दीपावली महापर्व के दौरान शीघ्र फलदायी मंत्र

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दीपावली महापर्व के दौरान शीघ्र फलदायी मंत्र
दीपावली महापर्व के दौरान शीघ्र फलदायी मंत्र का अवश्य करें जप।
fruitful mantras at dedpawali : दीपावली महापर्व के दौरान शीघ्र फलदायी मंत्र। दीपावली के पांच दिन मंत्रों की सिद्धि के लिए अनुकूल हैं। यह धनतेरस से भाई दूज तक का समय होता है। साधना से इच्छित फल की प्राप्ति के लिए अनुकूल होता है। यह तांत्रिक सिद्धि के लिए भी उपयुक्त है। लक्ष्मी, गणेश और काली की साधना से शीघ्र फल मिलता है। अत: भक्तजन उस दिशा में प्रयास करें। हालांकि अन्य मंत्र को भी सिद्ध किया जा सकता है। मैं कुछ ऐसे मंत्र व संक्षिप्त साधना विधि दे रहा हूं। इससे कम समय में ही आध्यात्मिक शक्ति पा सकते हैं। यदि मनोकामना हो तो उसे भी पूर्ण कर सकते हैं।
 

लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए एकाक्षरी मंत्र

श्रीं।
 

क्या करें

महापर्व के दौरान इसका जप करें। इस दौरान एक समय भोजन करें। शुद्ध और सात्विक बने रहें। ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है। बेहतर होगा कि जमीन पर कंबल बिछाकर सोएं। इस एकाक्षरी मंत्र के ऋषि भृगु हैं।

इसका विनियोग

अस्य श्री कमला एकाक्षर मंत्रस्य भृगु ऋषि:। निवृद् छंद:। श्री लक्ष्मीदेवता। ममाभीष्ट सिद्ध्यर्थे जपे विनियोग:।

अंगन्यास

श्रां हृदयाय नम:। श्रीं शिरसे स्वाहा। श्रूं शिखाये वषट्। श्रैं कवचाय हुम। श्रौं नेत्रत्रयाय वौषट्। श्रं अस्त्राय फट्।

माता का ध्यान मंत्र

कांत्या कांचनसन्निभा हिमगिरि प्रख्यैश्र्चतुर्भिर्गुजै:। हस्तोत्क्षिप्त हिरण्यामृत घटैरासिच्यमानां श्रियम्। विभ्राणां वरमब्जयुतमभयं हस्तै: किरोटोज्ज्वलाम्। क्षौमाबद्ध नितंबविंबललितां वंदेरविंद स्थिताम्।

साधना विधि

12 लाख जप से अभीष्ट की प्राप्ति होती है। एक लाख जप कल्याणकारी व फलदायी होता है। मंत्र संख्या का दशांश हवन करें। घृत, मधु, शर्रक्रायुत पद्म, तिल एवं बिल्वफलों से हवन करें। इससे आर्थिक लाभ होता है। धन-संपदा में बढ़ोतरी होती है। बिना कामना के जप करने से साधक को न माता की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही आध्यात्मिक शक्ति में भी असाधारण बढ़ोतरी होती है। दीपावली महापर्व के दौरान शीघ्र फलदायी मंत्र का प्रयोह अवश्य करें।

लक्ष्मी-विनायक मंत्र

श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानाय स्वाहा।
 

साधना विधि

तीन लाख जप करें। फिर दशांश हवन करें। बेल वृक्ष के नीचे जप करने पर धन वृद्धि होती है। अशोक की लकड़ी से प्रज्ज्वलित अग्नि में घी मिश्रित चावल से हवन करने से संपूर्ण विश्व का वशीकरण होता है। पायस से हवन करने पर लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। यह विधि सामन्य स्थिति में है। दीपावली के पांच दिन एक लाख जप बेहद कल्याणकारी होता है। मंत्र संख्या का दशांश हवन करें।

माता लक्ष्मी के द्वादशाक्षर मंत्र

ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सौ: (ह्सौ:) जगत्प्रसूत्यै नम:।

साधना विधि

एक लाख मंत्र जप करें। इसका दशांश हवन करें। तिल, मधु, श्रीफल, बिल्वफल एवं कमल से हवन करने पर श्रीवृद्धि। दूर्वा, गुडूची, एवं आज्य से आयु वृद्धि होती है। शालीहोम, पुष्प, बिल्वकाष्ट व सर्षप से हवन करने पर लक्ष्मी प्राप्त होती हैं। मरीची, जीरा, नारियल, गुडौदक एवं आज्यपक्वान से हवन करने पर राज्यलाभ होता है। इस मंत्र का नागवल्ली से हवन कर उस भस्म से तिलक करने पर वशीकरण, पलाश की लकड़ी व फूल, वैश्य रक्तपुष्प व राजा जातीपुष्प से तथा शूद्र नीलपुष्प से हवन करने पर सभी बाधाएं दूर होती हैं तथा संतान की प्राप्ति होती है।

गणेश का कल्याणकारी मंत्र

वक्र तुंडाय हुम्।

साधना विधि

छह लाख जप से पुरश्चरण होता है। इसके बाद दशांश हवन करें। गन्ना, सत्तू, केला, चिऊड़ा, तिल, मोदक, नारियल और धान के लावा को समान भाग में मिलाकर हवन करें। इससे मनोकामना की पूर्ति होती है। एक लाख जप बेहद कल्याणकारी होता है। उसका दसवां हिस्सा हवन करें। दीपावली महापर्व के दौरान यह शीघ्र फलदायी मंत्र है।
 
ध्यान
उद्यदिनेश्वर रूचिं निजहस्तपद्मै:। पाशांकुशा भयवरान् दधतं गजास्यां।
रक्तां वरम् सकल दुख हरं गणेशं। ज्ञायेत् प्रसन्न मखिरा भरणाभिरामम्।

एकादशाक्षर लक्ष्मी मंत्र

यौं नौं नम: ऐं श्रियै श्रीं नम: (मेरुतंत्र से)
विनियोग
अस्य मंत्रस्य जमदग्नि ऋषि:। त्रिष्टुप छंद:। श्रीरामादेवता। सर्वाभीष्ट सिद्धये जपे विनियोग:।
षड्ंगन्यास
यौं नौं मौं नम: ऐं हृदयाय नम:। यौं नौं मौं नम: ऐं शिरसे स्वाहा। यौं नौं मौं नम: ऐं शिखायै वषट्। यौं नौं मौं नम: ऐं कवचाय हुम। श्रियै नम: नम: नैत्रत्रयाय वौषट्। श्रीं नम: अस्त्राय फट्।

साधना विधि

पांच रात्रियों में नित्य 12  हजार जप तथा उसके दसवें भाग के हवन से अभीष्ट की सिद्धि होती है।

उच्छिष्ट गणेश मंत्र

हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा।
ध्यान
शरान्धनु: पाशसृणि पहस्तै दधानमारक्त सरोरुहस्थम्।
विवस्त्र पतन्या सुरत प्रवृत्त मुच्छिष्ट ममवासुतमाश्रयेहम्।

साधना विधि

16 हजार जप करने की बात शास्त्रों में वर्णित है। इसी से पुरश्चरण माना गया है। मेरा मत है कि 16-16 हजार मंत्रों की तीन आवृत्ति करनी चाहिए। इसमें दशांश हवन की आवश्यकता नहीं है। पुरश्चरण के बाद निम्न विधि से काम करें। भोजन करते समय पहले गणपति के लिए ग्रासान्न को प्रसाद की तरह निकाल कर अलग रख दें। फिर भोजन करते हुए जप करें। इसी तरह रोज करने पर जप सिद्ध होता है। कुबेर ने इसी मंत्र से नौ सिद्धियां पाईं। विभीषण और सुग्रीव ने राज्य सिंहासन हासिल किया। दीपावली महापर्व के दौरान यह शीघ्र फलदायी मंत्र है।

काली के मंत्र एकाक्षरी मंत्र

क्रीं
इसके ऋषि भैरव ऋषि हैं। गायत्री छंद है। दक्षिण काली देवी हैं। कं बीज है। ईं शक्ति: है। रं कीलकं है। यह अत्यंत प्रभावी व कल्याणकारी मंत्र है। इसकी साधना से ही राजा विश्वामित्र को ब्राह्मणत्व की प्राप्ति हुई थी। शवरूढ़ां महाभीमां घोरद्रंष्ट्रां वरप्रदम्। इस मंत्र से ध्यान करें। फिर एक लाख जप करें। उसका दशांश हवन करें।

करन्यास व हृदयादि न्यास

ऊं क्रां, ऊं क्रीं, ऊं क्रूं, ऊं क्रैं, ऊं क्रौं, ऊं क्रं, ऊं क्र: से करन्यास व हृदयादि न्यास करें।

काली गायत्री और मंत्र

गायत्री
ऊं कालिकायैच विद् महे शमशान वासिन्यैच धीमहि तन्नो घोरा प्रचोदयात।
मंत्र
ऊं ऐं ह्रीं क्लीं शीं कालीश्वरी सर्वजन मनोहारिणी सर्वमुख स्तंभिनी सर्वराज वशंकरि सर्व दुष्ट निर्दलनि सर्व स्त्रीपुरुषा कर्षिणि वधीश्रृंखला स्त्रोटय त्रोट्य सर्वशत्रून् भंजय भंजय द्वेषीन् निर्दलय निर्दलय सर्वान् स्तंभय स्तंभय मोहना स्त्रेण द्वेषिण मुच्चाट्य उच्चाटय सर्वं वशं कुरू कुरू स्वाहा। देहि देहि देहि सर्वं कालरात्रि कामिनी गणैश्वर्ये नम:।

साधना विधि

जप का उपयुक्त समय रात्रि 11 से 2 बजे के बीच का है। शरीर व मन शुद्ध हो। साफ आसान पर बैठें। हर रात्रि 51 मंत्रों का जप ही बड़े संकट से मुक्ति दिला सकता है। यह मनोकामना की भी पूर्ति में भी प्रभावी है। इसका जप करने से पूर्व काली गायत्री का दस बार जप कर लें। दीपावली महापर्व के दौरान यह शीघ्र फलदायी मंत्र है।
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