remedies to overcome the obstruction in the use of shabar mantras : शाबर मंत्रों के प्रयोग में आने वाली बाधा और उसे दूर करने के उपाय। वैसे शाबर मंत्र सिद्ध एवं शीघ्र फलदाई होते हैं। लेकिन कई लोगों की शिकायत होती है कि प्रयोग सफल नहीं होता है। समस्याएं बरकरार रहती हैं। उनके लिए कुछ छोटी-छोटी उपयोगी बातें। इसका ध्यान रखेंगे तो कोई समस्या नहीं होगी। पहले ये मंत्र गुरुओं के माध्यम से मिलते थे। तब गुरु की ताकत और उनकी बताई विधि के कारण समस्या नहीं होती थी। अब खुद मंत्र लेकर उसका प्रयोग किया जाता है। ऐसे में प्रयोगकर्ता के पास अपनी कोई ताकत नहीं होती है। विधि का भी पूरा ज्ञान नहीं रहता। इसलिए कई बार बाधा आ जाती है। आज मैं प्रयोग विधि की चर्चा करूंगा। साथ ही बताऊंगा कि बाधा से कैसे पाएं मुक्ति।
स्वयंसिद्ध मंत्रों का भी पहले खुद करें जप
शाबर मंत्रों के प्रयोग से पहले रखें ध्यान। पहले शुभ मुहूर्त में न्यूनतम 1100 बार मंत्र का जप करें। इसके बाद ही उसे प्रयोग में लाएं। फिर भी कुछ चूक रहने की आशंका रहती है। प्रयोग के क्रम में कई बार आशानुरूप फल नहीं मिलती है। ऐसे में असावरी देवी का अनुष्ठान आवश्यक हो जाता है। इसके लिए रविवार की रात असावरी देवी की पूजा कर कांसे की थाली को राख से साफ कर सामने रखें। इसके बाद प्रत्येक प्रहर के प्रारंभ में अभीष्ट मंत्र का 108 बार जप करें। फिर खैर की डंडी से कांसे की थाली बजाएं। हिंदी या मातृभाषा में कहें— हे मंत्र देवी जाग्रत हों। ध्यान रहे कि रात भर में चार प्रहर होते हैं। प्रहर प्रारंभ का समय स्वयं जानते हैं तो ठीक। अन्यथा किसी जानकार से पूछ लें। फिर उक्त विधि संपन्न करें।
शीघ्र फल देने वाले कुछ शाबर मंत्र
नीचे कुछ मंत्र दे रहा हूं। ये शीघ्र फल देने वाले शाबर मंत्र है। शाबर मंत्रों के प्रयोग विधि की जानकारी भी दे रहा हूं। उसे प्रयोग करने से पहले ऊपर की बातों का ध्यान रखें।
उपद्रव-नाशक मंत्र
ऊं नमो आदेश गुरु का, धरती में बैठ्या, लोहे का पिंड राख।
अगला गुरु गोरखनाथ, आवंता, जावंता, धावंता हांक।
देत धार-धार, मार-मार, शब्द सांचा फुरौ वाचा।
प्रयोग विधि
परिवार या किसी समूह विशेष में प्रबल मतभेद है। विरोध, कलह एवं किसी न किसी कारण से उपद्रव हो रहा है। उसे शांत करने के लिए किसी शुभ मुहुर्त में शुद्ध तन व मन के साथ पूर्वाभिमुख बैठें। फिर 108 बार उक्त मंत्र जपें। आम की लकड़ी के अंगारों में 108 बार मंत्र पाठ सहित कीर की आहूतियां दें। शाबर मंत्रों के प्रयोग से निश्चय ही लाभ मिलेगा।
भय, भ्रम आदि मनोव्याधि नाशक मंत्र
आगे दो झिलमिली, पीछे दो नंद। रक्षा सीताराम की, रखवारे हनुमंत।
हनुमान हनुमता आवत, मूठ करौ चौखंडा।
सांकर टोरो लोह की, फारो बजर किवार।
अज्जर कीलें, बज्जर कीलें, ऐसे रोग हाथ से ढीलें।
मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति, फुरो मंत्र, ईश्वरी वाचा।
प्रयोग विधि
किसी को भी भय, भ्रम या कोई मानसिक समस्या है। स्थान सही न लग रहा है। अशांति का अनुभव कर रहा है। चिंता नहीं करें। उसकी शांति के लिए आसान पर पूर्वाभिमुख बैठें। इसके बाद उपरोक्त मंत्र से जल को अभिषिक्त करें। फिर रोगी पर मंत्र पढ़ते हुए छिड़कें। अभिषिक्त भस्म मलें या रोगग्रस्त स्थान पर हाथ फेरें। काले धागे पर मंत्रोच्चार सहित सात गांठ लगाकर रोगी को धारण भी करा सकते हैं।
ध्यान देने वाली बातें
शाबर मंत्रों के प्रयोग के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें। नशे आदि से दूर रहें। शाकाहारी भोजन करें। यह विज्ञान समुद्र की तरह है। दुष्प्रयोग की आशंका से मैंने कुछ सीप चुनकर ही सामने रखा है। अधिक जानकारी के लिए योग्य गुरु से संपर्क करें।
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