Chandrasena would have been the second wife of Shri Ram : चंद्रसेना होती श्रीराम की दूसरी पत्नी, टूटने से बचा एक पत्नीव्रत। हनुमान ने राम की रक्षा की। सभी जानते हैं कि राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे। वह महान योद्धा और दृढ़ चरित्र वाले थे। उन्होंने एक पत्नीव्रत की शपथ ली थी। क्या आपको पता है कि उनका व्रत टूटते-टूटते बचा था? वे चंद्रसेना की मायाजाल में फंस गए थे। ऐन मौके पर हनुमान जी पहुंच गए। उन्होंने अपने आराध्य की लाज बचाई।
युद्धकाल में मायाजाल में फंसे श्रीराम
यह प्रकरण राम-रावण युद्धकाल का है। रावण ने राम-लक्ष्मण को मारने के लिए अपने भाई अहिरावण और महिरावण से मदद मांगी। दोनों मायावी भाइयों ने राम-लक्ष्मण को छल से मूर्छित किया। फिर उनका अपहरण कर लिया। उनके गायब होने पर श्रीराम की सेना में हाहाकार मच गया। तब श्रीराम भक्त संकटमोचक हनुमान जी उनकी तलाश में निकले। पता लगाते-लगाते वे पाताललोक पहुंचे। वहां दोनों भाई की बलि देने की तैयारी थी। हनुमान जी पहले अपने पसीने से पैदा पुत्र मकरध्वज से लड़े। उसे हराकर अपने पक्ष में किया। फिर दुश्मन का सफाया किया। चंद्रसेना होती श्रीराम की दूसरी पत्नी का राज इसके आगे छिपा है।
राम पर मोहित थीं नागकन्या चंद्रसेना
इसके बाद का मार्ग भी सरल नहीं था। तभी हनुमान जी की मुलाकात पाताललोक में चंद्रसेना से हुईं। नागकन्या चंद्रसेना राम पर मोहित थीं। वह उनसे विवाह करना चाहती थी। इसी कारण उन्होंने हनुमान जी को शर्त सहित अहिरावण की मृत्यु का राज बताया। महिरावण भी महाबलशाली था। उसे और उसकी सेना को खत्म करना आसान नहीं था। इस बार भी चंद्रसेना ने ही मदद की। फिर राम और हनुमान ने महिरावण को सेना सहित मार गिराया। दरअसल चंद्रसेना विष्णु की भक्त थीं। इसी कारण उनके अवतार राम पर मोहित थी।
चंद्रसेना ने फैलाया मायाजाल
युद्ध के बाद चंद्रसेना ने मायाजाल फैलाया। वे राम को माया की पलंग पर बैठाना चाहती थीं। वे मायाजाल में ही वरमाला पहना चाहती थीं। तभी हनुमान जी फिर संकटमोचक बने। उन्होंने भंवरे का रूप धर कर पलंग को काट दिया। इसके साथ ही चंद्रसेना का मायाजाल खत्म हो गया। चंद्रसेना इससे बहुत क्रुद्ध हुईं। उन्होंने हनुमान को श्राप देना चाहा। तब श्रीराम ने चंद्रसेना से हनुमान को माफ़ करने को कहा। साथ ही अपने एक पत्नी व्रती होने का संकल्प दोहराया। उन्होंने चंद्रसेना को वचन दिया कि द्वापर में उनसे विवाह करेंगे। वही चंद्रसेना सत्यभामा रूप में श्रीकृष्ण की पत्नी बनीं। अर्थात हनुमान जी समय पर मदद नहीं करते तो चंद्रसेना होती श्रीराम की दूसरी पत्नी।
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