कपूर एक पर फायदे अनेक, अवश्य करें प्रयोग

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बिना पंडित स्वयं करें संक्षिप्त पूजन विधि से पूजा
बिना पंडित स्वयं करें संक्षिप्त पूजन विधि से पूजा।

One kapoor many advantages, must use : कपूर एक पर फायदे अनेक। इनका प्रयोग अवश्य करें। प्राचीन परंपरा में यूं ही कपूर का उपयोग नहीं किया जाता था। यह स्वास्थ्य के साथ-साथ वातावरण के लिए भी उपयोगी है। शर्त सिर्फ इतनी है कि कपूर प्राकृतिक हो। इन दिनों रासायनिक कपूर अधिक प्रचलित हैं। देखने में आकर्षक होता है। धोखे में लोग इसी का उपयोग करते हैं। जबकि इसका कोई खास फायदा नहीं है। फायदे के लिए प्राकृतिक कपूर का ही उपयोग करें। उन्हें भीमसेनी या आयुर्वेदिक कपूर भी कहा जाता है। नीचे पढ़ें कपूर के ढेर सारे फायदे।

स्वास्थ्य के लिए उपयोगी

कपूर एक पर फायदे अनेक में पढ़ें इसकी खूबियां। पहली है इसकी गंध। यह गंध मस्तिष्क में लेकवस नामक रसायन को सक्रिय करती है। यह रसायन व्यक्ति की निर्णय क्षमता को बढ़ाता है। यदि सूंघने की क्षमता कम हो गई तो चिंता न करें। कपूर को नाक के पास लाकर सूंघें। निश्चय ही फायदा होगा। कपूर को रुमाल में गर्म करके गले को सेंका जाए तो गले की समस्या में आराम मिलता है। बंद गला खुल जाता है। भौंहों के ऊपर सेंक देने से धीरे-धीरे चश्मे का नंबर कम होने लगता है। पैर में सूजन और दर्द है तो परेशान न हों। गर्म पानी में कपूर और नमक डालकर सेंक लें। आराम मिलेगा। गर्म पानी में डालकर बफारा लेने से सर्दी-जुकाम में आराम मिलता है। शुरुआती लक्षण हो तो ठीक हो जाता है।

पेट की बीमारी, दर्द व रूसी में मिलता है आराम

यह जोड़ों के दर्द में भी उपयोगी है। तिल के तेल में कपूर डालकर हल्का सा गर्म कर लें। फिर जोड़ों पर हल्के हाथ से मालिश करें। दर्द में तुरंत आराम मिलेगा। दांत के नीचे दबाने से दांत का दर्द दूर होता है। रूसी की समस्या में भी यह कारगर है। तिल के तेल में कपूर डालकर बालों की जड़ों में मालिश करें। इस समस्या से आराम मिलेगा। नाभि में कपूर लगाने से रक्त संचार सही होता है। इससे पेट संबंधी बहुत सारी बीमारियों से भी छुटकारा पाया जा सकता है। हालांकि पहले वैद्य की सलाह अवश्य लें। शुद्ध सरसों के तेल में डालकर तलवों को मालिश करने से थकान दूर होती है। बच्चों के सिर, नाक व छाती पर कपूर लगाना उपयोगी होता है। बच्चे की उम्र के अनुसार सावधानी से लगाएं। इन्हीं खूबियों के कारण कहा जाता है कि कपूर एक पर फायदे अनेक।

यूं ही नहीं होता कपूर का आरती में प्रयोग

पूजा के बाद आरती में कपूर का उपयोग यूं ही नहीं किया जाता है। तिरुपति बालाजी के प्रसाद (लड्डू) में भी भीमसेनी कपूर का उपयोग किया जाता है। औषधीय गुणों के साथ ही यह वातावरण में से नकारात्मकता को दूर करता है। साथ ही सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण करता है। प्रत्यक्ष रूप से देखें तो कपूर जलने से वातावरण पवित्र और सुगंधित होता है। साथ ही आक्सीजन की मात्रा बढ़ती है। कपड़ों में रखने से कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। कपड़ों में से अच्छी सुगंध आती है। घर में कपूर के नियमित प्रयोग से मच्छर, कॉक्रोच, चूहे और छिपकली भाग जाते हैं। इन्हीं गुणों को देखते हुए कई लोग इसे अपने बैग, पर्स, वॉलेट में रखते हैं।

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