वास्तु व कुंडली पर जानें बुध, गुरु और शुक्र के प्रभाव

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वास्तु व कुंडली पर जानें बुध, गुरु और शुक्र के प्रभाव
वास्तु व कुंडली पर जानें बुध, गुरु और शुक्र के प्रभाव।

Know the effect of Mercury, Jupiter and Venus on Vastu and Planets : वास्तु व कुंडली पर जानें बुध, गुरु और शुक्र के प्रभाव। जन्मकुंडली में ग्रहों की स्थिति के अनुसार ही लोग चाहे-अनचाहे तरीके से घर बनाते समय भी उसमें वैसा ही दोष छोड़ देते हैं। यहां तक कि उन्हें किराये का मकान भी वैसे ही वास्तु दोष वाला मिलता है। इसलिए जब तक वास्तु और ग्रहों के संयुक्त दोषों को देखते हुए सुधार नहीं किया जाता, लाभ संभव नहीं है। मैं ग्रहों की दशा के आधार पर मकान में रहने वाले दोष-गुण और उपायों की जानकारी दे रहा हूं। इससे पाठक चाहें तो स्वयं सुधार कर अपनी समस्याएं दूर कर सकते हैं। पाठकों को जागरूक करने के लिए मैंने यह श्रृंखला शुरू की है। इसमें संक्षिप्त जानकारी दी जा रही है। विस्तृत जानकारी के लिए स्वयं ग्रंथ पढ़कर उपाय करें या योग्य पंडित से कराएं।

बुध के प्रभाव

जन्मकुंडली में चंद्रमा और राहु साथ हों तो बुध कमजोर होता है। ऐसे में बहन, बेटी, बुआ और साली से गृहस्वामी को परेशानी होती है। नुकसान होता है। यदि ऐसे लक्षण दिखें तो पक्षियों को दाना-पानी देने और बकरी का दान करने से लाभ मिलता है। एक अधिक रंग वाले कुत्ते को पालने से भी फायदा होता है। बुध यदि कुंडली के तीसरे, आठवें, नौवें या 12वें घर में हों तथा राहु पांच, सात, आठ या 11वें घर में हों तो भी बुध कमजोर होंगे। घर में अशांति बनी रहेगी। इसमें लोहे का कड़ा धारण करने से राहत मिलती है। कमजोर बुध से माता व मकान की चिंता रहती है। ऐसे में तांबे के लोटे से सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। घर में फूल वाले पौधे लगाएं। साथ ही गल्ले में तांबे का छल्ले वाला पुराना सिक्का रखना भी लाभदायक होता है।

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बृहस्पति की स्थिति और उपाय

वास्तु व कुंडली पर जानें बृहस्पति का प्रभाव। ये दूसरे घर में हों तो घर में चौके के आंगन में कुछ भाग कच्चा होना चाहिए। फ्लैट में ऐसा संभव नहीं है तो चौक के पास गमले में मिट्टी रखकर पीले या सफेद फूल वाले पौधे लगाएं। बृहस्पति चौथे स्थान पर हो तो मकान में तोड़फोड़ से बचें। शराब और कबाब से भी दूर रहें। अन्यथा दुर्भाग्य को आमंत्रण देंगे। सातवें स्थान पर बृहस्पति हों तो मकान में लाल रंग नहीं कराएं। परेशानी में फंसेंगे। बृहस्पति कुंडली में शुभ स्थानों के मालिक हों तथा गोचर में चतुर्थ स्थान या उसके मालिक की राशि में भ्रमण कर रहे हों तो भूमि खरीदने या मकान बनाने का योग बनता है। बृहस्पति और बुध चतुर्थ में हों या बृहस्पति चतुर्थ और बुध नौवें, 10वें या 11वें भाव में हों तो 34 वर्ष तक मकान में अनेक बाधाएं आती हैं। ऐसे में उपाय कराना चाहिए।

शुक्र के प्रभाव और उपाय जानें

कुंडली में शुक्र अनुकूल हों तो मकान गौमुखी बनेगा। अर्थात अंगला हिस्सा पतला और पिछला खुला होगा। शुक्र खराब हो तो विपरीत मकान होता। इसमें निर्माण सुधारना श्रेष्ठ विकल्प है। शुक्र दसवें स्थान पर हो और शनि शुभ हो तो सुख पाने के लिए पश्चिमी दीवार मिट्टी की रखनी चाहिए। ऐसा संभव न हो तो कुछ हिस्से पर मिट्टी का लेप कराएं। उसमें भी समस्या हो तो उस ओर मिट्टी के कुछ खिलौने सजावट के रूप में रखें। यदि कुंडली में शुक्र और शनि साथ हैं तो जातक पुराना मकान लेकर उन्हें अच्छा बनाता है। उसे बाग-बगीचे का शौक होता है। यह स्थिति तब भी होती है यदि शनि की राशि में शुक्र स्थित हो। शुक्र चौथे स्थान पर हो तो पुराने या पुश्तैनी मकान के देहली में छेड़छाड़ नहीं करें। अन्यथा बड़ी समस्या में फंस सकते हैं। आपने वास्तु व कुंडली पर तीन ग्रहों के प्रभाव को जाना।

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