जुलाई से कम हो सकता है महामारी का प्रभाव

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वृक्षों का महत्त्व।
वृक्षों का महत्त्व ।

The impact of the pandemic may decrease from July : जुलाई से कम हो सकता है महामारी का प्रभाव। अभी संकट का समय है। अतः बच कर रहें। 15 जून तक कोरोना का खतरा चरम पर रहेगा। इससे जान गंवाने वालों की संख्या भी काफी रहेगी। ऐसा ग्रहों के योग से हो रहा है। यह विश्लेषण जैन ज्योतिष के विद्वान आचार्य कुन्दकुन्द का है। इस आकलन की परिवर्तन की आवाज वेबसाइट न तो पुष्टि करता है और न खंडन। नकारात्मकता के इस दौर में एक विद्वान की आशा जगाने वाली गणना को उसी रूप में दिया जा रहा है। ताकि लोगों में सकारात्मकता का संचार हो।

जैन ज्योतिष के अनुसार ऐसी है ग्रहों की युति

आंग्ल वर्ष के प्रारंभ में वृष राशि का राहु मंगल की युति का इंतजार कर रहा था। इसलिए फरवरी के अंतिम सप्ताह से लेकर 14 अप्रैल तक महामारी ने हाहाकार मचा दिया। 15 अप्रैल से 15 मई तक मंगल मिथुन और सूर्य मेष राशि के मध्य बैठे राहु ने कोरोना के प्रकोप को जारी रखा। 15 मई से 15 जून तक राहु की सूर्य के साथ युति महामारी के साथ ही हृदयरोग के खतरे को बढ़ाए रखेगी। इस अवधि में लोग ज्यादा ही संकट को झेलेंगे। इस बीच में शुक्र और बुध की भी यति बनेगी। इससे समस्या तो बढ़ेगी लेकिन मृत्यु के संकट में कमी आने लगेगी। तब तक सावधानी ही बचाव का सबसे अच्छा माध्यम है।

16 जून से दिखेगा अप्रत्याशित सकारात्मक बदलाव

उपरोक्त ग्रह दशा बदलने के बाद स्थिति सुधरने लगेगी। 16 जून के बाद जनजीवन सुरक्षित होने लगेगा। अप्रत्याशित रूप से मृत्यु का खतरा घट जाएगा। जुलाई से कम हो सकता है कोरोना का खतरा। विद्वान ने अपने ज्योतिष शास्त्र का हवाला देते हुए प्रसन्न होने वाला दावा किया है। उनके अनुसार कोरोना के तीसरे लहर का कोई खास संकेत नहीं दिख रहा है। अतः उसके बाद काफी हद तक स्थिति सामान्य सी हो जाएगी। यहां यह स्पष्ट कर दूं कि कोरोना को लेकर डाक्टर, वैज्ञानिक के साथ ही ज्योतिषी भी हतप्रभ से रह गए हैं। कोई अभी तक इसके मर्म को पूरी तरह से पकड़ नहीं पाया है। ऐसे में सभी को सुखद सूचना की ही आशा है। उसमें यह शुभ आकलन थोड़ी शांति और खुशी देने वाला है।

सभी रहें सतर्क, करें ईश्वर से प्रार्थना

यह समय सतर्क रहने का है। मानक का पालन करें। मास्क, शारीरिक दूरी आदि का ध्यान रखें। सभी ऐहतियात वाले उपाय करें। इसके साथ ही योग, ध्यान, प्राणायाम और मंत्र जप करते रहें। वैसे भी जब डाक्टर और आधुनिक चिकित्सा पद्धति असफल हो चुकी है तो ईश्वर ही सहारा दिखते हैं। अतः ईश्वर पर विश्वास और भक्ति भाव बनाए रखें। यह अवश्य सोचें कि परमपिता अपनी संतान का अहित नहीं होने देंगे। उन पर विश्वास है तो वह अवश्य रक्षा करेंगे।

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