Adhimaas 2020 : हिंदू पंचांग के हिसाब से हर तीन साल में एक अतिरिक्त मास बनता है जिसे अधिमास कहा जाता है। स्थान और भाषा के हिसाब से कहीं उसे मलमास तो कहीं पुरषोत्तम मास भी कहा जाता है। जिस साल अधिमास पड़ता है, उस साल इसे 13वां महीना भी कह सकते हैं। सटीक गणना की बात करें तो यह हर 32 माह 15 दिन बाद आता है। धार्मिक कार्य व आध्यात्मिक उत्थान का सुनहरा मौका होता है अधिमास। इस दौरान भौतिक लाभ वाले, नवीन व शुभ कार्य शुरू नहीं करना चाहिए। यहां तक कि शादी, उपनयन संस्कार, गृह प्रवेश, रोजगार शुरू करना आदि से भी परहेज करना चाहिए। इसका दूसरा पहलू यह है कि इस दौरान धार्मिक कार्य करने पर अन्य माह से दस गुना ज्यादा फल मिलता है। इसके साथ ही निजी समस्या, बीमारी, ऋण मुक्ति जैसी समस्या से मुक्ति के लिए प्रभावी उपाय किए जा सकते हैं।
उत्पत्ति की कथा
सनातन परंपरा में पहले दिन की गणना सूर्य के आधार पर होती थी। तब साल में 12 माह ही होते थे। भक्त प्रह्लाद के पिता राक्षसराज हिरण्यकश्यप को वरदान मिला था कि वह 12 माह में से किसी में नहीं मारा जा सकेगा। जब उसके अत्याचार बढ़े तो भगवान ने उसे मारने का फैसला किया। तब समय की काट के लिए ब्रह्मा जी ने चंद्रमा के आधार पर गणना की व्यवस्था कर साल में 13 माह बनाए। तब इसी माह में भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर उसका वध किया। इसलिए इस माह को पुरषोत्तम मास भी कहा जाने लगा। इसलिए इस माह पूजा-पाठ, दान-पुण्य, जप, व्रत आदि करने पर विशेष फायदा होता है। यदि यह सब विष्णु या उनके अवतार के नाम पर हो तो ज्यादा लाभकारी होगा।
क्या करें
सभी प्रमुख देवी-देवता के मंत्र इस साइट पर उपलब्ध हैं। चूंकि विष्णु का इस माह विशेष महत्व है, इसलिए नीचे उनका मंत्र दे रहा हूं। उनके अवतार राम और कृष्ण से जुड़े मंत्रों के बारे में इसी वेबसाइट पर विस्तार से लेख उपलब्ध है। उनमें से किसी भी मंत्र व उपासना का चयन कर सकते हैं। तात्कालिक रूप से एक मंत्र नीचे है।
मंत्र : गोवर्धनधरं वंदे गोपालं गोपरूपिणम्। गोकुलोत्सवमीशानंगोविंद गोपिका प्रियम्।
इस मंत्र का रोज स्नान के बाद 10 माला जप करें तो काफी फायदा होगा। इसके साथ ही विष्णु या उनके अवतार के नाम पर व्रत, भजन, कथा, दान आदि करना अत्यंत लाभदायक होता है। दान में चांदी, सोना या कांसे का पात्र, कच्चा चना, गुड़, तुवर की दाल, केसर, गोरोचन, शंख, मोती, मालपुआ, दही, वस्त्र, घी, चावल, गेहूं और दूध को ब्राह्मण या अत्यंत गरीब (ब्रह्मण हो तो अच्छा) व्यक्ति को दें तो फायदा होगा।
कब और कैसे करें
इस वर्ष अधिमास 18 सितंबर से 16 अक्टूबर 2020 तक रहेगा। इस कारण हर वर्ष पितृपक्ष के तत्काल बाद होने वाला शारदीय नवरात्र एक माह बाद शुरू होगा। इसमें पूजा-उपासना की तैयारी पहले से कर लें। इससे न सिर्फ आध्यात्मिक चेतना जगाने में मदद मिलेगी बल्कि आंतरिक शक्ति भी बढ़ेगी। इस दौरान विष्णु और उनके रूपों के मंत्रों का जप, पूजा, हवन, व्रत, भजन आदि अत्यंत तेजी से फल देता है। विष्णु पुराण का अध्ययन-मनन और पाठ भी उपयोगी होता है। उपासक को चाहिए कि वह माह भर भूमि पर कंबल आदि बिछा कर सोए। वह सात्विक भोजन करे और वैसा ही जीवन जीए, तो अनंत फल प्राप्त करेगा। उपासना करने से पंचतत्व से बने शरीर का हर तत्व नियंत्रित और संतुलित होने लगता है, जिससे मनुष्य का स्तर ऊपर उठता है।
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