मंत्रों की दुनिया रोमांचक है, इसमें प्रयोग की पूरी छूट

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मूर्ति पूजा का रहस्य जानें, वेदों में नहीं है जिक्र
मूर्ति पूजा का रहस्य जानें, वेदों में नहीं है जिक्र।

The world of mantras is exciting : मंत्रों की दुनिया रोमांचक है। इसमें लोगों को प्रयोग की पूरी छूट है। वे रुचि व जीवनशैली के अनुसार  मंत्र और साधना के तरीके का चयन कर सकते हैं। यदि आप शाकाहारी हैं। नियमित रूप से योग करते हैं। सफाई के साथ अनुशासित जीवन बिताते हैं। फिर आप वैदिक मंत्रों के लिए उपयुक्त हैं। जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासित नहीं हैं। मांस-मदिरा का सेवन करते हैं। एक ही आसन पर लगातार लंबे समय तक बैठने में परेशानी महसूस करते हैं। तो आपको तंत्र के क्षेत्र का चयन करना चाहिए। यदि जीवन पूरी तरह से बेलगाम है। आपमें भावना की प्रधानता है। और साधना भी करना चाहते हैं। आप शाबर के क्षेत्र में प्रवेश कर सकते हैं। यहां कम मंत्रों के जप से ही कुछ क्रियाएं और भक्तिभाव को मिलाकर आप लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं।

ब्रह्मांड है शक्ति का स्रोत, उसके कुछ नियम

ब्रह्मांड शक्ति का स्रोत है। आध्यात्मिक शक्तियां भी हमें ब्रह्मांड से मिलती हैं। ब्रह्मांड के लिए सारे जीव समान हैं। उसके कुछ नियम हैं। इसके तहत जो जैसा कर्म करता है, उसे वैसा फल (अच्छा या बुरा) मिलता है। ऐसे में ब्रह्मांड के कार्यकारिणी नियम में हस्तक्षेप उचित नहीं है। हालांकि शक्ति मिलने के बाद उसके किसी भी तरह का प्रयोग संभव है। खासकर अपनी और परिवार की समस्या के हल व जनकल्याण में अत्यंत प्रभावी है। सामान्य स्थिति में ब्रह्मांड से मिली शक्तियों का उपयोग अपने व्यक्तित्व एवं आध्यात्मिक उत्थान में किया जाना चाहिए। विशेष स्थिति में ही जनकल्याण में इसका उपयोग किया जा सकता है। उसे भी आदर्श स्थिति नहीं माना जाता है। यही कारण है कि सच्चे साधक गुप्त रहकर साधना करते हैं। इसीलिए कहा गया कि मंत्रों की दुनिया रोमांचक है।

पहले वैदिक मंत्रों की बात

यह सबसे सरल मार्ग है। इसमें कोई जोखिम भी नहीं है। इसमें नियम, आसन, प्राणायाम, ध्यान और पवित्रता आवश्यक है। मंत्रों का जप सांस के उतार-चढ़ाव के साथ करना श्रेयस्कर होता है। उदाहरण के लिए ऊं को ही लें। इसके जप के समय गहरी सांस अंदर लें। सांस छोड़ते समय हल्की आवाज में मंत्र का उच्चारण करें। इस दौरान के उच्चारण में नाभि, के उच्चारण में हृदय और म के उच्चारण में मस्तिष्क में प्राण वायु को महसूस करें। मंत्रों के झंकार (ऊर्जा) पर भी ध्यान रखें। ऐसा करने पर जप का प्रभाव बढ़ेगा। ध्यान रहे कि किसी भी दबाव में जप में जल्दबाजी नहीं करें। नियमपूर्वक कम जप भी बिना नियम के किए गए जप से कई गुना ज्यादा प्रभावी होता है। इसमें साधक की आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाने के साथ ही उसके आसन और व्यक्तित्व में निखार होता है। इसका फायदा स्थाई होता है।

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तांत्रिक मंत्रों की दुनिया

मंत्रों की दुनिया रोमांचक है। वैदिक की तुलना में तांत्रिक मंत्र में समय, आसन और स्थान कम जरूरी है। कई लोग बिस्तर पर बैठे या चलते-फिरते भी जप करते हैं। उन्होंने उसमें भी सफलता पाई है। मेरे विचार से छोटे लक्ष्य के लिए ऐसा करना ठीक है। बड़े लक्ष्य में अनुशासन जरूरी है। तंत्र में जल्द सफलता दिखती है। शक्तियां भी हासिल होती हैं। साथ ही जोखिम भी है। ताकत मिलते ही अधिकांश लोग शक्तियों का उपयोग/दुरुपयोग करने लगते हैं। उन्हें इसका कुपरिणाम भी भोगना पड़ता है। मैंने कई तंत्रमार्गियों की पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं देखी है। उनका अंत भी प्रायः अच्छा नहीं होता है। इसलिए इस मार्ग पर चलने वाले सावधान रहना चाहिए। वे प्रचार से दूर रहें। सिर्फ अपनी उन्नति के लिए प्रयास करें।

तंत्र के मार्ग में गुरु आवश्यक

तांत्रिक जप से पूर्व जरूरी है कि किसी को गुरु मानकर दीक्षा लिया जाए। उनसे मंत्र लेकर जप शुरू किया जाए। सक्षम गुरु न मिले तो पूजा स्थान में एक कागज में मंत्र लिखकर देवी/देवता की प्रतिमा/तस्वीर के समक्ष रख दें। उन्हें ही गुरु मानकर मानसिक अनुमति लेकर जप शुरू करें। ध्यान रहे कि इसमें थोड़ा जोखिम है। गुरु का मार्ग निष्कंटक होता है। एक बार नियमपूर्वक जप शुरू करने के बाद आप कभी भी और कहीं भी जप कर सकते हैं। ध्यान रहे कि आध्यात्मिक उत्थान के लिए एकाक्षरी मूल मंत्र बेहद शक्तिशाली होते हैं। साधक को चिरकाल तक (दूसरे जन्म तक) लाभ मिलता है। लेकिन तात्कालिक सिद्धियों के लिए बड़े मंत्र की जरूरत पड़ती है। अधिकतर साधक उसी फेर में पड़ जाते हैं। ध्यान रहे कि तात्कालिक फायदा देने वाले मंत्र का असर भी कम समय तक रहता है। उसे बार-बार रिचार्ज करना पड़ता है।

जानें शाबर मंत्रों के बारे में

सचमुच मंत्रों की दुनिया रोमांचक है। वैदिक व तांत्रिक मंत्रों के बाद अब बारी शाबर मंत्रों की है। यह सबसे सरल मार्ग माना जाता है। इसके लिए गुरु, मंत्र और उसके देवता के प्रति अगाध श्रद्धा होनी चाहिए। इस क्षेत्र में मंत्रों के अधिक जप का झंझट नहीं है। कम जप से ही मंत्र का उपयोग किया जा सकता है। उनमें बीमारी, शत्रु नाश, मोहन, उच्चाटन आदि में शीघ्र फल मिलता है। इसमें भाव की प्रधानता होती है। अतः इन्हें गुरु की देखरेख में करना चाहिए। इन मंत्रों का असर भी कम समय तक रहता है। यह एक तरह से किसी काम को करने के लिए क्रिया करने जैसा ही है। जैसे दर्द होने पर दवा खाकर तत्काल लाभ मिल जाता है। स्थाई व बड़े लाभ के लिए गुरु की कृपा आवश्यक है।

नोट- इस अहम सामग्री में पिछले अंक में आपने पढ़ा मंत्रों के विज्ञान में उसके प्रभाव, उपयोग और पात्रता के बारे में। कल इसकी समापन कड़ी होगी। इसमें महत्वपूर्म जानकारी है। अवश्य पढ़ें।

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2 COMMENTS

  1. अद्भुत है आपके मन्त्रो सम्बन्धी आलेख। ज्ञानवर्धन के साथ लिप्सा बढ़ती जाती है।

  2. मंत्रों में इतनी शक्ति है, यह सामान्य आदमी सोच भी नहीं सकता है। आपके लेखों से पता चलता है कि मंत्र कितने शक्तिशाली है।

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