नजर दोष और ऊपरी हवा की पहचान और बचाव के उपाय

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प्रतिकूल ग्रहों को शांत करने के लिए करें ये उपाय
जानें क्या है भूत और कैसे पाएं इससे मुक्ति।

Detection and prevention of evil eye and upper air : नजर दोष और ऊपरी हवा की पहचान और बचाव के उपाय। विभिन्न धर्मों में इसे स्वीकार किया गया है। विज्ञान इसे नहीं मानता और मानसिक समस्या करार देता है। फिर भी इसमें शक नहीं कि उसके पास इससे जुड़े सवालों का ठोस जवाब नहीं है। राजस्थान के मेहंदीपुर बालाजी में भूतों का मेला, प्रेतराज का दरबार आदि विज्ञान के लिए गहरा रहस्य है। वहां जाकर पहली नजर में ही ऊपरी हवा एवं अदृश्य शक्ति को महसूस किया जा सकता है। इसे भूत, प्रेत, जिन्न, टोना-टोटका एवं आभिचारिक प्रयोग कह सकते हैं। तंत्र-मंत्र में इसके उपाय से सभी अवगत ही है, यहां अधिक फोकस ज्योतिषीय पहलुओं पर कर रहा हूं। यह निश्चित है कि कमजोर एवं प्रतिकूल ग्रह दशा वाले ऐसी समस्या में फंसते हैं। स्पष्ट है कि ग्रहों को ठीक कर इनसे बचा जा सकता है।

नकारात्मक शक्ति के स्थान पर पीड़ित के लक्षण जानें

इसके कई कारण हो सकते हैं। अशुद्ध या कमजोर स्थिति में बुरी आत्माओं के पास अनजाने में जाना प्रमुख कारण है। देर रात, बीच दोपहर, सुनसान स्थान, वन, श्मशान, नदी का निर्जन तट, गंदी जगह, चौराहे एवं शादी-विवाह के स्थल पर कई बार नकारात्मक शक्तियां सक्रिय रहती हैं। वहां अकसर प्रतिकूल व कमजोर ग्रह वाले इन शक्तियों की चपेट में आ जाते हैं। सफेद मिठाई या दूध का सेवन कर किसी चौराहे पर जाने पर भी खतरा रहता है। नकारात्मक शक्तियों से पीड़ित व्यक्ति प्रारंभ में अपने अंदर बेचैनी महसूस करता है। फिर धीरे-धीरे उसकी आंखें चढ़ी-चढ़ी सी दिखने लगती है। शारीरिक हाव-भाव में परिवर्तन आने लगता है। बुखार, मिरगी, कंपकंपी सामान्य लक्षण हैं। कभी यह कम समय के लिए तो कभी अधिक समय के लिए होता है। घर में प्रगति रुक जाती है। हर काम में बाधा आने लगती है। घर से प्रसन्नता खत्म होने लगती है।

ज्योतिष की दृष्टि से

नजर दोष और ऊपरी हवा का ठोस ज्योतिषीय कारण है। यदि जन्मकुंडली में गुरु पितृदोष हो तो जातक का इसकी चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। शनि यमदोष, चंद्र व शुक्र जल देवी दोष, राहु सर्प व प्रेत दोष, मंगल शाकिनी दोष, सूर्य देव दोष इसके प्रमुख कारण हैं। यदि जातक की कुंडली में लग्न, धर्म व ज्ञान भाव में नीच राशियों के साथ पाप ग्रहों का प्रभाव तो नकारात्मक शक्तियां हावी हो जाती है। कई बार भिन्न शारीरिक अवस्था में भी ग्रह कमजोर हो जाते हैं। जैसे- मासिक धर्म के दौरान मंगल और चंद्रमा दुर्बल हो जाते हैं। साथ ही वे राहु की चपेट में आ जाते हैं। ऐसे में उसके पीड़ित होने की आशंका बढ़ जाती है। इसी कारण महिलाओं को इस दौरान घर से बाहर नहीं निकलने की सलाह दी जाती है। ग्रहों को संतुलित कर स्वयं को मजबूत किया जा सकता है।

जानें कैसे प्रभावित करते हैं ग्रह

राहु और केतु छाया ग्रह हैं। राक्षसी शक्ति के प्रतीक होने के कारण इसके प्रभावी होने पर नकारात्मक शक्तियां हावी हो जाती हैं। प्रतिकूल शनि से भी ऐसा खतरा बढ़ता है। इसी तरह बलहीन चंद्रमा पर क्रूर ग्रहों का प्रभाव होने पर भी ऐसा होता है। बृहस्पति शुभ हैं लेकिन यदि कमजोर हों और पाप ग्रहों के प्रभाव में हों तो खतरा बढ़ जाता है। इसके उलट बलशाली बृहस्पति अन्य ग्रहों के दोषों को कम कर देते हैं। शनिवार, रविवार और मंगलवार को प्रेत बाधा होने का खतरा अधिक रहता है। जन्मकुंडली का पंचम भाव पूर्व जन्म के कर्मों का प्रतीक है। इस पर पाप ग्रहों का प्रभाव होने का अर्थ है कि संचित अच्छे कर्म में कमी। इसमें नकारात्मक शक्ति के हावी होने की आशंका प्रबल रहती है। इसके अतिरिक्त कई योग भी इसके कारण बनते हैं। विस्तार भय से उसे नहीं दे रहा हूं।

ऊपरी हवा से बचने के खुद करें उपाय

हनुमान जी संकट मोचक हैं। उनके नाम लेने मात्र से भूत, पिशाच आदि उस व्यक्ति से दूर हो जाते हैं। अतः उनकी उपासना करने वाला हर तरह की नकारात्मक शक्तियों से बचा रहता है। यदि कोई व्यक्ति चपेट में आ चुका है तो फिर विशेष उपाय आवश्यक है। आप 11 दिन तक नित्य हनुमान चालीसा का 108 पाठ करें। चाहें तो उनके मंत्र का भी जप कर सकते हैं। नकारात्मक शक्तियों से बचाव में शाबर मंत्र और यंत्र भी रामबाण की तरह हैं। इसमें श्वेतार्क पौधा भी काफी उपयोगी है। प्रवेश द्वार पर इसे लगाने से घर में ऊपरी हवाओं का प्रकोप नहीं होता है। स्थिति गंभीर हो तो योग्य तांत्रिक से संपर्क करें। इस तरह नजर दोष और ऊपरी हवा से बचाव कर सकते हैं।

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