम से कम 51 माला जप का संकल्प लेना होगा। प्रतिदिन मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना कर एक ही समय में उनकी प्रतिमा या मूर्ति के सामने बैठक कर मंत्र का जप करें। अंतिम दिन दशांश हवन कर कन्या भोजन कराएं। माता लक्ष्मी आप पर अवश्य कृपा करेंगी। यदि ज्यादा मंत्र करने में परेशानी हो तो प्रतिदिन एक माला मंत्र से भी माता की कृपा हासिल हो सकती है लेकिन यह क्रम जीवन भर (जब पूजा करें) बनाए रखना होगा। 

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