अनोखा योग
इस बार करीब 27 सालों बाद सोमवती अमावस्या को एक विशेष योग बन रहा है। इस बार ये अमावस्या 16 अप्रैल 2018 को पड़ रही है। बैशाख मास के कृष्ण पक्ष में, शिव के दिन सोमवार को अश्विन नक्षत्र में सूर्य और चंद्रमा एक साथ आ रहे हैं। ये अपने आप में अनोखा मेल है, जो करीब 27 वर्ष बाद दोहराई जा रही है। ऐसा पंडित दीपक पांडे ने बताया है। ये अत्यंत शुभ अवसर है। ये व्रत विवाहित स्त्रियां अपने पतियों की दीर्घायु की कामना से करती हैं।
सोमवती अमावस्या का महातम्य
ऐसी मान्यता है की इस दिन स्नान करने तक मौन व्रत करने से सहस्र गोदान का फल मिलता है। इस व्रत को अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन अश्वत्थ यानि पीपल के वृक्ष पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन गंगा सहित किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने से मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ्य और सभी दुखों से मुक्त हो जाता है।
ऐसे करें पूजा
सोमवती अमावस्या पर दूध, जल, पुष्प, अक्षत, चन्दन इत्यादि से पूजा करने के बाद पीपल वृक्ष के चारों ओर 108 बार धागा लपेट कर परिक्रमा करनी चाहिए। परिक्रमा करते हुए हर बार 108 वस्तुओं को रखना उत्तम होता है बाद में इन सारी वस्तुओं को सुपात्र को दान करना चाहिए। इस दिन सूर्य को जल से अर्ध्य देना भी कल्याणकारी होता है। इस दिन मौन व्रत रखने से अत्यधिक पुण्य प्राप्त होता है।
इस बार करीब 27 सालों बाद सोमवती अमावस्या को एक विशेष योग बन रहा है। इस बार ये अमावस्या 16 अप्रैल 2018 को पड़ रही है। बैशाख मास के कृष्ण पक्ष में, शिव के दिन सोमवार को अश्विन नक्षत्र में सूर्य और चंद्रमा एक साथ आ रहे हैं। ये अपने आप में अनोखा मेल है, जो करीब 27 वर्ष बाद दोहराई जा रही है। ऐसा पंडित दीपक पांडे ने बताया है। ये अत्यंत शुभ अवसर है। ये व्रत विवाहित स्त्रियां अपने पतियों की दीर्घायु की कामना से करती हैं।
सोमवती अमावस्या का महातम्य
ऐसी मान्यता है की इस दिन स्नान करने तक मौन व्रत करने से सहस्र गोदान का फल मिलता है। इस व्रत को अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन अश्वत्थ यानि पीपल के वृक्ष पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन गंगा सहित किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने से मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ्य और सभी दुखों से मुक्त हो जाता है।
ऐसे करें पूजा
सोमवती अमावस्या पर दूध, जल, पुष्प, अक्षत, चन्दन इत्यादि से पूजा करने के बाद पीपल वृक्ष के चारों ओर 108 बार धागा लपेट कर परिक्रमा करनी चाहिए। परिक्रमा करते हुए हर बार 108 वस्तुओं को रखना उत्तम होता है बाद में इन सारी वस्तुओं को सुपात्र को दान करना चाहिए। इस दिन सूर्य को जल से अर्ध्य देना भी कल्याणकारी होता है। इस दिन मौन व्रत रखने से अत्यधिक पुण्य प्राप्त होता है।