Warning: Invalid argument supplied for foreach() in /home/m2ajx4t2xkxg/public_html/wp-includes/script-loader.php on line 288 जीवन सत्य: हमारी सोच का प्रतिबिंब है हमारी स्थिति - Parivartan Ki Awaj
एक बार एक संत अपने शिष्यों के साथ नदी में स्नान कर रहे थे। तभी एक राहगीर वहां से गुजरा। महात्मा को नदी में नहाते देख वो उनसे कुछ पूछने के लिए रुक गया। वो संत से पूछने लगा, “महात्मा जी एक बात बताईए कि यहां रहने वाले लोग कैसे हैं? क्योंकि मैं अभी-अभी इस जगह पर आया हूं और नया होने के कारण मुझे इस जगह की कोई विशेष जानकारी नहीं है। यदि लोग अच्छे हुए तो मैं यहीं बस जाऊंगा।” महात्मा ने उस व्यक्ति से कहा कि “भाई मैं तुम्हारे सवाल का जवाब बाद में दूंगा पहले तुम मुझे ये बताओ कि तुम जिस जगह से आए हो वहां के लोग कैसे हैं?” इस पर उस आदमी ने कहा “उनके बारे में क्या कहूं महाराज वहां तो एक से एक कपटी और दुष्ट लोग रहते हैं इसलिए तो उन्हें छोड़कर यहां बसेरा करने की इच्छा से आया हूं।” महात्मा ने जवाब दिया बंधू “तुम्हें इस गांव में भी वैसे ही लोग मिलेंगे, कपटी, दुष्ट और बुरे।” वह आदमी आगे बढ़ गया। थोड़ी देर बाद एक और राहगीर उसी मार्ग से गुजरता है और महात्मा को प्रणाम करने के बाद कहता हुआ आया। उसने भी महात्मा को देख पूछा “महात्मा जी मैं इस गांव में नया हूं और परदेस से आया हूं। मैं इस गांव में बसने की इच्छा रखता हूं लेकिन मुझे यहां की कोई खास जानकारी नहीं है इसलिए आप मुझे बता सकते हैं कि ये जगह कैसी है और यहां रहने वाले लोग कैसे हैं?” महात्मा ने इस राहगीर से भी फिर वही प्रश्न किया। उन्होंने कहा कि “मैं तुम्हारे सवाल का जवाब तो दूंगा लेकिन पहले तुम मुझे ये बताओ कि तुम जिस देश से आए हो वहां रहने वाले लोग कैसे हैं?” उस व्यक्ति ने महात्मा से कहा, “गुरूजी जहां से मैं आया हूं वहां सभ्य, सुलझे हुए और नेकदिल इंसान रहते हैं। मेरा वहां से कहीं और जाने का मन नहीं था लेकिन व्यापार के सिलसिले में यहां आया हूं और यहां की आबोहवा मुझे भा गई है, इसलिए मैंने आपसे ये सवाल पूछा था।” इस पर महात्मा ने उसे कहा बंधू “तुम्हें यहां भी नेकदिल और भले इंसान मिलेंगे।” वह राहगीर भी उन्हें प्रणाम करके आगे बढ़ गया। शिष्य ये सब देख रहे थे तो उन्होंने उस राहगीर के जाते ही पूछा गुरूजी ये क्या? अपने दोनों राहगीरों को अलग-अलग जवाब दिए हमें कुछ भी समझ नहीं आया। इस पर मुस्कुराकर महात्मा बोले “वत्स आमतौर पर हम आपने आस-पास की चीजों को जैसे देखते है वैसी वो होती नहीं है। हम अपनी सोच और मनःस्थिति के अनुसार अपनी दृष्टि से चीजों को देखते हैं। एक तरह से हम ठीक उसी तरह से आसपास की चीजों को देखते हैं जैसे हम हैं। अगर हम खुद अच्छे हैं, अच्छाई देखना चाहेंगे तो हमें अच्छे लोग मिल जाएंगे। अगर हमारी सोच नकारात्मक है तो हर ओर बुराई दिखेगी और हमें बुरे लोग ही मिलेंगे। हमारी आसपास की स्थिति और लोग हमारे देखने के नजरिए पर निर्भर करता है।